tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post4962389407885264230..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: सत्यमेव जयते: अधूरे शोध का बाजारवादी प्रदर्शनराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-14520252591346716252012-05-30T18:40:14.376+05:302012-05-30T18:40:14.376+05:30आपने सटीक शोधात्मक विश्लेषण किया है परिस्थिति का.....आपने सटीक शोधात्मक विश्लेषण किया है परिस्थिति का... <br />“मार्केटिज़्म” और “सेन्सेस्नालिज़्म” दोनों जबर्दस्त रास्ते हैं अपनी साख ऊपर उठाने के वास्ते... और सारा देश इसी में रत है कि कैसे सनसनी फैला कर मार्केट वेल्यू बढ़ाई जाये.... <br /><br />सार्थक आलेख हेतु सादर बधाई स्वीकारें।S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-59759256179804340322012-05-30T17:11:26.975+05:302012-05-30T17:11:26.975+05:30Nice post , Nice comments.
कमियां हर चीज़ में होत...Nice post , Nice comments.<br /><br />कमियां हर चीज़ में होती हैं. कुछ भी परफेक्ट नहीं हो सकता. पर सास बहु के अनरिआलिस्टिक कार्यक्रमों से इतर कुछ तो रियालिस्टिक आ रहा है. <br />भारत एक नौटंकी पसंद देश रहा है . फैन लोग हमेशा काल्पनिकता में जीते हैं. कैसे एक पासवान पूंजीपति के मुनाफे पर हाथ डाल सकता था ?<br />सरकार न उलट दी जाती ?<br />आमिर का यह कार्यक्रम भले ही शोध के पैमाने पर खरा न उतरता हो पर जो संदेश यह देना चाहता है उसमें सौ फीसदी खरा उतर रहा है.<br /><br />आपने सारी वस्तु-स्थिति से परिचय भी करवा दिया ,<br />Aabhar!DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-74488050499329311392012-05-30T17:08:15.337+05:302012-05-30T17:08:15.337+05:30Nice post , Nice comments.
कमियां हर चीज़ में होत...Nice post , Nice comments.<br /><br />कमियां हर चीज़ में होती हैं. कुछ भी परफेक्ट नहीं हो सकता. पर सास बहु के अनरिआलिस्टिक कार्यक्रमों से इतर कुछ तो रियालिस्टिक आ रहा है. <br />भारत एक नौटंकी पसंद देश रहा है . फैन लोग हमेशा काल्पनिकता में जीते हैं. कैसे एक पासवान पूंजीपति के मुनाफे पर हाथ डाल सकता था ?<br />सरकार न उलट दी जाती ?<br />आमिर का यह कार्यक्रम भले ही शोध के पैमाने पर खरा न उतरता हो पर जो संदेश यह देना चाहता है उसमें सौ फीसदी खरा उतर रहा है.<br /><br />आपने सारी वस्तु- स्थिति से परिचय भी करवा दिया ,<br />Aabhar!DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-74204937888577940202012-05-30T15:43:25.613+05:302012-05-30T15:43:25.613+05:30क्या लिखें...पर्दे पर आमिर का हर किसी की पूर्व प्र...क्या लिखें...पर्दे पर आमिर का हर किसी की पूर्व प्रायोजित कहानी सुनकर आंसू पौंछते देख कर ...सब कुछ एक नाटक/ नौटन्की सा लगता है .... क्या आमिर को इस उम्र में आकर यह सब पता चला है ...नौ सौ चूहे खाय बिलाई हज़ को चली ..बाली बात है....<br /><br />--- जो लोग इसे बडी बात मान रहे हैं वे तो सब चलो दूसरे ने किया हम तो बच गये फ़ालतू का काम करने से कहकर सान्स लेने वाले हैं.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-5704761391925873472012-05-30T13:29:35.956+05:302012-05-30T13:29:35.956+05:30विचारणीय आलेख् आभार !विचारणीय आलेख् आभार !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-57759030184401262612012-05-30T13:09:53.179+05:302012-05-30T13:09:53.179+05:30बहुत ही सटीक समालोचना जानकारी बिखेरती राम विलास पा...बहुत ही सटीक समालोचना जानकारी बिखेरती राम विलास पासवान के एक अच्छे कदम से वाकिफ करवाती हुई .आभार .बधाई ..<br />कृपया यहाँ भी पधारें -<br /><br /><br />ram ram bhai<br /><br />बुधवार, 30 मई 2012<br />HIV-AIDS का इलाज़ नहीं शादी कर लो कमसिन से<br /><br />http://veerubhai1947.blogspot.in/<br /><br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/<br /><br />कब खिलेंगे फूल कैसे जान लेते हैं पादप ?virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-46013175909897584972012-05-30T12:30:08.847+05:302012-05-30T12:30:08.847+05:30very good analysis.very good analysis.गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75908696938307017882012-05-30T11:46:07.272+05:302012-05-30T11:46:07.272+05:30shikha jee .main apki bat se bilkul sahamat hoon. ...shikha jee .main apki bat se bilkul sahamat hoon. hamare desh men yah badi pareshani hai koi yadi uchit disha men kadam uthata hai to uski tang kheenchne se baj nahi ate log kamiya dhoondh lene ki hamari adat ban gayi hai.satya sheel agrawalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51109383270156519812012-05-30T09:43:43.094+05:302012-05-30T09:43:43.094+05:30Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.Very nice post.....<br />Aabhar!<br />Mere blog pr padhare.Sanjuhttps://www.blogger.com/profile/00171018255400064717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-31009236046806189192012-05-30T08:29:26.701+05:302012-05-30T08:29:26.701+05:30इतना ही कि लेख बढिया रहा... पासवान का काम अच्छा लग...इतना ही कि लेख बढिया रहा... पासवान का काम अच्छा लगा... <br />आमिर हों या कोई फैनबाज लोग हमेशा काल्पनिकता में जीते- सोचते से लगते हैं... उनसे कुछ नहीं कहना फिलहाल...चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51815720025067651652012-05-30T07:02:42.004+05:302012-05-30T07:02:42.004+05:30पासवान का प्रयास अच्छा था। पर वे तो एक नौकर मात्र ...पासवान का प्रयास अच्छा था। पर वे तो एक नौकर मात्र थे। देश की असली मालिक जनता द्वारा चुनी हुई सरकार नहीं बल्कि पूंजीपति हैं जिन के कारखाने हैं और जिन में दवाइयाँ बनती हैं। कैसे एक पासवान उन के मुनाफे पर हाथ डाल सकता था। सरकार न उलट दी जाती।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81001634200185060672012-05-29T22:13:17.021+05:302012-05-29T22:13:17.021+05:30श्री अरूण चंद्र रॉय जी,
आपका पूरा पोस्ट पढ़ा । आपन...श्री अरूण चंद्र रॉय जी,<br />आपका पूरा पोस्ट पढ़ा । आपने सारी वस्तु- स्थिति से परिचय भी करवा दिया , लेकिन इस संबंध में, मैं अपनी ओर से यही कहना चाहूंगा कि वैशाखियों पर चलती सरकार के समक्ष जनहित की अपेक्षा पार्टी हित पर ज्यादा ध्यान दिया जाता रहा है एवं जाता रहेगा । दवाईयों के रैपर पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में नाम लिखने से ही काम शेष नही होता है । हिंदी के या अन्य किसी मुद्दे पर माननीय प्रधानमंत्री जी को संसद में अंग्रेजी में भाषण देता देख कर हिंदी प्रेमियों के मन क्या विचलित नही होते हैं! क्या इसे संवैधानिक - दायित्व का उल्लंघन नही माना जाएगा! क्या सरकार ऐसा कोई नियम बना पाएगी जिस दिन हर दवाई की दुकान पर एक नोटिस बोर्ड लगा होगा कि इस दुकान में असली जेनरिक दवाईयां सस्ते दर पर मिलती हैं। इस स्थिति में पासवान जी का क्या दोष है! 'सत्यमेव जयते" कार्यक्रम किसी निदेशक के अंतर्गत ही संचालित होता है एवं यह कार्यक्रम सरकार की नीति निर्धारण का संवाहक तो नही बन सकता है। इस संवेदनशील प्रस्तुति के लिए मेरी ओर से आपको हार्दिक बधाई । मेरे पोस्ट पर भी यदा - कदा आकर मुझे भी अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत कराते रहें ताकि एक सहज आत्मीयता की अनुभूति से मन सर्वदा ऊर्जावान बना रहे । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-21083168079587863942012-05-29T20:14:35.779+05:302012-05-29T20:14:35.779+05:30एकदम ठीक बात ... कुछ लोग स्वयं भले कुछ भी न करें ल...एकदम ठीक बात ... कुछ लोग स्वयं भले कुछ भी न करें लेकिन दूसरों के किए का छिद्रान्वेषण ज़रूर करते हैंपद्म सिंहhttp://padmsingh.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85644692117786348462012-05-29T15:29:00.884+05:302012-05-29T15:29:00.884+05:30APKI BAT SAHI HAI PASWAN JI KI KOSHISH SAHI THI PA...APKI BAT SAHI HAI PASWAN JI KI KOSHISH SAHI THI PAR DRUG LOBI KE AGE SAPHAL NAHI HO SAKI . KYA AISA NAHI HO SAKTA KI LOG KAMISHAN KE SATH BHI KUCH AM ADAMI KE BHALE KE BARE ME SOCHENAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/03797946698617083748noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-38226896253360671902012-05-29T15:19:55.710+05:302012-05-29T15:19:55.710+05:30विचारणीय आलेख्।विचारणीय आलेख्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51609184962843235442012-05-29T15:19:29.184+05:302012-05-29T15:19:29.184+05:30भारत एक नौटंकी पसंद देश रहा है ,यहाँ गंभीर विषयों ...भारत एक नौटंकी पसंद देश रहा है ,यहाँ गंभीर विषयों को भावुकता ,नाटकीयता तथा हास्य के सतही मिश्रण के साथ दिखाया जाए तो आम लोगो को समझ में आता है।सामाजिक विषयो पर विमल रॉय,गुरु दत्त, सत्यजित रॉय तथा श्याम बेनेगल ने कितनी शानदार फिल्मे बनाई है, पर राज कपूर की सतही फिल्मे ज्यादा लोकप्रिय रही है।R Muralihttps://www.blogger.com/profile/14967555949475917497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3229558776859030742012-05-29T14:19:20.451+05:302012-05-29T14:19:20.451+05:30Very nice post.....
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Mere blog pr padhare.Very nice post.....<br />Aabhar!<br />Mere blog pr padhare.Sanjuhttps://www.blogger.com/profile/00171018255400064717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-8446610192876555202012-05-29T13:59:47.220+05:302012-05-29T13:59:47.220+05:30शिखा जी की बात से पूरी तरह सहमत हूं. क्यों हम हर ...शिखा जी की बात से पूरी तरह सहमत हूं. क्यों हम हर बार कुछ भी नया करने वाले से इतनी अधिक अपेक्षाएं रख लेते हैं कि जिन्हें पूरा कर पाना संभव ही न हो. आमिर का यह कार्यक्रम भले ही शोध के पैमाने पर खरा न उतरता हो पर जो संदेश यह देना चाहता है उसमें सौ फीसदी खरा उतर रहा है. फिर आमिर टीवी पर कोई शोध करने थोड़े ही उतरे हैं. ये बाजार है.....और बाजार के बीच रहकर भी अगर जनसरोकार से जुड़े कार्यक्रम बन रहे हैं तो बहुत सुखद बात है. और रही बात पैसा कमाने की तो वह तो टीवी कार्यक्रम बनाने वाले का पहला उद्देश्य है. दूसरे सास बहू की जूतमपॅजार और बिग बॉस की नंगई के बीच कुछ तो अच्छा है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-78781448110573610432012-05-29T13:36:38.237+05:302012-05-29T13:36:38.237+05:30कुछ भी परफेक्ट नहीं हो सकता. कमियां हर चीज़ में हो...कुछ भी परफेक्ट नहीं हो सकता. कमियां हर चीज़ में हो सकती हैं और निकाली जा सकती हैं. बेशक अधूरा हो शोध, और बेशक आमिर कह रहे हों वही जो सब जानते हैं. पर सास बहु के अनरिआलिस्टिक कार्यक्रमों से इतर कुछ तो रियालिस्टिक आ रहा है. अगर सास बहु वाले ड्रामो को देखकर साडियों का फेशन आ सकता है तो शायद इसी बाजारवाद के चलते कुछ सुधार हो जाएँ. उम्मीद पर दुनिया कायम है.<br />सार्थक लेख आपका.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-28946887226656485102012-05-29T12:31:20.397+05:302012-05-29T12:31:20.397+05:30bhaut khub kya baat haibhaut khub kya baat haiAnuhttps://www.blogger.com/profile/05561589653610114026noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58297548678848697542012-05-29T11:54:52.789+05:302012-05-29T11:54:52.789+05:30Ek samarth aalekh1Ek samarth aalekh1kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.com