tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post7495766778169650301..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: तिलस्मी-ऐयारी, जासूसी, ऐतिहासिक और भावप्रधान उपन्यासराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-55462494353900685672023-05-22T17:20:52.025+05:302023-05-22T17:20:52.025+05:302011का प्रश्न 2023में2011का प्रश्न 2023मेंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-49510072607387684942021-08-30T23:14:42.033+05:302021-08-30T23:14:42.033+05:30इन उपन्यासों के अलावा इतिहासिक उपन्यास साहबे आलम, ...इन उपन्यासों के अलावा इतिहासिक उपन्यास साहबे आलम, नूरजहां, गोली, वयं रक्षां, आदि भी हैं । मगर यहां इनका उल्लेख नहीं किया गया ।<br /><br />दिनेश चन्द्र पुरोहितhttps://www.blogger.com/profile/08730675799406850816noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-67007286185496380252019-02-15T10:16:30.860+05:302019-02-15T10:16:30.860+05:30पंडित सुर्य कांतजी ने सटीक टिप्पणी की है । बहुत अच...पंडित सुर्य कांतजी ने सटीक टिप्पणी की है । बहुत अच्छा लिखा है ।दिनेश चन्द्र पुरोहितhttps://www.blogger.com/profile/08730675799406850816noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-71801697409207930092017-12-01T01:50:03.716+05:302017-12-01T01:50:03.716+05:30Kya apko yaad hai Chandra kanta se bhi purana upan...Kya apko yaad hai Chandra kanta se bhi purana upanyas hai rakt mandir, and danav desh. Kya ap mujhe uska writer name bta sakte hai.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13295721686098462380noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-79809367955632493752017-05-27T09:51:12.844+05:302017-05-27T09:51:12.844+05:30उपन्यास विधा के माध्यम से मानव जीवन के प्रत्येक पक...उपन्यास विधा के माध्यम से मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष का सजीव अनुभव कर सकते हैं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03292019758228196979noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-7955490644054334292012-10-19T07:30:30.853+05:302012-10-19T07:30:30.853+05:30thanks for sharing...thanks for sharing<a href="http://www.justdetective.com/" title="徵信社" rel="nofollow">.</a><a href="http://www.justdetective.com/" title="徵信" rel="nofollow">.</a><a href="http://www.885852.com/" title="徵信社" rel="nofollow">.</a><br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18557978673929541622012-07-18T13:24:03.488+05:302012-07-18T13:24:03.488+05:30सत्यवचन मित्र राधारमण, सत्यवचन
जैसा कि आपने कहा कि...सत्यवचन मित्र राधारमण, सत्यवचन<br />जैसा कि आपने कहा कि विचार के विभिन्न अंग हैं। विचार चाहे तिलिस्म,जासूसी या इतिहास किसी रूप मे प्रस्तुत किया जाय उसकी सार्थकता तभी है, जब वो उच्च भाव प्रकट करने में समर्थ हो क्योंकि भाव ही स्थाई है, यदि ऐसा न होता तो पंचतंत्र की प्रासंगिकता ही समाप्त हो जाती और उनको इतना सम्मानित स्थान न प्राप्त होता। <br />यह कथन सर्वथा मिथ्या है की खत्री जी के उपन्यासों में सबकुछ अतार्किक, जादुई और चमत्कारपूर्ण है। वास्तव में उन्होंने (श्री देवकी नंदन खत्रीजी) ने स्वयं एक पुस्तक की भूमिका में लिखा है की वो किसी अतार्किक, जादुई और चमत्कार वाली बात या भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करते । उनके द्वारा लिखा प्रत्येक चमत्कार यांत्रिकी, वैद्युत एवं रसायन शास्त्र की सहायता से किया जा सकना संभव है, और उन्होंने इसके उदाहरण भी दिए हैं।<br />मेरे विचार से तो किसी मनुष्य की न केवल चारित्रिक उन्नति के लिए बल्कि उसको अच्छी बाते, नीति तथा व्यवहार की शिक्षा दे उच्चकोटि का नागरिक बनाने के लिए सबसे रोचक प्रभावी उपाय यही है। क्योंकि इससे जीवन के प्रति उत्साह भी बना रहता है, साथ ही मनुष्य संसार के प्रति उदासीन या अकर्मण्य होने से बचा रहता है। <br />दूसरी ओर प्रेमचंद जी एवं उनके समय के अन्य लेखकों(लेखकों और उनके प्रेमियों से क्षमा याचना सहित) की यथार्थ परक समाज-चित्रण वाला कथा साहित्य है जोकि यथार्थ चित्रण में इतना बढ़ाचढ़ा है कि उनका नायक लाख प्रयत्न करे, वो मुंह के बल ही गिरता है। यदि विजय प्राप्त भी करता है तो नैतिक कारणों से, नकि पुरुषार्थ के कारण। ये देख पाठक का मन अनायास ही यह सोचने लगता है कि पुरुषार्थ व्यर्थ है. परिश्रम व्यर्थ है. <br />आप जानते ही हैं की प्रेमचंद जी एवं उनके समकालीन अन्य लेखकों का कथा साहित्य भारतीय पाठ्यक्रम में आदि से अन्त तक भरा पड़ा है और इसी कारण से इसे पढ़ने का सौभाग्य, जब मैं मात्र नौ वर्ष का बालक था तभी से प्राप्त हो गया था। मेरे चाचा, बुआ इत्यादि सब विश्वविद्यालय के विद्यार्थी थे अतः उनके पाठ्यक्रम का साहित्य भी घर में उपलब्ध था और इसी कारण हाईस्कूल (कक्षा १०) तक आते आते मैंने ये तथाकथित यथार्थ परक समाज-चित्रण वाला कथा साहित्य सारा ही पढ़ डाला था।<br />मैं एक नौ वर्ष के बालक का छोटा सा अनुभव आपसब के साथ बांटना चाहूँगा । इस बालक ने प्रेमचंद की कहानी ईदगाह पढ़ी और तीन पैसे ले कर ईदगाह जाने वाले बालक कि मजबूरी से दुखी कोमलमन बालक कई दिन तक गुमसुम रहा वो बालक मै था। ये मेरा स्वयं का अनुभव है. ऐसे अनगिनत मायूस अनुभवों से भरा है मेरा बचपन। इस कथा साहित्य ने मेरी बाल सुलभ मुस्कान, हंसी, मेरा बचपन मुझसे छीन लिया। इससब से उबर परिपक्व होने में जवान होने के बाद भी मुझे बरसों लगा गए। <br /><br />पन्डित सूर्यकान्तPandit Suryakanthttp://suryakant1.blogspot.com.au/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-56774337734054370712011-04-08T13:54:30.112+05:302011-04-08T13:54:30.112+05:30पन्यास के विषय में इतनी सशक्त जानकारी पहले नहीं थी...पन्यास के विषय में इतनी सशक्त जानकारी पहले नहीं थी ...अच्छी श्रृंखलाअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-21256077367711373102011-04-08T10:56:41.084+05:302011-04-08T10:56:41.084+05:30उपन्यास विधा के परिचय की शृंखला में तलस्मी और जासू...उपन्यास विधा के परिचय की शृंखला में तलस्मी और जासूसी उपन्यासों की उपयोगी जानकारी मिली। कुछ नामों की याद भी ताज़ा हो आई।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-42253350648285697862011-04-08T00:14:47.072+05:302011-04-08T00:14:47.072+05:30क्या याद दिलाए हैं.. बहुत दिन तक हम बाजार में लखलख...क्या याद दिलाए हैं.. बहुत दिन तक हम बाजार में लखलखा खोजते रहे.. कोई बेहोश को होश में लाने के लिए.. धन्यवाद भाई जी!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-14390583313911363422011-04-07T22:54:48.481+05:302011-04-07T22:54:48.481+05:30उपन्यास के विषय में इतनी सशक्त जानकारी पहले नहीं थ...उपन्यास के विषय में इतनी सशक्त जानकारी पहले नहीं थी ...अच्छी श्रृंखलासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-24014787208200575812011-04-07T22:54:05.131+05:302011-04-07T22:54:05.131+05:30अगले अंक का इंतजार रहेगा.अगले अंक का इंतजार रहेगा.रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39060721057561455512011-04-07T21:40:59.521+05:302011-04-07T21:40:59.521+05:30उपन्यास विधा के मूर्धन्य लेखकों और उनकी कृतियों के...उपन्यास विधा के मूर्धन्य लेखकों और उनकी कृतियों के बारे में ये लेखमाला बहुत ज्ञानपरक है . आभार .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18556176622611979332011-04-07T21:05:44.956+05:302011-04-07T21:05:44.956+05:30तिलिस्म,जासूसी और इतिहास- सब विचार के अंग हैं। भाव...तिलिस्म,जासूसी और इतिहास- सब विचार के अंग हैं। भाव इन सबसे पृथक् होता है। विचार अल्पजीवी होते हैं,भाव स्थायी।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-54256105914286169572011-04-07T20:04:47.105+05:302011-04-07T20:04:47.105+05:30सभी तरह के उपन्यासों के बारे में विस्तृत और अच्छी ...सभी तरह के उपन्यासों के बारे में विस्तृत और अच्छी जानकारी भरा आलेख ..आभार.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.com