tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post1114068148474477577..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: साहित्यकार-४ :: कवि सम्राट सुमित्रानंदन पंत – प्रकृति के सुकुमार कविराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-24287315433510267112023-07-13T12:29:26.409+05:302023-07-13T12:29:26.409+05:30बहुत ही सरल और सुंदर ढंग से आपने यह सामग्री पेश की...बहुत ही सरल और सुंदर ढंग से आपने यह सामग्री पेश की है। आपकी लेखनी का जादू छूने वाला है। मेरा यह लेख भी पढ़ें <a href="https://devbhumiuk.in/sumitranandan-pant-biography/" rel="nofollow">सुमित्रानंदन पंत जीवन परिचय.</a>Surjeethttps://www.blogger.com/profile/05619599379190501021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-42525998050414836502021-02-16T12:14:10.728+05:302021-02-16T12:14:10.728+05:30Shukl ji neShukl ji neAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14745635257221873689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-45680387698538874972015-12-30T22:39:12.169+05:302015-12-30T22:39:12.169+05:30पंत को सुकुमार कवि किसने कहापंत को सुकुमार कवि किसने कहाsuryahttps://www.blogger.com/profile/01965231632843770709noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-24976097639937355342010-10-06T00:12:28.612+05:302010-10-06T00:12:28.612+05:30पन्त जी की रचनाओं में छायावाद की सर्वाधिक विशेषताए...पन्त जी की रचनाओं में छायावाद की सर्वाधिक विशेषताएं मिलतीं हैं ---मूर्त के लिये अमूर्त उपमान (उच्चाकांक्षाओं से तरुवर), चित्रात्मकता (सैकत-शैया पर दुग्ध--धवल ,तन्वंगी गंगा ग्रीष्म विरल लेटी है श्रान्त,क्लान्त, निश्चल), ध्वन्यात्मकता (सन्ध्या का झुटपुट....) आदि..। भाषा की कोमलता तो सर्वत्र दिखाई देती ही है ।पन्त जी की सुकुमारता को भारती जी ने-- गुलीवर की तीसरी यात्रा -में बखूबी दर्शाया है । यह आलेख पढ कर अच्छा लगा ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-43326456099091518842010-10-05T06:51:40.247+05:302010-10-05T06:51:40.247+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
योगदान!...<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/10/blog-post_05.html" rel="nofollow">योगदान!, सत्येन्द्र झा की लघुकथा, “मनोज” पर, पढिए! </a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58695827520188575982010-10-04T23:35:48.929+05:302010-10-04T23:35:48.929+05:30भूला बचपन लौटा दिया आपने...स्कूल में पढी इस कविता ...भूला बचपन लौटा दिया आपने...स्कूल में पढी इस कविता से बचपन बँधा है..पंत जी पर यह प्र्स्तुति संग्रहणीय है!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53155314883758704202010-10-04T22:46:01.081+05:302010-10-04T22:46:01.081+05:30पन्त जी के बारे पुनर्स्मरण करवा कर आपने बहुत ...पन्त जी के बारे पुनर्स्मरण करवा कर आपने बहुत अच्छा किया . ये कवि और लेखक जब पहले पढ़े थे तो विषय समझ कर लेकिन अब इनकी एक एक कविता गहराई का अहसास देती है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53347826113419470152010-10-04T22:44:51.610+05:302010-10-04T22:44:51.610+05:30यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का;
चिर हास-...यह साँझ-उषा का आँगन,<br />आलिंगन विरह-मिलन का;<br />चिर हास-अश्रुमय आनन<br />रे इस मानव-जीवन का!<br />Behad sundar...tazagi bhara!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85215923804619194032010-10-04T20:51:38.380+05:302010-10-04T20:51:38.380+05:30शुक्रिया पन्त जी की जानकारी देकर धन्य कर दिया.शुक्रिया पन्त जी की जानकारी देकर धन्य कर दिया.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-5877342074012229282010-10-04T17:55:01.902+05:302010-10-04T17:55:01.902+05:30कौसानी में पंत जी का घर मानो हिमालय के समानान्तर ब...कौसानी में पंत जी का घर मानो हिमालय के समानान्तर बसा है। एक ओर बर्फीली चोटियों का विहंगम दृश्य और इधर बीच में घाटी का अथाह विस्तार। यह दृश्य इतना मनोहारी है कि गांधीजी ने कौसानी को भारत का स्विटजरलैंड कहा था। ऐसी सुरम्य वादियों के कवि को प्रकृति-प्रेमी होना ही था।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-80962182846945961782010-10-04T17:53:14.656+05:302010-10-04T17:53:14.656+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-35500619488549618462010-10-04T15:57:45.636+05:302010-10-04T15:57:45.636+05:30पंत जी के जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत करान...पंत जी के जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराने के लिये आभार्………………और कविता भी उतनी ही ह्रदयस्पर्शी।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-22335462894760768692010-10-04T14:57:10.375+05:302010-10-04T14:57:10.375+05:30हिन्दी के वर्ड्सवर्थ पन्त जी पर बहुत गहन आलेख.. बह...हिन्दी के वर्ड्सवर्थ पन्त जी पर बहुत गहन आलेख.. बहुत उपयोगी...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-88931542798553180512010-10-04T10:20:25.191+05:302010-10-04T10:20:25.191+05:30सुमित्रानंदन पन्त जी के बारे में बताते हुए उनकी रच...सुमित्रानंदन पन्त जी के बारे में बताते हुए उनकी रचनाओं का जो विश्लेषण किया है वो अद्भुत है ...सुन्दर कविताओं से सजी बहुत अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-27382716159995657562010-10-04T06:26:04.725+05:302010-10-04T06:26:04.725+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
आयी हो त...<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/10/blog-post_04.html" rel="nofollow">आयी हो तुम कौन परी...<br />, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए! </a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18652112753420028122010-10-04T06:18:58.684+05:302010-10-04T06:18:58.684+05:30वैचारिक ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।वैचारिक ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.com