tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post7036173818525327224..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: समर शेष हैराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51421801729348302642012-07-07T22:54:33.887+05:302012-07-07T22:54:33.887+05:30उत्कृष्ट रचना ...आभार .उत्कृष्ट रचना ...आभार .Reena Panthttps://www.blogger.com/profile/00567958984543097787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70394957172584016282012-07-06T23:48:06.108+05:302012-07-06T23:48:06.108+05:30दिनकर को पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है .... आभारदिनकर को पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है .... आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-76652610135067903242012-07-06T23:44:38.468+05:302012-07-06T23:44:38.468+05:30कविता पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा प्रतिभा जी की एक बात...कविता पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा प्रतिभा जी की एक बात से पूर्णतः सहमत हूँ।Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-90403471686881923552012-07-05T21:38:54.339+05:302012-07-05T21:38:54.339+05:30दिनकर की हुंकार अभी भी उतनी ही सामयिक है जितनी उस ...दिनकर की हुंकार अभी भी उतनी ही सामयिक है जितनी उस समय थी ,बल्कि आज स्थितियाँ पहले से भी बदतर हैं .देश की ऊर्जा को जगाने और सही दिशा देने के लिये हम कवि के चिर आभारी हैं ,और समय की नब्ज़ पहचान कर कर सचेत करने के लिये अनामिका जी आपके !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85728637481958636252012-07-05T19:46:07.134+05:302012-07-05T19:46:07.134+05:30आपका बहुत बहुत आभार !
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक...आपका बहुत बहुत आभार !<br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/07/blog-post_05.html" rel="nofollow">आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद ! </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-49247669893810280202012-07-05T19:25:26.465+05:302012-07-05T19:25:26.465+05:30बलि देकर भी बली ! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे
म...बलि देकर भी बली ! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे <br />मंदिर औ' मस्जिद, दोनों पर एक तार बांधो रे ! <br />समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध, <br /> जो तटस्थ है, समय लिखेगा उनका भी अपराध. <br /><br />....यह रचना आज भी उतनी ही समसामयिक है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-21866977195732866392012-07-05T17:22:34.460+05:302012-07-05T17:22:34.460+05:30यह है शुक्रवार की खबर ।
उत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा...यह है शुक्रवार की खबर ।<br /><br /> उत्कृष्ट प्रस्तुति <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70071789171207261062012-07-05T10:15:11.736+05:302012-07-05T10:15:11.736+05:30Pichhali kadee nahee padh payi thee jo aaj padhee....Pichhali kadee nahee padh payi thee jo aaj padhee....aaj kee bhee hamesha kee tarah behad achhee...kabhi tum bhi phn karke mere haalchaal poochh liya karo na!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-74388255755764960202012-07-05T10:00:30.304+05:302012-07-05T10:00:30.304+05:30सच कहा है, एक जगह पहुँचकर बुद्धि काम नहीं करती है....सच कहा है, एक जगह पहुँचकर बुद्धि काम नहीं करती है..हाथ कृपा के लिये उठ जाते हैं..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-28861475650461793942012-07-05T09:09:17.785+05:302012-07-05T09:09:17.785+05:30आदमी ज्ञान के रास्ते से चले या विज्ञान के रास्ते स...आदमी ज्ञान के रास्ते से चले या विज्ञान के रास्ते से, <br />वह अंत में एक ऐसी जगह पहुंचकर रहता है, <br />जहाँ बुद्धि काम नहीं करती--<br /><br />उत्कृष्ट प्रस्तुति |<br />शुभकामनायें ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-7510448637906257112012-07-05T08:30:06.433+05:302012-07-05T08:30:06.433+05:30धर्म का दूसरा दौर बुद्धिवाद की निस्सहायता की अनुभू...धर्म का दूसरा दौर बुद्धिवाद की निस्सहायता की अनुभूति से उत्पन्न होगा. वह बारी-बारी से कई रूपों से होकर गुजरेगा तब पश्चिम के लोग, विज्ञान का उपयोग करते हुए भी, उसे अपना मार्ग-दर्शक नहीं मानेंगे. मार्ग-दर्शन के लिए वे शायद किसी पैगम्बर या अवतार का इंतजार करेंगे और अंत में उनकी अपनी ही इच्छाओं और आशाओं से एक या अनेक पैगम्बर उत्पन्न होंगे, जो उस संस्कृति का पथ प्रदर्शन करेंगे.<br />प्रातः प्रणम्य है दिनकर....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-10631352973827082052012-07-05T06:59:02.819+05:302012-07-05T06:59:02.819+05:30बेहतरीन लेखन.....
समर शेष है पढ़ कर बहुत अच्छा लगा...बेहतरीन लेखन.....<br />समर शेष है पढ़ कर बहुत अच्छा लगा....<br />कवि और कलाकार का भेद भी समझा...<br /><br />सादर<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com