tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post7547540682883643802..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: तेरे उपदेशों कोराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-4644835644154168612010-10-02T23:41:41.461+05:302010-10-02T23:41:41.461+05:30जरुरत एक गाँधी की इन प्रश्नों का जबाब देने के लिए....जरुरत एक गाँधी की इन प्रश्नों का जबाब देने के लिए.<br />सार्थक रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-79526476996523780092010-10-02T22:21:11.809+05:302010-10-02T22:21:11.809+05:30गाँधी जी के दिखाए रास्ते पर चल कर हम आज भी अपने वर...गाँधी जी के दिखाए रास्ते पर चल कर हम आज भी अपने वर्तमान हाल को सुधार सकते हैं लेकिन हमारी और विश्व की बदलती हुई मानसिकता ने उसे नकार दिया है. वे कालातीत आदर्श से हो गए हैं . देश की दुर्दशा तो देख कर हम रो रहे हैं उन्होंने तो इसके लिए जीवन ही अर्पित कर दिया था. कविता में ढाल कर बहुत सारी बात कह दीं हैं.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-66527938836647121282010-10-02T20:41:34.375+05:302010-10-02T20:41:34.375+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम मांस...<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><b>तुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ,<br />तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन !<br />तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन,<br />आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।<br /></b> <br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/10/blog-post_3955.html" rel="nofollow"> कोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-37307346158743836342010-10-02T18:39:08.208+05:302010-10-02T18:39:08.208+05:30चले गये तुम क्यों बापू
ऐसे उँचे आदर्श छोड़ कर
इन आ...चले गये तुम क्यों बापू<br />ऐसे उँचे आदर्श छोड़ कर<br />इन आदर्शों की चिता जली है<br />आदर्शवाद का खोल ओढ़ कर ।<br />बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना। बापू जी व लालबहादुर शास्त्री जी को शत शत नमन।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-62217076117734417162010-10-02T14:15:19.316+05:302010-10-02T14:15:19.316+05:30गांधी सदा से ही सामयिक रहे हैं बस हमें ही फ़ुर्सत ...गांधी सदा से ही सामयिक रहे हैं बस हमें ही फ़ुर्सत नहीं उधर देखने की.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-14061257098723110042010-10-02T13:44:19.940+05:302010-10-02T13:44:19.940+05:30बहुत सार्थक और सारगर्भित कविता संगीता जी ! कुछ ऐसे...बहुत सार्थक और सारगर्भित कविता संगीता जी ! कुछ ऐसे ही मेरे मनो भावों को आज 'कहाँ हो तुम बापू" में 'सुधीनामा' में पढ़िए ! आज हर व्यक्ति बापू के सामने शर्मिन्दा है कि हम उनके उच्च आदर्शों की विरासत की रक्षा नहीं कर पाए ! मुझे आदरणीय शरद जोशी जी के एक व्यंग लेख की बात याद आ रही है उसका आशय था कि जब निजी स्वार्थों के हित बापू के बताए सिद्धांतों के मार्ग पर चलना संभव नहीं रह गया तो हर शहर में एक मुख्य मार्ग का नाम महात्मा गांधी रोड रख दिया गया ताकि यह भ्रम बनारहे कि सारा भारत महात्मा गांधी के मार्ग पर चल रहा है ! आज की परिस्थितियों और परिवेश में उनका यह लेख कितना प्रासंगिक है यह आप भी अनुभव करती होंगी ! लाजवाब कविता के लिये बधाई !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58862509264120549982010-10-02T13:40:18.779+05:302010-10-02T13:40:18.779+05:30सार्थक प्रश्न उठाती लयबद्ध कविता सोचने को मजबूर कर...सार्थक प्रश्न उठाती लयबद्ध कविता सोचने को मजबूर करती है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-72722427719175332532010-10-02T13:03:08.662+05:302010-10-02T13:03:08.662+05:30ओ ! जनता के नेताओं
तुम क्यों नही कुछ बोलते हो ?
क्...ओ ! जनता के नेताओं<br />तुम क्यों नही कुछ बोलते हो ?<br />क्या गाँधी टोपी से ही केवल<br />ऊँचे आदर्शों को तोलते हो ।<br />bahut hi badhiyaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-19254290317407540652010-10-02T12:59:39.064+05:302010-10-02T12:59:39.064+05:30संगीता दी,
आज आपकी कविता पढकर पताचला कि हमने क्याक...संगीता दी,<br />आज आपकी कविता पढकर पताचला कि हमने क्याक्या खोया है!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81593125317258236402010-10-02T12:08:56.539+05:302010-10-02T12:08:56.539+05:30बहत ही सार्थक, कविता बिलकुल सामयिकबहत ही सार्थक, कविता बिलकुल सामयिकrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-48389714563177913922010-10-02T10:34:15.963+05:302010-10-02T10:34:15.963+05:30बहुत सार्थक कविता|बहुत सार्थक कविता|ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51419930773638878802010-10-02T10:23:17.238+05:302010-10-02T10:23:17.238+05:30बहुत अच्छे से लय बद्ध की गयी सामयिक रचना पर बहुत ब...बहुत अच्छे से लय बद्ध की गयी सामयिक रचना पर बहुत बहुत बधाई.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89229571444134277092010-10-02T10:10:26.831+05:302010-10-02T10:10:26.831+05:30गांधीवाद की नितांत आवश्यकता है आज हिंदुस्तान के लि...गांधीवाद की नितांत आवश्यकता है आज हिंदुस्तान के लिए . भ्रष्टाचार और हिंसा रूपी शैतान मुह बाये खड़ा है देश को निगल लेने को , कही धर्म के नाम पर तो कही क्षेत्रवाद के नाम पर . आपके उठाये प्रश्न अनुत्तरित है और गाँधी के पुनः अवतरण की बात जोह रहे है .आभारashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-43758857712749593702010-10-02T09:38:15.832+05:302010-10-02T09:38:15.832+05:30बहुत सार्थक कविता|
बापू को शत- शत नमन|बहुत सार्थक कविता|<br /><br />बापू को शत- शत नमन|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-10382548392257666862010-10-02T09:25:05.537+05:302010-10-02T09:25:05.537+05:30समसामयिक प्रश्नों को उठाती यह कविता सार्थक है।
बाप...समसामयिक प्रश्नों को उठाती यह कविता सार्थक है।<br />बापू को शत-शत नमन!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com