tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post931955411523119181..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: न रंगा सियार बने, न मेढक बने, अनुवादक बने !राजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51940775306942966562011-12-01T08:07:59.051+05:302011-12-01T08:07:59.051+05:30संतोष कुमार जी, आपके विचारों से मैं पूर्ण रूप ले स...संतोष कुमार जी, आपके विचारों से मैं पूर्ण रूप ले सहमत हूँ लेकिन विडंबना यह है कि आपने धनात्मक मानसिक संकल्पनाओं को ही तरजीह दिया है । संक्षिप्त में यही कहूँगा कि मनोबल नाम की कोई चीज है । इसके आभाव में हम कुंठित मानसिकता के शिकार हो जाते हैं । अंत में, स्मरणीय यह है कि -"Water always goes down" .प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-57977123690711790052010-11-12T11:11:30.456+05:302010-11-12T11:11:30.456+05:30आपके लेख से पूरी तरह सहमत हु , आपने बहुत प्रभावी ढ...आपके लेख से पूरी तरह सहमत हु , आपने बहुत प्रभावी ढंग से अपनी बात को रखा है ... मुझे ऐसा लगता है की नियुक्ति के समय ही हिंदी में काम करने की अनिवार्यता सर्कार द्वारा होनि चाहिए .. रोजगार की जरूरत सब सिखा देती है वरना अच्छी तरह हिंदी जानने वाले भी हिंदी में काम नहीं करना चाहते और यह कह कर पल्ला झाड़ लेते है की हमें हिंदी नहीं आती ...स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-23302837825896228172010-11-10T20:00:31.230+05:302010-11-10T20:00:31.230+05:30आपकी चिंता जायज़ है।आपकी चिंता जायज़ है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-10239736870925129662010-11-10T17:51:50.708+05:302010-11-10T17:51:50.708+05:30यही बात तो समझनी अच्छा लेख, शुभकामनाएंयही बात तो समझनी अच्छा लेख, शुभकामनाएंSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-6008224403181169362010-11-10T17:04:58.638+05:302010-11-10T17:04:58.638+05:30ज़रूरी आलेख बधाई
भाग्यज़रूरी आलेख बधाई<br /><a href="http://sanskaardhani.blogspot.com/2010/11/blog-post_10.html/" rel="nofollow">भाग्य</a>बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89829434202847599612010-11-10T16:06:39.600+05:302010-11-10T16:06:39.600+05:30संतोष भाई, आपका कहने का ढंग पसंद आया। मनोज जी का आ...संतोष भाई, आपका कहने का ढंग पसंद आया। मनोज जी का आभार, इस सुंदर लेख को हम तक पहुंचाने का।<br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">ब्लॉगर पंच बताएं, विजेता किसे बनाएं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-37825218689576901152010-11-10T11:49:28.996+05:302010-11-10T11:49:28.996+05:30उदाहरणों के साथ दिया अच्छा लेखउदाहरणों के साथ दिया अच्छा लेखसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-44132292870441798942010-11-10T09:28:38.908+05:302010-11-10T09:28:38.908+05:30अच्छा आलेख . सुंदर प्रस्तुतिकरण. हमें इस विडम्बना ...अच्छा आलेख . सुंदर प्रस्तुतिकरण. हमें इस विडम्बना पर भी ध्यान देना होगा कि केन्द्र के स्तर पर राज-भाषा हिन्दी के लिए अलग से विभाग होने के बावजूद ,आज भी केन्द्रीय मंत्रालयों से राज्य-सरकारों को भेजे जाने वाले अधिकाँश परिपत्र अंग्रेजी में होते हैं. इससे अनुवाद कर उनका जवाब तैयार करने और भेजने में काफी वक्त लग जाता है. केन्द्रीय मंत्रालयों से देश के भीतर होने वाला हर सरकारी पत्र-व्यवहार राज-भाषा हिन्दी सहित राज्यों की भाषाओं में भी होना चाहिए. अंग्रेज तो चले गए पर यह दुखद है कि अंग्रेजियत छोड़ गए. राज-भाषा हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉग जैसे आधुनिक माध्यम का आप सार्थक उपयोग कर रहे है. यह देख कर अच्छा लगता है . आभारSwarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-28145626815035524182010-11-10T09:28:09.201+05:302010-11-10T09:28:09.201+05:30अच्छा आलेख . सुंदर प्रस्तुतिकरण. हमें इस विडम्बना ...अच्छा आलेख . सुंदर प्रस्तुतिकरण. हमें इस विडम्बना पर भी ध्यान देना होगा कि केन्द्र के स्तर पर राज-भाषा हिन्दी के लिए अलग से विभाग होने के बावजूद ,आज भी केन्द्रीय मंत्रालयों से राज्य-सरकारों को भेजे जाने वाले अधिकाँश परिपत्र अंग्रेजी में होते हैं. इससे अनुवाद कर उनका जवाब तैयार करने और भेजने में काफी वक्त लग जाता है. केन्द्रीय मंत्रालयों से देश के भीतर होने वाला हर सरकारी पत्र-व्यवहार राज-भाषा हिन्दी सहित राज्यों की भाषाओं में भी होना चाहिए. अंग्रेज तो चले गए पर यह दुखद है कि अंग्रेजियत छोड़ गए. राज-भाषा हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉग जैसे आधुनिक माध्यम का आप सार्थक उपयोग कर रहे है. यह देख कर अच्छा लगता है . आभारSwarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39352120070339710102010-11-10T07:54:23.069+05:302010-11-10T07:54:23.069+05:30Khud hi Translator hun sab kuchh janata hun.Aapke ...Khud hi Translator hun sab kuchh janata hun.Aapke dukh dard aaur chinta se bahut hi prabhvit hun.Is gambhir samasya par dhyan nahi diya ja raha hai.parinam labhprad nahi hoga. Koi bat nahi -Hame to Rajdhasha hindi ki surabhi ko chaturdik failana hai. woh hum karate jayenge.प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-48891167755105182082010-11-10T06:33:01.851+05:302010-11-10T06:33:01.851+05:30आपकी चिंता सही है जो भी व्यक्ति हिंदी का हिमायती ह...आपकी चिंता सही है जो भी व्यक्ति हिंदी का हिमायती होगा निश्चित ही वो आज के हिंदी के (छदम) प्रचारकों की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं होगा ...अफसरशाही के लिए हिंदी रोजगार का साधन तो है पर प्रचार का नहीं, वास्तविकता में उन्हें हिंदी के प्रचार की अपेक्षा अपने हितों की जयादा चिंता रहती है .... आवश्यकता तो इस बात की है की हम मिलजुल कर हिंदी भाषा के लिए कार्य करें ...पर वर्तमान हालातों को देखकर यह कहना थोडा अटपटा लगता ...क्योंकि जब तक हमारे पास अपनी -अपनी डपली है ..तब तक राग भी अपने -अपने होंगे , सही दिशा में प्रयास किया है ...शुभकामनायेंकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.com