tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post5344095678081726603..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: उड़ते चेहरे फिसलते पाँवराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3357030571677153902011-06-17T22:54:42.768+05:302011-06-17T22:54:42.768+05:30दलसिंगार जी, आप ने इस तरह मेरी टिप्पणी का उत्तर दि...दलसिंगार जी, आप ने इस तरह मेरी टिप्पणी का उत्तर दिया, मुझे बहुत अच्छा लगा. धन्यवाद. जैसे मेंने आप के आलेख पर पहले लिखा था, मुझे आप का बात कहने का अन्दाज़ बहुत अच्छा लगा था.<br />सप्रेम<br />सुनीलSunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-74065009260177156812011-06-10T09:03:49.252+05:302011-06-10T09:03:49.252+05:30दलसिंगार जी, आप का बात कहने का अन्दाज़ बहुत अच्छा ...दलसिंगार जी, आप का बात कहने का अन्दाज़ बहुत अच्छा लगा. जिसे आप कँजूसी कहते हैं, क्या वह जानकारी कम होने या अन्धविश्वास के साथ किसान की गरीबी का सूचक नहीं है? बाकी सब बातों में शायद आप ठीक कहते हैं लकिन, कम्पिनयों वालों द्वारा मुफ़्त दवाई बाँटें जाने पर शक करना मुझे ठीख बात लगी. मुनाफ़ा कमाने वाले, बिना अपना सोचे, यूँ ही कुछ नहीं देते. सचमुच कोई दानी दयालू बना हो तो भी, ठीक से जाँच करना बेहतर ही है!Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-59377457972826955832011-06-02T07:32:29.950+05:302011-06-02T07:32:29.950+05:30बदलाव के इस दौर में गाँव के जीवन का सटीक और संतुलि...बदलाव के इस दौर में गाँव के जीवन का सटीक और संतुलित विवेचन .......... यही परिस्थितियाँ बन रही हैं..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-55551001592305997062011-06-02T07:10:26.770+05:302011-06-02T07:10:26.770+05:30मेरे अपने अनुभव के आधार पर इस लघु प्रस्तुति को आप ...मेरे अपने अनुभव के आधार पर इस लघु प्रस्तुति को आप लोगों ने पसंद की इसके लिए आप सभी के प्रति सविनय आभार।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85622318497777709262011-06-01T23:24:55.206+05:302011-06-01T23:24:55.206+05:30दलसिंगार जी! भोले और भाले का अच्छा शब्दचित्र है यह...दलसिंगार जी! भोले और भाले का अच्छा शब्दचित्र है यह! यथार्थ के बिलकुल समीप!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-63526072949627372052011-06-01T22:26:21.501+05:302011-06-01T22:26:21.501+05:30ग्रामीण अंचल के जीवन का जीवंत चित्रण ... बहुत बढ़ि...ग्रामीण अंचल के जीवन का जीवंत चित्रण ... बहुत बढ़िया...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-91212807035776466832011-06-01T22:11:33.514+05:302011-06-01T22:11:33.514+05:30खदेरू के संस्मरण और उसके माध्यम से आपने ग्रामीण इल...खदेरू के संस्मरण और उसके माध्यम से आपने ग्रामीण इलाक़े में व्याप्त अशिक्षा, अंधविश्वास और स्वास्थ्य के प्रति बरती जा रही लापरवाही की ओर बड़े सशक्त तरीक़े से इशारा किया है।<br /><br />@ और लोगों के पास गाड़ी है और मेरे पास नहीं है तो लोग बाग मुझे बड़ा अफ़सर ही नहीं समझते। अतः लोगों से बराबरी दिखाने लिए यह गाड़ी खरीदी है और अब इसकी किस्त भी भारी पड़ रही है। <br />*** दुखते रग पर हाथ रख दिया।<br /><br />@ जब पौराणिक कथा बीच में आ जाती है तो विज्ञान भी फ़ेल हो जाता है। <br />*** सौ फ़ीसदी सहमत हूं आपसे।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-15685068745935881432011-06-01T17:41:31.010+05:302011-06-01T17:41:31.010+05:30गिरिजा जी!
आपका मेल नहीं मिला। कृपया रीसेंड कर दें...गिरिजा जी!<br />आपका मेल नहीं मिला। कृपया रीसेंड कर दें। मेर पास समाधान मौजूद है।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-50181721627290489402011-06-01T17:41:27.287+05:302011-06-01T17:41:27.287+05:30गिरिजा जी!
आपका मेल नहीं मिला। कृपया रीसेंड कर दें...गिरिजा जी!<br />आपका मेल नहीं मिला। कृपया रीसेंड कर दें। मेर पास समाधान मौजूद है।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-66457486220530957752011-06-01T16:33:38.412+05:302011-06-01T16:33:38.412+05:30बढिया संस्मरण है । गाँव के लोग कुछ लोग भोले भी होत...बढिया संस्मरण है । गाँव के लोग कुछ लोग भोले भी होते हैं और कुछ भाले भी ,लेकिन अपने प्रति विश्वास<br />गजब का होता है चाहे वह ठीक न भी हो । दूसरों पर भी वे विस्वास देर से करते हैं पर जो करते हैं तो फिर पक्का । यादव जी आपको मेरा मेल मिला ? उन्ही हिन्दी ध्वनियों (ड ,ढ )के विषयक । आशा है आप समाधान खोज रहे होंगे ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-48146134080229575282011-06-01T15:09:02.276+05:302011-06-01T15:09:02.276+05:30gavn ke log aur gavn ke jeevan per saarthak lekh.g...gavn ke log aur gavn ke jeevan per saarthak lekh.garibi bhi aek bade dukh ka kaaran hoti hai,badhaai aapko.<br /><br /><br /><br />please visit my blog and leave a comment.thanksprerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-68415396437488308132011-06-01T14:38:36.069+05:302011-06-01T14:38:36.069+05:30लेकिन सच ये भी है कि गांव में न तो सभी खदेरू होते ...लेकिन सच ये भी है कि गांव में न तो सभी खदेरू होते हैं और न ही भाले :)Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-35147280596411289132011-06-01T14:09:15.391+05:302011-06-01T14:09:15.391+05:30bahut achchha vishleshan grameend jeevan ka .aabha...bahut achchha vishleshan grameend jeevan ka .aabhar .Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-10558784228944843232011-06-01T12:45:55.054+05:302011-06-01T12:45:55.054+05:30बहुत खूब कहा है.....सराहनीय आलेख। दिल में उतर जान...बहुत खूब कहा है.....सराहनीय आलेख। दिल में उतर जाने वाली प्रस्तुति...साधुवाद!<br />================<br />व्यंग्य रणमूलक लेखन है। यह उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमा रहा होता है।<br />=================<br />सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-83093085091701604872011-06-01T11:46:52.942+05:302011-06-01T11:46:52.942+05:30Tetala ke madhyam se aapke blog par pahli bar aai ...Tetala ke madhyam se aapke blog par pahli bar aai hoon.aapka lekh padha gaon ka bahut yataarth sajeev chitran kiya hai aapne.padhkar achcha laga.apne blog par aamantrit kar rahi hoon.shubhkamnaayen.Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-13107236812831070092011-06-01T11:11:26.401+05:302011-06-01T11:11:26.401+05:30गाँव के लोंग भोले नहीं भाले होते हैं ... अच्छी प्र...गाँव के लोंग भोले नहीं भाले होते हैं ... अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-4206651261331779682011-06-01T08:32:08.728+05:302011-06-01T08:32:08.728+05:30ग्रामीण जीवन के एक अंश का सशक्त चित्रणग्रामीण जीवन के एक अंश का सशक्त चित्रणमेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-17550315497819805692011-06-01T06:55:56.028+05:302011-06-01T06:55:56.028+05:30खदैरु का दर्द, गरीबी, व दूसरों का रुखापन, ऐसा लेख ...खदैरु का दर्द, गरीबी, व दूसरों का रुखापन, ऐसा लेख कभी-कभार ही मिलता है,SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.com