tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post7904772399746490549..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: नाटक साहित्य – प्रसाद युगराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18447489270639303252011-08-12T14:42:39.257+05:302011-08-12T14:42:39.257+05:30बहुत बढ़िया जानकारी मिली! आभार!बहुत बढ़िया जानकारी मिली! आभार!vidhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-12402191904744545802011-08-12T11:14:32.556+05:302011-08-12T11:14:32.556+05:30चंदन जी आपने सही ध्यान दिलाया। सुधार कर दिया हूं।चंदन जी आपने सही ध्यान दिलाया। सुधार कर दिया हूं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-28139149291215468752011-08-12T10:24:46.592+05:302011-08-12T10:24:46.592+05:30आप हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में अन्तर्जाल पर अच्छ...आप हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में अन्तर्जाल पर अच्छा काम कर रहे हैं। मैंने तो सुना है कि भारतेंदु जी 1850-1885 तक रहे। फिर इनके तीन साल बाद 1888 में जन्म होना चाहिए प्रसाद का जबकि आप 1890 लिख रहे हैं। तीसरे अनुच्छेद में डाक्टर वाली पँक्ति में पर की जगह अर हो गया है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3330868768147184192011-08-12T08:47:33.777+05:302011-08-12T08:47:33.777+05:30जयशंकर प्रसाद जी अपने पारिवारिक जीवन में सुखी नही ...जयशंकर प्रसाद जी अपने पारिवारिक जीवन में सुखी नही रहते हुए भी हिंदी साहित्य के प्रति अपने अतर्मन में रचे बसे भावों को रोक नही सके । भारतेंदु जी के नाटकों का प्रभाव इनकी मानसिक संकल्पना को एक नई दशा और दिशा दी । एक ओर भारतेंदु युग के नाटक और दूसरी और तदयुगीन अंग्रेजी नाटकों के बढ़ते वर्चस्व एवं लोकप्रियता के बीच इस महान साहित्यकार ने मध्यम मार्ग का सहारा लेकर अपनी लेखनी को नाट्य-विधा की और अग्रसरित किया। फलस्वरूप, हिंदी साहित्य में एक नूतन युग के सृजन-काल की परिणति हुई । इन्होंने अपने जीवन में घोर निराशा के क्षणों में भी आशा और विश्वाश की किरण को जाज्वल्यमान बनाए रखा । एक प्रबुद्ध साहित्यकार के बारे में प्रस्तुत जानकारी किसी भी साहित्यनुरागी के लिए ज्ञानपरक सिद्ध होगी। अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा। <br />धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-48904830699726504062011-08-12T07:44:04.048+05:302011-08-12T07:44:04.048+05:30नाटक विधा के प्रारंभ के बारे में विस्तृत जानकारी द...नाटक विधा के प्रारंभ के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आपका आभारकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.com