tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post6524848393162345411..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: स्वागत बसंतराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-29078372753406677462011-02-28T19:15:45.763+05:302011-02-28T19:15:45.763+05:30बसंत के स्वागत में अच्छा और मृदु गीत है।
राजभाषा ...बसंत के स्वागत में अच्छा और मृदु गीत है। <br />राजभाषा हिंदी केवल गीत कविता नहीं है। इसकी अन्य विधाओं पर भी लेखन आवश्यक है। बहुत लोग रोमन में हिंदी लिख रहे हैं। कोलकाता में ऐसे लोगों की शिक्षा होनी चाहिए। प्रयास करें। शुभकामना और बधाई।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-65657423347096451312011-02-25T23:15:52.586+05:302011-02-25T23:15:52.586+05:30सत्य है...आज तक यही लगता था कि करण देसिल बयना जिस ...सत्य है...आज तक यही लगता था कि करण देसिल बयना जिस अंदाज़ में लिखते हैं,क्या कोई लिख पायेगा...पर आज तो कविता पढ़ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि उसी देसिल बयना वाली की लिखी हुई है यह....<br /><br />कमाल है ..बस कमाल...लाजवाब !!!<br /><br />प्रशंसा को सटीक शब्द नहीं मिल रहे...<br /><br />जियो बचवा ....जियो...<br /><br />मन हरषा दिए.....<br /><br />माता की कृपा है तुमपर...बस लगे रहो लेखन में...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-82306899988244165922011-02-24T23:31:47.915+05:302011-02-24T23:31:47.915+05:30बसंत का मनोहारी स्वागत ...बहुत सुन्दर गीत ..बसंत का मनोहारी स्वागत ...बहुत सुन्दर गीत ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-34639024770521142192011-02-24T23:07:41.890+05:302011-02-24T23:07:41.890+05:30बड़ा गीतात्मक स्वागत किया है आपने वसंत का! लयबद्धता...बड़ा गीतात्मक स्वागत किया है आपने वसंत का! लयबद्धता कमाल की है, शब्द सन्योजन मुग्ध करने वाला है... आपकी प्रतिभा से तो परिचित हैं ही हम, लेकिन यह अवश्य ही नया रंग चढ़ा है आपपर!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-77016249189839467152011-02-24T18:12:19.583+05:302011-02-24T18:12:19.583+05:30करन जी आपको तो देसिल बयना के लेखक के रूप में ही जा...करन जी आपको तो देसिल बयना के लेखक के रूप में ही जानता था.. लेकिन आज आपका यह वसंत गीत देख कर मन प्रफुल्लित हो गया है... निराला की कविता सी लग रही है यह कविता... ऋतुराज का सुन्दर आह्वान है पूरी कविता में... शुभकामनाअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-32223685562056832222011-02-24T16:32:48.965+05:302011-02-24T16:32:48.965+05:30कानन की कांति के क्या कहने !
किसलय मुसकाय बने गहन...कानन की कांति के क्या कहने !<br />किसलय मुसकाय बने गहने !<br />अवनि शुचि पीत सुमन पहने !<br />मानो विधि की रचना जीवंत !!<br />स्वागत ! स्वागत !! स्वागत बसंत !!! <br /><br />करन जी,<br />वसंत का यह गीत इतना जीवंत है कि पढ़ कर मुरझाया मन भी वसंत वसंत हो गया !<br />ढेर सारी शुभकामनाएँ !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-14762354453970110012011-02-24T13:07:39.062+05:302011-02-24T13:07:39.062+05:30सुंदर रचना के लिए आभारसुंदर रचना के लिए आभारगिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-33666168915566035182011-02-24T12:43:59.750+05:302011-02-24T12:43:59.750+05:30बहुत ही सुन्दर बसंत का स्वागत गीत है .... आभारबहुत ही सुन्दर बसंत का स्वागत गीत है .... आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-16237349883592221482011-02-24T11:42:22.958+05:302011-02-24T11:42:22.958+05:30आदरणीय आचार्यवर,
दूसरे बंद का टंकण दोष सुधार लिया...आदरणीय आचार्यवर,<br /><br />दूसरे बंद का टंकण दोष सुधार लिया गाया है. तीसरे बंद के मात्रागत संतुलन में आपका सहयोग अपेक्षित है. धन्यवाद.करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-2325043662565229282011-02-24T11:37:05.954+05:302011-02-24T11:37:05.954+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84583441104258511692011-02-24T11:30:56.590+05:302011-02-24T11:30:56.590+05:30अच्छी रचना है, शुभकामनायें आपको !!अच्छी रचना है, शुभकामनायें आपको !!OM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-56547649679207192162011-02-24T08:16:38.283+05:302011-02-24T08:16:38.283+05:30अच्छा गीत, पर अंतिम बंद कुछ सुधार चाहता है। दूसरे ...अच्छा गीत, पर अंतिम बंद कुछ सुधार चाहता है। दूसरे बंद में भी प्रयुक्त "मंजर" शब्द असंगत सा लग रहा है, वास्तव में मंजरी शब्द अच्छा रहता। शायद गीतकार का भी वही कहना है। हो सकता है टंकणगत अशुद्धि हो। वैसे ये मेरे विचार हैं। इस टिप्पणी के लिए क्षमा याचना के साथ।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39435182109219220292011-02-24T06:58:02.241+05:302011-02-24T06:58:02.241+05:30मन्मथ की मार बनी असहय !
कोकिल की कूक करुण अतिशय !
...मन्मथ की मार बनी असहय !<br />कोकिल की कूक करुण अतिशय !<br />सुन विरही उर उपजे संशय !<br />विरहानल को भड़काने या,<br />करने आए हो सुखद अंत !<br />स्वागत ! स्वागत !! स्वागत बसंत !!!<br /><br /><br />सुंदर रचना -विरहिणी का दृष्टिकोण भी सुन्दरता से लिखा है .Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.com