बुधवार, 6 जुलाई 2011

हिंदी के बारे में दीवारों पर पोस्टर व स्लोगन कब तक चिपके रहेंगे?

सितंबर का महीना और हिंदी दिवस आते ही सभी कार्यालयों में प्रतियोगिताओं का दौर शुरू हो जाएगा और जगह जगह पोस्टर बैनर लगाए जाने लगेंगे। राजभाषा विभाग/कक्षों से जुड़े कार्मिक अतिशय व्यस्त हो जाएंगे, लोगों को प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों में भाग लेने के लिए। मुख्य अतिथि तलाशे जाएंगे, कार्यालय प्रमुख, चाहे वह हिंदी जानता हो या न जानता हो, हालाँकि सरकारी आँकड़े बताते हैं कि भारत सरकार के कार्यालयों में काम करने वाले 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को हिंदी आती है, उनके लिए भाषण लिखे जाएंगे। उस दिन चारों तरफ हिंदी दिखेगी और आभास होगा कि चारों तरफ हिंदी ही हिंदी है। लोग राजभाषा कार्मिकों पर एहसान जताएंगे कि आज तो हमने भी हिंदी में कविता लिखी है।
हिंदी दिवस बीतता है, दीवारों पर लगे टेंपोरेरी पोस्टर/बैनर अगले दिन उतर कर कचरे में चले जाते हैं। उसके बाद फिर वही प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अंग्रेज़ी में काम शुरू हो जाते हैं और कुछ स्लोगन-पोस्टर स्थायी रूप से टंगे ही रहते हैं और दीवार पर टंगी गांधी जी की उक्ति, भारतेंदु हरिश्चंद्र की कविता की पंक्तियाँ के नीचे राष्ट्र प्रेम एवं राष्ट्र भक्ति का मज़ाक सारा साल उड़ता रहता है। केवल हिंदी वाले ही हिंदी में काम करने के लिए अभिशप्त हैं। हिंदी को राजभाषा घोषित हुए इकसठ साल बीत गए परंतु हिंदी की स्थिति पोस्टरों से आगे नहीं बढ़ पाई है। इस स्थिति में परिवर्तन तभी आएगा जब कि मुख्यधारा में कार्यरत लोग आगे आएंगे और कार्यालय के मुख्य कार्य हिंदी में किए जाएंगे। आज तो हिंदी में काम करना आसान हो गया है क्योंकि अब तो कंप्यूटर का उपयोग होने लगा है और बिना किसी हिंदी सॉफ़्टवेयर के कंप्यूटर से हिंदी में काम करना संभव हो गया है। अतः हिंदी के प्रति मन में कोई भी विद्वेश न ला कर, दीवार पर पोस्टर/बैनर लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेन के बजाय हिंदी में काम करना शुरू करें तभी हिंदी दिवस सार्थक होगा और हिंदी राजभाषा बन पाएगी। हिंदी दिवस आने से पहले, प्रतिदिन कुछ काम हिंदी में करने का संकल्प किया जाए और उसे नियमित रूप से जारी रखा जाए?
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11 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी को राजभाषा घोषित हुए इकसठ साल बीत गए परंतु हिंदी की स्थिति पोस्टरों से आगे नहीं बढ़ पाई है।

    लेकिन जब उन पोस्टरों पर लिखी हिंदी ही गलत लिखी होती है तो यह और भी दुखद पहलु होता है ..!

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  2. बिलकुल सही सुझाव है और उस पर अमल करना ही चाहिए.

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  3. सही कह रहे हैं। हिंदी ब्लॉगिंग ने भी इसमें महती भूमिका निभाई है। जैसे-जैसे लोग हिंदी में सर्च करने की आवश्यकता बढ़ती जाएगी,राजभाषिक प्रयोग बढ़ता जाएगा।

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  4. आज जो यह टिप्पणी लिखने वाला व्यक्ति है, वह विज्ञान का विद्यार्थी था। सरकारी नौकरी में आने के बाद उसे मालूम हुआ कि हिन्दी के नाम पर एक दिवस भी है। प्रतियोगिताएं होती हैं, खुद शामिल हुआ। और कुछ इनाम भी पाया। उस दिन के बाद से आज तक वह इन्हीं बैनरों पोस्टरों के सहारे राजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार में लगा है। कर रहा है।
    कहना यह था कि अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ पोस्टर और स्लोगन भी ज़रूरी है।
    ** अपने कार्यकाल के दौरान १८ साल ‘ग’ क्षेत्र में काम करना पड़ा और बाक़ी के ५ साल ‘ख’ क्षेत्र में। सो अनुभव और व्यावहारिकता के आधार पर यह कह रहा हूं।

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  5. सरकार में जरुर हिंदी केवल पोस्टरों तक सीमित है लेकिन सरकार से इतर हिंदी की भूमिका बदली है.. महत्व बढा है...जिस तमिलनाडु प्रदेश को हिंदी विरोधी कहा जाता है वहां भले सरकारी दफ्तरों में हिंदी में काम न होता हो.. लेकिन संपर्क भाषा तो हिंदी है ही... ये निजी अनुभव है... हिंदी अखबारों के सर्कुलेशन को देखिये... हिंदी का बढ़ता प्रभाव दिखेगा वहां.. हिंदी पारंपरिक भाषा नहीं रही है.. अंग्रेजी के शब्द आये हैं .. तो यह समय की मांग है और भाषा के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी.... निराश होने की जरुरत नहीं है...

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  6. मेरा विचार है कि जब तक मनोज जी और अरुण रॉय जैसे लोग हिंदी को अपनी अभिव्यक्ति का प्राथमिक माध्यम नहीं बनाएंगे कार्यालयों एवं राजकाज में हिंदी का प्रयोग नहीं हो पाएगा। अतः इसी प्रयोजन के लिए प्रयास करना है। बाकी लोग जुड़ें यही तो उद्देश्य है हिंदी दिवस आदि मनाने का। परंतु यह औपचारिकता बन कर रह गया है। यही स्थिति कष्ट कारक है।

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  7. सरकारी कार्यालयों में या विद्यालयों में हिंदी दिवस भले ही इस रूप में मानाने कि प्रथा चल रही है .. लेकिन हिंदी का विकास हो रहा है ... जितना होना चाहिए उतना नहीं ... जब तक अपने देश में नौकरियों के लिए अंग्रेज़ी को महत्त्व दिया जायेगा तब तक हिंदी की यही दशा रहेगी ..

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  8. Ham hindi me kuchh likh kar hi aatmmuddh ho jaate hain jabki Hindi ko aur vyvhar me lane ki aavashyakta hai.sarthak post aabhar

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  9. बहुत ही दुखद है हिंदी को राष्ट्र भाषा घोषित कर इतिश्री कर लेंगें ...और हिंदी दिवस पर हिंदी प्रेम और उसकी गारिमा पर भाषण दिए जायेंगे ..सही सुझाव दिए आपने उसपर अमल करना ही चाहिए....सादर !!!

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