tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post9057580968888462027..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: ले चल मुझे भुलावा देकरराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-87756388319102885192019-07-07T09:18:33.354+05:302019-07-07T09:18:33.354+05:30यह रचना किस कृति में संग्रहित है ?यह रचना किस कृति में संग्रहित है ?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00299016553717661983noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-13526736847109718482018-12-02T23:45:57.229+05:302018-12-02T23:45:57.229+05:30इसका अनुवाद बताइय।
इसका अनुवाद बताइय।<br />ROHIT SHARMAhttps://www.blogger.com/profile/03259752812906243903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51453974426627041172012-05-16T00:15:10.468+05:302012-05-16T00:15:10.468+05:30जिस निर्जन में सागर लहरी
अम्बर के कानों में गहरी ...जिस निर्जन में सागर लहरी<br /><br />अम्बर के कानों में गहरी --<br /><br />निश्छल प्रेम-कथा कहती हो,<br /><br />तज कोलाहल की अवनी रे! <br />......<br /> अनुपम है ये रचनाAnjani Kumarhttps://www.blogger.com/profile/02137522297518614325noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-57091406811780589732011-10-05T19:40:57.853+05:302011-10-05T19:40:57.853+05:30प्रसाद जी की कविता पढवाने के लिये धन्यवाद।प्रसाद जी की कविता पढवाने के लिये धन्यवाद।Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-83901100392242333012011-10-04T23:53:34.914+05:302011-10-04T23:53:34.914+05:30बहुत दिन बाद प्रसाद जी की यह सुंदर रचना पढ़ाने का ...बहुत दिन बाद प्रसाद जी की यह सुंदर रचना पढ़ाने का आभार।देवेंद्रhttps://www.blogger.com/profile/13104592240962901742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-1844413325265898482011-10-04T23:03:42.643+05:302011-10-04T23:03:42.643+05:30इस सुन्दर रचना से पुनः परिचित करवाने का आभारइस सुन्दर रचना से पुनः परिचित करवाने का आभारrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-41734076758272439162011-10-04T21:08:32.878+05:302011-10-04T21:08:32.878+05:30बहुत सुन्दर..आभार ..बहुत सुन्दर..आभार ..shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-54732654385875199192011-10-04T19:07:13.451+05:302011-10-04T19:07:13.451+05:30जयशंकर प्रसाद जी की कविता "ले चल मुझे भुलावा ...जयशंकर प्रसाद जी की कविता "ले चल मुझे भुलावा देकर मेरे नाविक धारे -धारे " एक ऐसे सत्य को उदभाषित करती है जिसकी दार्शनिक भाव-बोध की चाह हर संवेदनशील हृदय की चाह होती है ।. यह बात जिगर है कि हम उन कल्पनाओं के सहारे जी न सकें किंतु सत्य से विमुख होकर एक अलौकिक संसार में तो जी सकते हैं । कवि अपनी कल्पना लोक में जीता है एवं वह किसी अन्य की दुनिया से सरोकार नही ऱखता । प्रसाद जी की दुनिया ही अलग थी एवं उनकी दुनिया में जीना एक बहुत बड़ी बात है । .काश! !.आज के साहित्य प्रेमियों को वह कल्पना -लोक मिल पाता । उनकी इस रचना को प्रस्तुत करने को लिए धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70656595255972279892011-10-04T19:00:38.405+05:302011-10-04T19:00:38.405+05:30छोटी से अभिव्यक्ति का कितना व्यापक भाव !छोटी से अभिव्यक्ति का कितना व्यापक भाव !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-43287650528661077262011-10-04T17:16:00.603+05:302011-10-04T17:16:00.603+05:30abhar ..sunder rachna ke liye ...abhar ..sunder rachna ke liye ...Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-28860553241804792372011-10-04T16:15:00.446+05:302011-10-04T16:15:00.446+05:30प्रसाद जी की सुन्दर रचना पढवाने के लिये आभार्।प्रसाद जी की सुन्दर रचना पढवाने के लिये आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-55845363712399042282011-10-04T16:11:25.638+05:302011-10-04T16:11:25.638+05:30प्रसाद जी की सुंदर रचना।प्रसाद जी की सुंदर रचना।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com