tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post2994915829638198470..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: युद्ध-विराम – अज्ञेयराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-40594727614378409252022-01-08T19:39:15.012+05:302022-01-08T19:39:15.012+05:30Is kavita ki hindi byakha dalo plzIs kavita ki hindi byakha dalo plzAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13492397430001639957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-33272163564379302852012-05-02T20:16:48.486+05:302012-05-02T20:16:48.486+05:30आज भी प्रासंगिक पहले से कहीं ज्यादा .आभार ...आज भी प्रासंगिक पहले से कहीं ज्यादा .आभार मनोज जी .<br /><br /><br /> आज भी हाँ अब भी उतनी ही प्रासंगिक है यह रचना जितनी कल थी .<br />फिर भी भारत की विकास दर रोज़ बढे जाए है .<br />बुधवार, 2 मई 2012<br />" ईश्वर खो गया है " - टिप्पणियों पर प्रतिवेदन..!<br />http://veerubhai1947.blogspot.in/<br />लम्बी तान के ,सोना चर्बी खोना<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_02.htmlvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-32204191704738840732012-05-02T06:58:44.306+05:302012-05-02T06:58:44.306+05:30इन सिद्धस्त मानयोगियों की रचनाएँ पर टिपण्णी मुझे...इन सिद्धस्त मानयोगियों की रचनाएँ पर टिपण्णी मुझे नहीं करने आती है शिर्फ़ श्रद्धावनत होता हूँ ,कुछ ढूंढ़ता हूँ ,स्वयं को सहेजता हूँ ......आभारudaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-69847827263561054662012-05-01T21:11:28.968+05:302012-05-01T21:11:28.968+05:30नहीं, अभी कुछ नहीं बदला है :
इस अनोखी रंगशाला में
...नहीं, अभी कुछ नहीं बदला है :<br />इस अनोखी रंगशाला में<br />नाटक का अन्तराल मानो<br />समय है सिनेमा का :<br />कितनी रील ?<br />कितनी क़िस्तें ?<br />कितनी मोहलत ? <br /><br />प्रयोगशील कवि के रूप में प्रसिद्धि पाने वाले अज्ञेय काव्य के परम्परागत बंधनों से मुक्त एक ऐसा माध्यम स्थिर करने के लिए प्रयोग किए,जो नई परिस्थितियों, नवीनतम अनुभूतियों तथा नये विचारों को महत्त्वपूर्ण ढंग से अभिव्यक्त कर सके ।<br />अज्ञेय जी ने जहाँ कविता के वर्ण्य विषय में नये प्रयोग किए वहीं शिल्प के क्षेत्र में उनके प्रयोग युगान्तरकारी सिद्ध हुए । उनका काव्य विविधताओं का मिश्रण है । उनके काव्य में व्यक्ति और समाज, प्रेम एवं दर्शन, विज्ञान एवं संवेदना, यातना बोध एवं विद्रोह, प्रकृति एवं मानव तथा बुद्धि एवं हृदय का साहचर्य दिखाई देता है । उनकी कविताएँ आधुनिक युग का दर्पण मानी जाती है। यही कारण है कि हिन्दी काव्य धारा में अज्ञेय जी का व्यक्तित्व आज भी समालोचकों की दृष्टि में अज्ञेय ही प्रतीत होता है । आपके द्वारा प्रस्तुत कविता "युद्ध विराम" अज्ञेय जी के मानसिक, साहित्यिक एवं वैचारिक फलक को अपनी पूर्ण समग्रता में उदभाषित करता है। इस कविता की प्रस्तुति के लिए आपका विशेष आभार- धन्यवाद सहित।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-25271294661303163492012-05-01T17:12:52.859+05:302012-05-01T17:12:52.859+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
बुधवारीय चर्चा-मंच पर |
c...आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति<br />बुधवारीय चर्चा-मंच पर |<br /><br />charchamanch.blogspot.comरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-17746247226725218712012-05-01T16:46:32.038+05:302012-05-01T16:46:32.038+05:30वाकई ..अभी कहाँ कुछ बदला है .
बेहद प्रभावशाली रचना...वाकई ..अभी कहाँ कुछ बदला है .<br />बेहद प्रभावशाली रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84055389777794010252012-05-01T16:14:32.808+05:302012-05-01T16:14:32.808+05:30हमें बल दो, देशवासियो,
क्यों कि तुम बल हो :
तेज दो...हमें बल दो, देशवासियो,<br />क्यों कि तुम बल हो :<br />तेज दो, जो तेज्स हो,<br />ओज दो, जो ओज्स हो,<br />क्षमा दो, सहिष्णुता दो, तप दो<br />हमें ज्योति दो, देशवासियो,<br />हमें कर्म-कौशल दो :<br />क्यों कि अभी कुछ नहीं बदला है,<br />अभी कुछ नहीं बदला है ...<br /><br />अद्भुत रचना पढ़वाने के लिए आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com