tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post2320498504784055330..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: सिंहासन खाली करो कि जनता आती हैराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-19960104202208475302018-06-21T14:18:33.309+05:302018-06-21T14:18:33.309+05:30प्रासंगिकप्रासंगिकSagar Kumarhttps://www.blogger.com/profile/04368288651019088509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-17922459225001910572018-02-20T23:32:47.079+05:302018-02-20T23:32:47.079+05:30मनोहारी कृतिमनोहारी कृतिAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11066852553419061357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-4026840971209789942018-02-20T23:26:25.949+05:302018-02-20T23:26:25.949+05:30प्रस्फुटन इन दृगों में हो जाएगा,,
हाथ पकड़ो न मेरा ...प्रस्फुटन इन दृगों में हो जाएगा,,<br />हाथ पकड़ो न मेरा अब तुम प्रिये।।<br />अनर्थ हो जाएगा सूर्य ढल जाएगा,,<br />तुम अंधेरो को रोशन न करना प्रिये।।।<br /><br />मैं पिघल जो गया तेरे अहसास से,,<br />दूर हो जाऊंगा खुद के आभास से,,<br />बनके लोहित की बूंदें तुझमे घुल जाऊंगा,,<br />दास अपना न मझको बनाओ प्रिये।।।<br /><br />है भली भांति मझको ये मालूम प्रिये,,<br />हैं गोपन कथाएं तेरे हास परिहास में,,<br />मेनका सी चपलता तेरे स्पर्श में है,,<br />मेरे वर्षो का तप न डिगाओ प्रिये।।।<br /><br />सबसे अनजान बनकर मैं खुश हूं धरा में,,<br />अपने केशो की गरिमा की छांव में ध्रुव तारा न मुझको बनाओ प्रिये।।<br /> सर्वेश तिवारी<br /><br /><br /><br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11066852553419061357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-30273222996968449452017-08-11T23:22:15.380+05:302017-08-11T23:22:15.380+05:30मैंने पहली बार इस कविता को आज पढ़ा क्योंकि 'इं...मैंने पहली बार इस कविता को आज पढ़ा क्योंकि 'इंदू सरकार' फिल्म में इसका प्रयोग किया गया है। अति सराहनीय। इस फिल्म में इसका सार्थक प्रयोग किया गया है। वाह। दिनकर जी। ऐसी रचना करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-24681937942561017922014-01-02T13:32:34.484+05:302014-01-02T13:32:34.484+05:30दिनकर की पंक्तियां राजतंत्र के घमंड़ को चूर करती ह...दिनकर की पंक्तियां राजतंत्र के घमंड़ को चूर करती हैं... वहीं प्रजा की ताकत का गुणगान करती हैं...आजादी के समय इस कवीता ने प्रजातंत्र की स्थापना की... वहीं सत्ता के मद में चूर राजनेता के खिलाफ जेपी ने संपूर्ण क्रांती के उद्घोष किया जिसका मुख्य गीत दिनकर की ये कवीता थी...<br />Amod singhhttps://www.blogger.com/profile/09150114048521602485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-35340472726729147312011-08-19T19:56:03.516+05:302011-08-19T19:56:03.516+05:30पढवाने का आभार.पढवाने का आभार.गुफरान सिद्दीकीhttps://www.blogger.com/profile/00680052955710032455noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-25500437740976555502011-08-19T16:53:30.948+05:302011-08-19T16:53:30.948+05:30बहुत ही सामयिक रचना...आज के दौर में पूर्ण रूप से प...बहुत ही सामयिक रचना...आज के दौर में पूर्ण रूप से प्रासंगिक है यह.पढवाने का आभार.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-22795579169431208142011-08-18T15:48:00.611+05:302011-08-18T15:48:00.611+05:30बाहर ओज़स्वी रचना ... आज के हालात का यथार्थ चित्रण...बाहर ओज़स्वी रचना ... आज के हालात का यथार्थ चित्रण ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-90641726724819817482011-08-18T11:59:14.426+05:302011-08-18T11:59:14.426+05:30नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीका...नमस्कार....<br />बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें <br />मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........<br />आपका ब्लागर मित्र <br />नीलकमल वैष्णव "अनिश"<br /><br />इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद् <br /><br />1- <a href="http://neelkamalkosir.blogspot.com/2011/08/blog-post_17.html#links" rel="nofollow">MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......</a><br /><br />2- <a href="http://neelkamaluvaach.blogspot.com/2011/05/blog-post.html#links" rel="nofollow">BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव</a><br /><br />3- http://neelkamal5545.blogspot.comNeelkamal Vaishnawhttps://www.blogger.com/profile/11181440546086719343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-56118801697474608312011-08-18T11:10:18.227+05:302011-08-18T11:10:18.227+05:30इस बेहतरीन रचना प्रस्तुति के लिये आभार ।इस बेहतरीन रचना प्रस्तुति के लिये आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-16103611997543110312011-08-18T11:02:26.653+05:302011-08-18T11:02:26.653+05:30रचना कालजयी परन्तु आज भी प्रासंगिक है यही हो रहा ...रचना कालजयी परन्तु आज भी प्रासंगिक है यही हो रहा है भारत में.गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-21772900083867982592011-08-18T10:11:41.841+05:302011-08-18T10:11:41.841+05:30दिनकर जी की यह कविता न केवल आज बल्कि इसकी प्रासंगि...दिनकर जी की यह कविता न केवल आज बल्कि इसकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी। <br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-94844222507747792011-08-18T07:03:21.283+05:302011-08-18T07:03:21.283+05:30रामधारी सिंह की कविता सिंहासन खाली करो कि जनता अती...रामधारी सिंह की कविता सिंहासन खाली करो कि जनता अती है, अच्छी लगी ।<br />धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-2523152138683506332011-08-17T21:18:41.909+05:302011-08-17T21:18:41.909+05:30टिप्पणी में देखिए मरे चार दोहे-
अपना भारतवर्ष है, ...टिप्पणी में देखिए मरे चार दोहे-<br />अपना भारतवर्ष है, गाँधी जी का देश।<br />सत्य-अहिंसा का यहाँ, बना रहे परिवेश।१।<br /><br />शासन में जब बढ़ गया, ज्यादा भ्रष्टाचार।<br />तब अन्ना ने ले लिया, गाँधी का अवतार।२।<br /><br />गांधी टोपी देखकर, सहम गये सरदार।<br />अन्ना के आगे झुकी, अभिमानी सरकार।३।<br /><br />साम-दाम औ’ दण्ड की, हुई करारी हार।<br />सत्याग्रह के सामने, डाल दिये हथियार।४।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-43177515888063442492011-08-17T15:05:41.016+05:302011-08-17T15:05:41.016+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 18 - 08 -...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 18 - 08 - 2011 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/" rel="nofollow"> नयी पुरानी हल चल में आज - मैं अस्तित्त्व तम का मिटाने चला था - </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-10669736361198770962011-08-17T13:05:42.846+05:302011-08-17T13:05:42.846+05:30दिनकर की कालजयी रचना आज अपना अर्थ व्याख्यायित कर र...दिनकर की कालजयी रचना आज अपना अर्थ व्याख्यायित कर रही है.सुन्दर प्रस्तुतिAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61891233720527003602011-08-17T13:05:20.847+05:302011-08-17T13:05:20.847+05:30दिनकर की कालजयी रचना आज अपना अर्थ व्याख्यायित कर र...दिनकर की कालजयी रचना आज अपना अर्थ व्याख्यायित कर रही है.सुन्दर प्रस्तुतिAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64901546392966885072011-08-16T23:40:11.591+05:302011-08-16T23:40:11.591+05:30दिनकर जी की बहुत ओज पूर्ण रचना पढवाने का आभार ... ...दिनकर जी की बहुत ओज पूर्ण रचना पढवाने का आभार ... आज भी यह प्रासंगिक है ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-22478818595193885172011-08-16T22:51:11.912+05:302011-08-16T22:51:11.912+05:30मनोज जी!
दिनकर जी की यह रचना २६ जनवरी १९५० की है.....मनोज जी!<br />दिनकर जी की यह रचना २६ जनवरी १९५० की है.. प्रथम गणतंत्र दिवस पर रची गयी!! आज भी प्रासंगिक है और आज भी इसको पढकर नसों में रक्त संचार बढ़ जाता है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81891265157378946982011-08-16T22:05:25.377+05:302011-08-16T22:05:25.377+05:30दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली ...दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, <br />सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। <br />ekdam aaj ki baat hai jaise......mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-73664123038481924702011-08-16T21:18:27.990+05:302011-08-16T21:18:27.990+05:30आज के हालात पर प्रासंगिक...धन्यवादआज के हालात पर प्रासंगिक...धन्यवादचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-87151132803316549762011-08-16T20:06:04.607+05:302011-08-16T20:06:04.607+05:30बहुत भावपूर्ण रचना |
आशाबहुत भावपूर्ण रचना |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70081400839305310752011-08-16T20:05:59.352+05:302011-08-16T20:05:59.352+05:30इससे तो दिनकर की 'भारत का रेशमी नगर' कविता...इससे तो दिनकर की 'भारत का रेशमी नगर' कविता याद आती है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-50394544019211955562011-08-16T19:14:11.502+05:302011-08-16T19:14:11.502+05:30samyik prastuti .aabharsamyik prastuti .aabharShikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.com