tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post8266427808653959888..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: ज़िंदगी और असमानंतर रेखाएंराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-6714112746762631892011-06-06T23:06:36.884+05:302011-06-06T23:06:36.884+05:30और दौड जाती है
बिना पटरियों के भी .
ज़िंदगी भी त...और दौड जाती है <br />बिना पटरियों के भी . <br />ज़िंदगी भी तो <br />अपना गंतव्य <br />पा ही जाती है ......haan ekdam theek kaha.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64888891440328983992011-06-06T21:51:34.639+05:302011-06-06T21:51:34.639+05:30शानदार प्रस्तुति - हार्दिक बधाईशानदार प्रस्तुति - हार्दिक बधाईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-47999928127510085522011-06-06T19:31:05.699+05:302011-06-06T19:31:05.699+05:30रेल की पटरी और जिंदगी, सर्पीले मोड़ो से सावधानी से...रेल की पटरी और जिंदगी, सर्पीले मोड़ो से सावधानी से गुजर जाए तो अच्छा .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-54253561676015084312011-06-06T17:45:00.105+05:302011-06-06T17:45:00.105+05:30ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में यही चिन्ता सर्वोपरि रहती ...ज़िन्दगी की भाग-दौड़ में यही चिन्ता सर्वोपरि रहती है कि किसी तरह ज़िन्दगी की गाड़ी पटरी पर रहे।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-32164258252112532182011-06-06T17:27:40.291+05:302011-06-06T17:27:40.291+05:30जिंदगी असमांतर रेखाओं की वजह से ही रुचिकर बनी हुई ...जिंदगी असमांतर रेखाओं की वजह से ही रुचिकर बनी हुई है!...सीधी सपाट रेल गाडी की तरह भागने वाली जिंदगी शायद बोरियत ही पैदा करती!..आपने बहुत सुंदर विषय चुना है..सुंदर कविता, धन्यवाद!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-50277869988101141452011-06-06T13:25:18.834+05:302011-06-06T13:25:18.834+05:30सार्थक अभिव्यक्ति ! लेकिन कभी कभी इस गंतव्य तक पहु...सार्थक अभिव्यक्ति ! लेकिन कभी कभी इस गंतव्य तक पहुँचने के लिये सारा जीवन छोटा क्यों लगने लगता है ! बहुत ही सुन्दर रचना !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89430302129764558972011-06-06T13:06:31.068+05:302011-06-06T13:06:31.068+05:30बेहतरीन अभिव्यक्ति. जीवन जीने की प्रेरणा देतीबेहतरीन अभिव्यक्ति. जीवन जीने की प्रेरणा देतीरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-38329072839759266092011-06-06T12:56:37.794+05:302011-06-06T12:56:37.794+05:30बात तो ठीक ही है.रेल को दौड़ने के लिए पटरियां ,पहि...बात तो ठीक ही है.रेल को दौड़ने के लिए पटरियां ,पहिये ,इंजन चालक आदि चाहिए होते हैं. और जिंदगी की गाड़ी भी कई साधनों और माध्यमों पर टिकी होती है.<br />बहुत सुन्दर रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64289382847622069682011-06-06T12:51:07.203+05:302011-06-06T12:51:07.203+05:30रेल और जीवन की तुलना कुछ हद तक सही ही है, लेकिन जि...रेल और जीवन की तुलना कुछ हद तक सही ही है, लेकिन जिन्दगी की गाड़ी कभी समान और कभी समान रास्तों और पहियों के साथ इसी लिए चलती रहती है क्योंकि जिन्दगी में जीवित अहसास और भावनाएं है , वे झुकाना , मुड़ना और खुद को समायोजित करना भी जानती हैं . तभी सफल है और रेल को सब कुछ बना बनाया मिलता है .रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75812361286735718592011-06-06T12:32:01.382+05:302011-06-06T12:32:01.382+05:30ज़िन्दगी में भी तो समानान्तरता विद्यमान है .उसी का...ज़िन्दगी में भी तो समानान्तरता विद्यमान है .उसी का होना गति को यथावत् रखता है ,वह भंग हुई कि हुआ एक्सीडेन्ट!प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-36374753612911139042011-06-06T10:56:11.556+05:302011-06-06T10:56:11.556+05:30यही ज़िन्दगी का सच है……………सुन्दर रचना।यही ज़िन्दगी का सच है……………सुन्दर रचना।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-38040393097950042492011-06-06T10:35:41.958+05:302011-06-06T10:35:41.958+05:30ज़िंदगी को दौड़ाने के लिए रेल की पटरियाँ!
--
वाह...<b>ज़िंदगी को दौड़ाने के लिए रेल की पटरियाँ! <br />-- <br />वाह! कितनी अनूठी कल्पना है!</b>रावेंद्रकुमार रविhttps://www.blogger.com/profile/15333328856904291371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89287762376695406752011-06-06T10:14:31.115+05:302011-06-06T10:14:31.115+05:30बिना पटरियों के भी .
ज़िंदगी भी तो
अपना गंतव्य
...बिना पटरियों के भी . <br />ज़िंदगी भी तो <br />अपना गंतव्य <br />पा ही जाती है ....bahut sare hausle jaga gai...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53379592262881899672011-06-06T09:20:47.621+05:302011-06-06T09:20:47.621+05:30रेल की पटरियों का उपमान ज़िंदगी में समरसता और समान...रेल की पटरियों का उपमान ज़िंदगी में समरसता और समानता का प्रतीक दिखाकर अच्छा संदेश दिया है।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70437447497389035582011-06-06T09:09:42.375+05:302011-06-06T09:09:42.375+05:30ज़िंदगी भी तो
अपना गंतव्य
पा ही जाती है ....
...ज़िंदगी भी तो <br />अपना गंतव्य <br />पा ही जाती है .... <br /><br /><br />वाह ...रेल से प्रेरणा पाती ज़िन्दगी की गाड़ी .....!!<br />बहुत सुंदर रचना ...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-17955686107082564702011-06-06T08:32:01.974+05:302011-06-06T08:32:01.974+05:30जिन्दगी की दोनों पटरियां पति और पत्नी है तथा इनक...जिन्दगी की दोनों पटरियां पति और पत्नी है तथा इनकी रेल है बच्चे। बच्चों के सहारे से ही इनके मध्य पुल का निर्माण होता है और दौड़ पड़ती है रेल के साथ पटरियां भी।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-12463034256520822452011-06-06T07:55:52.257+05:302011-06-06T07:55:52.257+05:30उम्दा रचनाउम्दा रचनाUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-77483355428452581892011-06-06T07:31:15.786+05:302011-06-06T07:31:15.786+05:30एक फर्क है.
ज़िन्दगी अपनी बुद्धि से दौड़ती है और र...एक फर्क है.<br />ज़िन्दगी अपनी बुद्धि से दौड़ती है और रेल दूसरे की बुद्धि से.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61634849703968838632011-06-06T06:40:21.910+05:302011-06-06T06:40:21.910+05:30खूबसूरत कविता... रेखों के बहाने रिश्तों का चित्रण....खूबसूरत कविता... रेखों के बहाने रिश्तों का चित्रण...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com