tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post4850824529340253623..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: रचयिता सृष्टि कीराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-24732775062947185272011-06-23T17:20:57.285+05:302011-06-23T17:20:57.285+05:30ये हम ही हैं और हमारे अपने चेहरे कितने घिनौने हैं?...ये हम ही हैं और हमारे अपने चेहरे कितने घिनौने हैं? पिछले दिनों महाराष्ट्र के बीद जिले में एक नाले में ९ कन्या भ्रूण बहते हुए बरामद किये गए और वे सभी कन्या भ्रूण थे. अब कुछ और कहना बाकी है की इस कन्या के विनाश के कृत्य में सिर्फ माँ बाप ही नहीं बल्कि डॉक्टर , नर्सिंग होम भी जुड़े हुए हैं नहीं तो ९ कन्या भ्रूण एक ही नाले में कैसे बरामद हुए? ये विनाशक अपने कृत्य पर खुद हीरोयेंगे.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-10280143504568828742011-06-22T01:19:25.298+05:302011-06-22T01:19:25.298+05:30बहुत मार्मिक रचना ....समाज जो विकसित होने का दवा क...बहुत मार्मिक रचना ....समाज जो विकसित होने का दवा करता है उसका सच्चा चेहरा उजागर करती रचना ................वो स्विक्सित समाज जो पहले पैदा होने के बाद लड़कियों को मारता था वो विज्ञान की मदद से कोख में ही मारने में सक्षम हैNidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75875166816706863302011-06-21T21:47:05.108+05:302011-06-21T21:47:05.108+05:30बहुत मार्मिक अपील है इस कविता में.संगीता जी ,
अजन्...बहुत मार्मिक अपील है इस कविता में.संगीता जी ,<br />अजन्मी कन्या के दुख और रुदन को सुन कर आपने जो लिखा ,काश कि संसार समझ पाये !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84513151273895754682011-06-21T18:15:35.595+05:302011-06-21T18:15:35.595+05:30aaj ke jwalant mudde ko ujagar karti ek sashakt ra...aaj ke jwalant mudde ko ujagar karti ek sashakt rachna ke liye aabhar.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-9595379665757131252011-06-21T11:46:04.532+05:302011-06-21T11:46:04.532+05:30भावभीनी रचना, गहन अभिव्यक्तिभावभीनी रचना, गहन अभिव्यक्तिAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-13122416462604521852011-06-20T23:14:58.956+05:302011-06-20T23:14:58.956+05:30मम्मा ,
क्या ये कविता मैंने पढ़ी हुई है पहले..??? ज...मम्मा ,<br />क्या ये कविता मैंने पढ़ी हुई है पहले..??? जाने क्यूँ पढ़ी पढ़ी सी लगी...मगर कोई बात नहीं...अच्छा ही लगा पढ़ कर...हमेशा की तरह खून खौल उठा..मगर एक शिकायत कविता से.........उसमे अजन्मी बच्ची की माँ का मौन सहन नहीं हुआ मुझसे मम्मा..:(..<br /><br />ख़ैर...सार्थक लेखन पर बधाई !<br /><br />प्रणाम !!Taruhttps://www.blogger.com/profile/08735748897257922027noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-37754786028550115012011-06-20T13:58:34.676+05:302011-06-20T13:58:34.676+05:30यदि इस धरती पर कन्या नही रह पाएगी
तो सारी सृष्टि त...यदि इस धरती पर कन्या नही रह पाएगी<br />तो सारी सृष्टि तहस - नहस हो जायेगी ।<br />kash sabhi log yah baat samajh pate......mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-63797579146547838402011-06-20T12:47:47.631+05:302011-06-20T12:47:47.631+05:30आह ,करुण ,वेदना ,संवेदना.
पता नहीं कैसे इंसान होते...आह ,करुण ,वेदना ,संवेदना.<br />पता नहीं कैसे इंसान होते हैं जो यह अपराध करते हैं.ऐसा तो जानवर भी नहीं करते.इंसानियत को क्या हो गया है जाने.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39834786673173342772011-06-20T12:01:44.602+05:302011-06-20T12:01:44.602+05:30यदि इस धरती पर कन्या नही रह पाएगी
तो सारी सृष्टि त...यदि इस धरती पर कन्या नही रह पाएगी<br />तो सारी सृष्टि तहस - नहस हो जायेगी ।<br /><br />अगर मानव इस बात को समझ ले तो इससे बढकर और क्या बात होगी मगर ये ही कोई नही समझ पाता…………एक जागरुक करती संवेदनशील कविताvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-91891216398232574492011-06-20T11:57:31.855+05:302011-06-20T11:57:31.855+05:30jo aisa karte hain ishwar unke hisse kuch nahi ker...jo aisa karte hain ishwar unke hisse kuch nahi kertaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-30279698903959925772011-06-20T11:30:51.549+05:302011-06-20T11:30:51.549+05:30 संयुक्त राष्ट्र की १३४ देशों की लैंगिक असमानता स... संयुक्त राष्ट्र की १३४ देशों की लैंगिक असमानता सूची में पाक ११२ वें, बांग्लादेश ११६ वें, नेपाल ११० वें और भारत १२२ वें स्थान पर है। लगभग सबसे पीछे।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-40327288647822245512011-06-20T11:30:24.585+05:302011-06-20T11:30:24.585+05:30हम प्रकृति के नियमों को नकार रहे हैं। इस तरह से मा...हम प्रकृति के नियमों को नकार रहे हैं। इस तरह से मानव जीवान के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। सरकार ने भ्रूण हत्या और नवजात लड़कियों की हत्या रोकने के लिए कई क़ानून बनाए हैं। इन क़ानूनों के बावज़ूद आज़ादी के बाद बच्चों में लिंगानुपात सबसे निचले स्तर पर पहुंचना यह दर्शाता है कि सिर्फ़ क़ानून और सरकारी योजनाओं से यह नहीं बढ़ाया जा सकता। बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए। लड़के-लड़कियों के प्रति जब तक आम जनता की सोच नहीं बदलेगी, तब तक सरकारी नीतियों का कोई व्यापक लाभ महीं मिलेगा। आज इस 21वीं सदी में पारंपरिक सोच से ऊपर उठ कर लड़कियों के प्रति उदार होने की ज़रूरत है।<br /> लिंगानुपात <br /> 1961 – 1000 पुरुष 976 महिला<br /> 1971 – 964<br /> 1981 - 962<br /> 1991 – 945<br /> 2001 - 927<br /> 2011 – 914मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-19779698156139250642011-06-20T11:28:14.725+05:302011-06-20T11:28:14.725+05:30है। गर्भ में ही इन मासूमों को मारने का ‘पाप’ देश म...है। गर्भ में ही इन मासूमों को मारने का ‘पाप’ देश में अब भी किया जा रहा है। बच्चों को जन्म देने के पहले जन्मदाता उन्हें ‘मौत’ दे रहे हैं। 0-6 आयु वर्ग में लिंग अनुपात का घटकर 914 रह जाना, समाज में स्त्रियों के प्रति बढ़ रही हिंसा और लैंगिक शोषण का प्रमाण है। लड़कियों को जन्म से पहले और जन्म के तुरंत बाद मार देना समाज का सबसे नड़ा अभिशाप है। भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण को ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर देने के बावज़ूद अभी भी देश में बड़े पैमाने पर मां-बाप लड़कों की चाह में लड़कियों को गर्भ में ही मारने का दुष्कर्म कर रहे हैं। देश में लोगों की मानसिकता में अभी लड़कों की चाहत बसी है। समाज में स्त्रियों को लेकर नकारात्मक रवैये के कारण इस अनुपात में कमी आ रही है। वर्तमान समय में लड़का और लड़की में फ़र्क़ करना एक अज्ञानता और पिछड़ापन के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-57858772360777530362011-06-20T11:28:05.909+05:302011-06-20T11:28:05.909+05:30संगीता जी इस तरह की रचनाओं का सब जगह प्रचार-प्रसार...संगीता जी इस तरह की रचनाओं का सब जगह प्रचार-प्रसार होना चाहिए।<br />मैं अपनी बात कुछ आंकड़ों में कहूंगा<br />* देश में प्रति 1000 पुरुषों पर आबादी 933 से बढकर 940 ज़रूर हुई है, पर छह साल तक के बच्चों के आंकड़ों में यह अनुपात घट कर 927 से 914 हो गया जो कि आज़ादी के बाद सबसे कम है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85319668015857699732011-06-20T11:18:25.704+05:302011-06-20T11:18:25.704+05:30शाश्वत सत्य !शाश्वत सत्य !गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-55098941539418942832011-06-20T11:09:30.943+05:302011-06-20T11:09:30.943+05:30मन आत्मा को झकझोरने वाली अत्यंत मार्मिक रचना ! ना ...मन आत्मा को झकझोरने वाली अत्यंत मार्मिक रचना ! ना जाने कितनी संभावनाओं से भरपूर मासूम कन्याएं जन्म लेने से पहले ही काल का ग्रास बना दी जाती हैं ! यदि केवल बालक ही जन्म लेंगे और बालिकाएं कोख में ही मार दी जायेंगी तो समाज में कितनी भीषण असंतुलन की स्थिति पैदा हो जायेगी और सृष्टि का विकास अवरुद्ध हो जायेगा ! जन्मदाता पिता ही जब इस तरह अमानवीय हो जाये तो और किसीसे क्या अपेक्षा की जा सकती है ! चिंतनीय रचना !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-1082789979885355022011-06-20T09:21:00.994+05:302011-06-20T09:21:00.994+05:30पता नहीं पढ़े लिखे लोग भी ऐसा जघन्य कार्य क्यों ...पता नहीं पढ़े लिखे लोग भी ऐसा जघन्य कार्य क्यों कर रहे हैं?अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61859687629010675822011-06-20T08:03:21.306+05:302011-06-20T08:03:21.306+05:30हे स्वार्थी मानव ! ज़रा सोचो-
तुम हमारी शक्ति को ज...हे स्वार्थी मानव ! ज़रा सोचो-<br />तुम हमारी शक्ति को जानो<br />हम ही इस सृष्टि कि रचयिता हैं<br />इस सत्य को तो पहचानो.<br /><br />भावनाओं से ओत-प्रोत ...<br />सशक्त ..बहुत सुंदर रचना ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70166560180957273992011-06-20T07:59:22.892+05:302011-06-20T07:59:22.892+05:30सत्य से आँखें मूँदे बैठा है मानव। मार्मिक अभिव्यक्...सत्य से आँखें मूँदे बैठा है मानव। मार्मिक अभिव्यक्ति। शुभकामनायें\निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18073195067402452892011-06-20T05:06:07.606+05:302011-06-20T05:06:07.606+05:30भावपूर्ण रचना.भावपूर्ण रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-87725316561376682462011-06-20T05:05:53.432+05:302011-06-20T05:05:53.432+05:30निश्चित ही नारी रचयिता हैं मगर न जाने कैसे लोग हैं...निश्चित ही नारी रचयिता हैं मगर न जाने कैसे लोग हैं जो कन्या भूण हत्या करवाते हैं...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com