tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post778113360436455950..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: हथौड़ा अभी रहने दो – अज्ञेयराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-74212067428232715692012-05-03T22:19:11.076+05:302012-05-03T22:19:11.076+05:30सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय जी की खूबसूरत...सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय जी की खूबसूरत रचना पढाने का बहुत २ शुक्रिया |Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64355215313254465392012-04-27T18:42:22.158+05:302012-04-27T18:42:22.158+05:30हथौड़ा अभी रहने दो :
आओ, हमारे साथ वह आग जलाओ
जिस ...हथौड़ा अभी रहने दो :<br />आओ, हमारे साथ वह आग जलाओ<br />जिस में से हम फिर अपनी अस्थियाँ बीन कर लाएंगे,<br />तभी हम वह अस्त्र बना पाएंगे<br />जिस के सहारे<br />हम अपना स्वत्व – बल्कि अपने को पाएंगे।<br /><br />निशब्द हूं... उम्दा ... आभार !!Dr Xitija Singhhttps://www.blogger.com/profile/16354282922659420880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-50541621271230063992012-04-27T13:21:29.140+05:302012-04-27T13:21:29.140+05:30अज्ञेय जी की कविता पढ़वाने के लिए बहुत बहुत आभार !...अज्ञेय जी की कविता पढ़वाने के लिए बहुत बहुत आभार !Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75473394660561542012012-04-27T01:54:10.607+05:302012-04-27T01:54:10.607+05:30आभार इस कविता के लिये !आभार इस कविता के लिये !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-38480762903072673972012-04-26T18:21:57.476+05:302012-04-26T18:21:57.476+05:30महाकवि अज्ञेय की इस श्रेष्ठ कृति को पढवाने के लिये...महाकवि अज्ञेय की इस श्रेष्ठ कृति को पढवाने के लिये आभार!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-71450473065761086682012-04-26T15:56:33.076+05:302012-04-26T15:56:33.076+05:30इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए आभारइस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-23066964450777786072012-04-26T12:34:18.004+05:302012-04-26T12:34:18.004+05:30आपकी पोस्ट कल 26/4/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत क...आपकी पोस्ट कल 26/4/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है<br />कृपया पधारें<br /><a href="http://charchamanch.blogspot.in/2012/04/861.html" rel="nofollow"><br />चर्चा - 861:चर्चाकार-दिलबाग विर्क</a>दिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-86876508538866550852012-04-26T09:52:01.128+05:302012-04-26T09:52:01.128+05:30बेहतरीन कविता पढ़वाने के लिए आभारबेहतरीन कविता पढ़वाने के लिए आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-36692750504761035782012-04-26T08:50:34.817+05:302012-04-26T08:50:34.817+05:30श्रधेय अज्ञेय जी का जीवन के प्रति वात्सल्य , मोह ,...श्रधेय अज्ञेय जी का जीवन के प्रति वात्सल्य , मोह , किसी भी अतिवादिता को पार कर सार्थक सुखद स्वरुप देने का यत्न ही, उनको आदर्श बनाता है अग्रणी विचारों में .....कालजयी कवि की कालजयी कविता , नमन आप दोनों को ....udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-50508625309891007032012-04-26T00:55:28.790+05:302012-04-26T00:55:28.790+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार ...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 19 -04-2012 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/" rel="nofollow"> .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....आईने से सवाल क्या करना .</a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-29765398293191281642012-04-25T21:47:34.492+05:302012-04-25T21:47:34.492+05:30हथौड़ा अभी रहने दो :
आओ, हमारे साथ वह आग जलाओ
जिस ...हथौड़ा अभी रहने दो :<br />आओ, हमारे साथ वह आग जलाओ<br />जिस में से हम फिर अपनी अस्थियाँ बीन कर लाएंगे,<br />तभी हम वह अस्त्र बना पाएंगे<br />जिस के सहारे<br />हम अपना स्वत्व – बल्कि अपने को पाएंगे।<br /><br />एक सैनिक होने के नाते अज्ञेय जी अपनी कविताओं में मानव मन के अस्तित्व-बोध को सर्वदा साक्षात्कार कराने में समर्थ रहे हैं । उनकी उपर्युक्त पक्तियां मानव- अस्तित्व के तलाश की परिचायक हैं । उनकी यह कविता एवं आपका चयन प्रसंशनीय है । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-73189187067802271562012-04-25T18:43:08.975+05:302012-04-25T18:43:08.975+05:30अभी आग की ही जरुरत है ..
बहुत ही सुन्दर .अभी आग की ही जरुरत है ..<br />बहुत ही सुन्दर .shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-15238660553540714982012-04-25T18:37:52.324+05:302012-04-25T18:37:52.324+05:30सादर नमन ।।सादर नमन ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-69372547893715484022012-04-25T16:11:23.863+05:302012-04-25T16:11:23.863+05:30हथौड़ा अभी रहने दो !
हथियारों की बात से बचना ही ठ...हथौड़ा अभी रहने दो !<br /><br />हथियारों की बात से बचना ही ठीक है <br />वर्ना अस्थि बचेगी न पंजर।<br />जब चलेंगे हर ओर बस ख़ंजर ही ख़ंजर।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14977522816969250970noreply@blogger.com