tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post6714310537783488707..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: ये अंधेरों में लिखे हैं गीतराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-9324828253047046622010-10-29T08:52:31.956+05:302010-10-29T08:52:31.956+05:30स्व0 श्याम नारायण जी मिश्र से मेरा व्यक्तिगत परिचय...स्व0 श्याम नारायण जी मिश्र से मेरा व्यक्तिगत परिचय नहीं रहा। उनकी रचनाएं सारथ पत्रिका में प्रकाशित हुआ करती थीं। बस, रचनाओं से उनके व्यक्तित्व के बारे में एक चित्र बना था। उनमें गीत की संवेदना, समझ और अभिव्यक्ति की नैसर्गिक की प्रतिभा थी। उनके गीत हमेशा हृदय की गहराइयों तक उतरते हैं। <br /><br />प्रस्तुत पत्र स्वयं में एक गीत सा ही तो है। मिश्र जी ने पत्र में जीवन में गीत तथा ध्वन्यात्मक शब्दों में गीत खोजने की चर्चा की है वह इतना सरल नहीं है। अधिकतर ध्वन्यात्मक शब्द स्वतंत्र रूप से निरर्थक होते हैं लेकिन जब युग्म के साथ वाक्य में आते हैं तभी अर्थ देते हैं। केवल ध्वन्यात्मक शब्दों से गीत की रचना करना मिश्र जी जैसे कवियों की ही सामर्थ्य हो सकती है। बाबा नागार्जुन और केदार नाथ सिंह के केवल ध्वन्यात्मक शब्दों से रचे गीत अंतस को झंकृत करते हैं। ऐसे ही प्रभाव वाले कुछ गीतों की रचना गीतकार गुलजार ने कुछ फिल्मों के लिए की थी और उन गीतों ने लोकप्रयिता के शिखर को स्पर्श किया था। गीत जन जीवन की संवेदनशील अनुभूति और अभिव्क्ति है। स्व0 मिश्र जी गीतों को लिखा नहीं जिया है।<br /><br />इस अवसर पर मैं स्मृतिशेष मिश्र जी को सादर श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-16996237195918333032010-10-29T08:25:20.535+05:302010-10-29T08:25:20.535+05:30मनोज कुमार जी,
नमस्कार!
आपकी इस पोस्ट के संदेश ने ...मनोज कुमार जी,<br />नमस्कार!<br />आपकी इस पोस्ट के संदेश ने मेदक में मिश्र जी के साथ बिताए दिनों को याद दिला दिया। श्री श्यामनारयण मिश्र का खिलखिलाता उन्मुक्त हंसीवाला चेहरा बरबस याद आ गया। मिश्र जी ने नवगीत विधा को काफ़ी समृद्ध किया है। यदि उनकी रचनाएं उपलब्ध हो सके और यदि राजभाषा ब्लॉग पर उन्हें प्रकाशित कर सकें तो मिश्र जी के प्रति श्राद्धांजलि के साथ-साथ ब्लॉग के पाठकों को नवगीत में नया मार्गदर्शन मिलेगा।<br />आभार!आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-37081590652137678852010-10-29T06:50:09.954+05:302010-10-29T06:50:09.954+05:30पत्र पढ़कर अच्छा लगा...बहुत अच्छा लगा पढ़कर इस पोस...पत्र पढ़कर अच्छा लगा...बहुत अच्छा लगा पढ़कर इस पोस्ट को.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-5458230524003363732010-10-29T04:49:51.093+05:302010-10-29T04:49:51.093+05:30यह पत्र और रचना एक अमूल्य निधि है... मिश्र जी जैसे...यह पत्र और रचना एक अमूल्य निधि है... मिश्र जी जैसे साहित्यकारों की रचनाएँ अंधेरे में लिखे गीतों की तरह अंधेरों में विलीन हो जाती हैं.. आपने इनका प्रकाशन कर हमें कृतार्थ किया!जुगल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/13301162594819383710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3267902907007993372010-10-28T19:56:16.073+05:302010-10-28T19:56:16.073+05:30मनोज जी!यह पत्र और रचना एक अमूल्य निधि है... मिश्र...मनोज जी!यह पत्र और रचना एक अमूल्य निधि है... मिश्र जी जैसे साहित्यकारों की रचनाएँ अंधेरे में लिखे गीतों की तरह अंधेरों में विलीन हो जाती हैं.. आपने इनका प्रकाशन कर हमें कृतार्थ किया!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-36055190610746863042010-10-28T19:47:35.983+05:302010-10-28T19:47:35.983+05:30sundar prastuti!
patra sangrahniya hai....
ati sun...sundar prastuti!<br />patra sangrahniya hai....<br />ati sundar rachna!<br />swargiya mishra ji ko shraddha suman!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-78286210014897116842010-10-28T19:45:01.850+05:302010-10-28T19:45:01.850+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-27746324026254482932010-10-28T18:32:36.892+05:302010-10-28T18:32:36.892+05:30पत्र, मानो एक कविता है...और कविता, मानो एक पत्र है...पत्र, मानो एक कविता है...और कविता, मानो एक पत्र है...अद्भुत।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-44260777687054703042010-10-28T16:55:21.972+05:302010-10-28T16:55:21.972+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-79553802071950872912010-10-28T16:55:19.309+05:302010-10-28T16:55:19.309+05:30आह...... ! ये नवगीत वेदना की अन्यतम अभिव्यक्ति हैं...आह...... ! ये नवगीत वेदना की अन्यतम अभिव्यक्ति हैं. पत्र तो ऐसा कि एक-एक शब्द बोल रहा हो. मुझे याद है जब मैं ने आपके (प्रस्तुतकर्ता के) चंडीगढ़ निवास से दूरभाष पर आदरणीय मिश्रा जी से बात की थी. चन्दा पंक्तियों की एक कविता भी सुनाई थी और दाद के साथ उनका मार्गदर्शन भी मिला था. पहली बार मुझे कविता में "काफिया" के चमत्कार का दर्शन उन्होंने ही करवाया था. बाद में उनका स्नेहिल सानिध्य प्राप्त कर 'दीक्षा' ग्रहण करने की उत्कट लालसा क्रूर काल का शिकार हो गयी. किन्तु आज उनके पत्र को पढ़ कर ऐसा लग रहा है कि वे उसी खनकती आवाज़ में गीतों के मर्म खोल रहे हैं, जिनसे मैं बहुत कुछ सीख सकता हूँ. एक बात तो साफ है, गेयता कविता का लक्षण है. मैं भी नयी कविता को 'अकविता' ही कहना पसंद करता हूँ. उम्मीद है कि स्वर्गीय मिश्र जी के दुर्लभ पत्रों की श्रृंखला जारी रहेगी. धन्यवाद !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-82057714175615140212010-10-28T15:11:23.563+05:302010-10-28T15:11:23.563+05:30बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-78763994874260916672010-10-28T14:17:44.293+05:302010-10-28T14:17:44.293+05:30ये पत्र और नवगीत दोनों ही बेमिसाल हैं ....ये पत्र और नवगीत दोनों ही बेमिसाल हैं ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-5090169677053851442010-10-28T14:05:54.739+05:302010-10-28T14:05:54.739+05:30मेल से प्राप्त गिरीजेश राव जी की टिप्पणी
गिरिजेश ...मेल से प्राप्त गिरीजेश राव जी की टिप्पणी<br /><br />गिरिजेश राव to me<br />2:18 PM (1 hour ago)<br /><br /><b>Gr8 article. Could not help commenting from mobile. Keet it up!</b>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-66022470583308639042010-10-28T13:00:17.354+05:302010-10-28T13:00:17.354+05:30कविता का एकदभुत रूप देखने को मिला।कविता का एकदभुत रूप देखने को मिला।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84098755997698673202010-10-28T12:14:29.658+05:302010-10-28T12:14:29.658+05:30पत्र और कविता दोनों ही सराहनीय हैं. उसको संचित रखन...पत्र और कविता दोनों ही सराहनीय हैं. उसको संचित रखने भी आपकी सराहना करनी पड़ेगी वैसे कुछ ऐसे दस्तावेज होते हैं जो बहुत अमूल्य समझे जाते हैं.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64917619634147802582010-10-28T10:34:42.102+05:302010-10-28T10:34:42.102+05:30पत्र और रचना दोनों ही अनमोल ...अच्छी प्रस्तुतिपत्र और रचना दोनों ही अनमोल ...अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-78582015827827046432010-10-28T10:25:07.507+05:302010-10-28T10:25:07.507+05:30एक संग्रहणीय पत्र। सच कहा आपने कि किसी साहित्यिक द...एक संग्रहणीय पत्र। सच कहा आपने कि किसी साहित्यिक दस्तावेज़ से कम नहीं है। पत्र के साथ तिथि भी देना चाहिए था।<br />कविता / नवगीत बहुत ही गहन भाव लिए हुए।<br />आभार इस प्रस्तुति के लिए।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-83153430899083963112010-10-28T09:30:14.979+05:302010-10-28T09:30:14.979+05:30बेशक आभासी दुनिया का कितना विस्तार हो जाये मगर पत्...बेशक आभासी दुनिया का कितना विस्तार हो जाये मगर पत्र का महत्व कभी कम नही होगा। संग्रहणीय पत्र और कविता अपने कालजयी रूप मे हमेशा सरिता सी बहती रहेगी। धन्यवाद इसे पढवाने के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-21286558386750885332010-10-28T08:09:57.188+05:302010-10-28T08:09:57.188+05:30मनोज जी! यह तो साहित्य साधना के साथ साथ एक बड़े पुण...मनोज जी! यह तो साहित्य साधना के साथ साथ एक बड़े पुण्य का कार्य किया है आपने. इस एक पत्र और रचना को पढकर लगता है कि यह एक साहित्यिक दस्तावेज़ होने वाले हैं!! मेरे श्रद्धा सुमन!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64477727919986627782010-10-28T07:58:47.686+05:302010-10-28T07:58:47.686+05:30ये अंधेरों में लिखे हैं गीत
सूर्य से इनको जंचाना च...ये अंधेरों में लिखे हैं गीत<br />सूर्य से इनको जंचाना चाहता हूँ।<br />सुंदर अतिसुन्दर , कई अर्थों को अपने में समाये हुई रचना, बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-71855763591331097552010-10-28T07:36:34.206+05:302010-10-28T07:36:34.206+05:30पत्र वाकई संग्रहणीय है !हार्दिक शुभकामनायें !पत्र वाकई संग्रहणीय है !हार्दिक शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18947702756460330972010-10-28T06:31:08.857+05:302010-10-28T06:31:08.857+05:30जिसको बेआबरू करके निकाला था
आंखों में अब भी वह म...जिसको बेआबरू करके निकाला था <br /><br />आंखों में अब भी वह मेहमान क्यों है? <br /><br />बहुत सुन्दरM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com