tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post1180599144927560336..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: ‘देसिल बयना सब जन मिट्ठा’ का प्रथम पाठ पढाने वाले महाकवि विद्यापतिराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-47888527009659781192023-12-21T18:14:05.587+05:302023-12-21T18:14:05.587+05:30 अच्छी जानकारी अच्छी जानकारीSAKIhttps://www.blogger.com/profile/08008543852051725757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-91921129709393726052023-09-14T09:36:14.566+05:302023-09-14T09:36:14.566+05:30तू उनको गोद में खिलाया था। तू उनको गोद में खिलाया था। Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12201579013742361608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-72289631276075109182021-11-17T06:11:04.005+05:302021-11-17T06:11:04.005+05:30🙏🙏🙏🙏🙏🙏BIPIN JHA(KALIKAPUR)https://www.blogger.com/profile/12144092133543872200noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-60923865962026359392011-01-12T16:46:35.247+05:302011-01-12T16:46:35.247+05:30सुन्दर और विस्तृत जानकारी !
१३ जनवरी को पौष माह का...सुन्दर और विस्तृत जानकारी !<br />१३ जनवरी को पौष माह का आखिरी दिन यानि ठंड का अंत !इसी दिन लोहरी होती है ।<br />आप हमारे संग लोहरी मनाने हमारे यहाँ आईएगा ।<br /><br />आभार !<br />हरदीपShabad shabad https://www.blogger.com/profile/09078423307831456810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-36331583562009172802011-01-08T19:25:37.953+05:302011-01-08T19:25:37.953+05:30मनोज जी ,
बहुत सुन्दर और विस्तृत जानकारी दी आपने।
...मनोज जी ,<br />बहुत सुन्दर और विस्तृत जानकारी दी आपने।<br />आभार।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39540202469544658092011-01-08T00:41:51.954+05:302011-01-08T00:41:51.954+05:30विद्यापति जी के बारे मे बहुत ही सुन्दर और विस्तृत ...विद्यापति जी के बारे मे बहुत ही सुन्दर और विस्तृत जानकारी..आभारउपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-31820186412096598342011-01-07T20:47:06.556+05:302011-01-07T20:47:06.556+05:30आपके आलेख ज्ञान का पिटारा होते हैं .कम से कम मेरे ...आपके आलेख ज्ञान का पिटारा होते हैं .कम से कम मेरे जैसों के लिए तो अमूल्य .जो जानकारी हमें इन आलेखों से मिलती है वह यहाँ बैठकर किसी भी और माध्यम से पाना असंभव है <br />बहुत आभार आपका.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-11987152771967086282011-01-07T20:22:45.853+05:302011-01-07T20:22:45.853+05:30विद्यापति मूलतः संस्कृत के लेखक थे न कि मैथिली या ...विद्यापति मूलतः संस्कृत के लेखक थे न कि मैथिली या हिंदी के। वे राजकवि थे मगर जनकंठ में बसने की आकांक्षा के कारण उन्होंने मैथिली(जो तब अवहट्ट भाषा के रूप में जानी जाती थी)में लिखना शुरू किया और जब उन गीतों को आम लोगों ने गाना शुरू किया,तब जाकर उन्हें भी मानना पड़ा कि देसी भाषा ही मीठी होती है। भाषाई अस्मिता के महत्व की ओर ध्यानाकर्षण करने वाले वे संभवतः पहले कवि थे।शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-20498307676783670162011-01-07T20:17:26.072+05:302011-01-07T20:17:26.072+05:30मैथिल कोकिल विद्यापति से आठवीं क्लास में पढी कविता...मैथिल कोकिल विद्यापति से आठवीं क्लास में पढी कविताओं के बाद आज परिचय हुआ. अभिभूत हूँ मैं. <br /><br />- सलिलसम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-22117232071827495462011-01-07T14:39:24.781+05:302011-01-07T14:39:24.781+05:30महाकवि विद्यापति के बारे में बहुत ही अच्छी और विस्...महाकवि विद्यापति के बारे में बहुत ही अच्छी और विस्तृत जानकारी मिली.<br />विद्यापति गीत अत्यंत कर्णप्रिय और सुमधुर होते हैं...एक बार फिर से सुनने की इच्छा जाग गयी.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-59560076063436848452011-01-07T14:29:54.151+05:302011-01-07T14:29:54.151+05:30महाकवि विद्यापति को हिंदी का प्रथम कवि माना जाना च...महाकवि विद्यापति को हिंदी का प्रथम कवि माना जाना चाहिए... . क्योंकि जब यूरोप में साहित्य लैटिन से अंग्रेजी की तरफ आ रहा था उसी समय भारत में विद्यापति और उनके समकालीन कवि हिंदी को संस्कृत से लोक भाषा की ओर ला रहे थे.. विद्यापति की तुलना अंग्रेजी कवि चौसर से भी की जा सकती है... प्रायः समय काल भी एक सा था... इस विषय पर नई दृष्टि देते हुए विद्यापति पर अभी बहुत अध्यनन किया जाना है.मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-77107681745151502932011-01-07T14:22:20.136+05:302011-01-07T14:22:20.136+05:30'उपमा कालीदासस्य.... ' कालीदास ने संस्कृत...'उपमा कालीदासस्य.... ' कालीदास ने संस्कृत साहित्य को ऐसे उपमाओं से विभूषित किया कि यह उक्ति प्रचलित हो गयी. आदिकालीन हिंदी में विद्यापति की उपमाएं भी इसी सम्मान की अधिकारिणी हैं, "चानन भेल विषम सर रे.... भूषन भेल भारी.... !" कृष्ण वियोग में व्रज-वनिताओं को शीतलता का प्रतीक चन्दन भी विष में चुभे हुए तीर की तरह लगता है और आभूषण जिस से उनका जी कभी नहि भरता... कितना भी हो, कम ही लगता है, हरि के वियोग में वो आभूषण भी उन्हें भारी लगने लगते हैं. उस समय के साहित्य में यह शायद ऐसा पहला प्रयोग था. विद्यापति की कविता हिंदी की गंगोत्री से निकली छल-छल-कल-कल बहती जन-मन अभिरंजन करती हुई काल की आवरण को चीर आज भी मनोहारी बनी हुई है. अब विद्यापति के प्रभाव का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि आठ सौ सालों में उस लोकभाषा का कोई भी कवि/साहित्यकार उस आभामंडल के आस-पास भी नहीं पहुँच सका, जो विद्यापति की रचनाओं की वर्तिका रही थी. <br /><br />आदि-कवि से ब्लॉग-वासियों का पुनर्मिलन करवाने के लिए धन्यवाद. मैं थोड़ा नोस्टाल्जिया गया था.करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-31301344424454224092011-01-07T14:04:43.293+05:302011-01-07T14:04:43.293+05:30विद्यापति को हिंदी साहित्य में जो स्थान मिलना चाहि...विद्यापति को हिंदी साहित्य में जो स्थान मिलना चाहिए था वह मिल नहीं सका.. अपने समकालीन जयदेव के गीत गोविन्द से कही अधिक प्रभावशाली हैं उनकी रचनाएं.. बंगला और उड़िया साहित्य पर विद्यापति के प्रभाव को आसानी से देखा जा सकता है.. सुन्दर आलेख मनोज जी...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-78477730257830734452011-01-07T12:22:07.379+05:302011-01-07T12:22:07.379+05:30महाकवि विद्यापति जी के बारे मे बहुत ही सुन्दर और व...महाकवि विद्यापति जी के बारे मे बहुत ही सुन्दर और विस्तृत जानकारी दी ……………इनके बारे मे तो हमे कोई जानकारी ही नही थी…………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com