tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post119241877771411998..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: कविता क्या है?राजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-62443709799542242572015-10-19T11:51:01.514+05:302015-10-19T11:51:01.514+05:30कविता जीवन की वह दशा हैं जिसमे अस्तित्व अन्तर्मुखी...कविता जीवन की वह दशा हैं जिसमे अस्तित्व अन्तर्मुखी हुआ जीवन की यथार्थ चेतना से प्रत्यक्ष साक्षात्कार करता हैं ओर यह स्थिति छोटे बड़े रूप मे हर व्यक्ति भोगता हैं ऐसे मे कविता जीवन बन जाती हैं अनुभूति की गहनता विवश हुई शब्दमय होकर कविता बन जाती हैं ।<br />छगन लाल गर्ग।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14068585930378869539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39882484617755256652012-09-26T16:37:01.066+05:302012-09-26T16:37:01.066+05:30ffffffffffffffffffAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85691428463886684982012-04-11T20:25:24.170+05:302012-04-11T20:25:24.170+05:30इस सबके बाद भी प्रश्न तो बही है कविता क्या हैइस सबके बाद भी प्रश्न तो बही है कविता क्या हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85220569343754444552012-02-01T23:30:50.199+05:302012-02-01T23:30:50.199+05:30आभारी हू ,यह साइट मुझे सबसे अच्छा लगा ,साफ़ सुथरी ...आभारी हू ,यह साइट मुझे सबसे अच्छा लगा ,साफ़ सुथरी है ,धन्यवाद ।Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-17793150960505189242010-07-11T23:02:30.774+05:302010-07-11T23:02:30.774+05:30मनोज जी आपने बहुत अच्छा लेख प्रस्तुत किया है..
इस ...मनोज जी आपने बहुत अच्छा लेख प्रस्तुत किया है..<br />इस पर मैं कुछ यूँ कहूँगी..<br /><br />सबसे पहले तो कविता क्या है? ...इसी का जवाब मेरे विचार से ये है की....ह्रदय के ऊपर जमे हुए हमारे कलुष, ईर्ष्या, द्वेष इत्यादि जो विकार होते हैं उनको हटाने और ह्रदय को इन विकारों से मुक्त और निर्मल करने के लिए जिन शब्दों का विधान किया जाता है वो शब्द कविता कहलाते हैं.<br />--इस से आपको कविता का प्रयोजन भी पता चल गया होगा.<br /><br />अब आपकी दूसरी बात पर चलते है.<br /><br /> काव्य एक व्यापक शब्द है जिसके अंतर्गत पूरा सृजनात्मक साहित्य आता है। ...<br /><br />मेरे विचार से...बाह्य या आंतरिक समाज में घटित होने वाली घटनाओं एवं परिवर्तनों को देखकर जो हमारे ह्रदय में आवेग उत्पन्न होते हैं अर्थार्थ समस्त चराचर क्षेत्र के मार्मिक तथ्यों को शब्दों में ढालना कविता रूप हो सकता है और इसीलिए कहा गया है की किसी देश के बाहरी हाल तो हम इतिहास से जान सकते हैं...लेकिन उस समय के आंतरिक भाव उस समय की कविताओ से जाने जा सकते हैं.अतः उस समय अगर ह्रदय उल्लसित होगा तो खुशी की कविताये मानव ह्रदय गायेगा..और इसी प्रकार दुखी मन की छाया भी स्पष्ट रूप से उस समय के कविता सृजन से जनि जा सकती है.<br /><br />और इसीलिए ये जरुरी नहीं होता की जटिल संवेदनाये ही कविता की उत्पत्ति का कारन हो सकती हैं.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84328495033428905172010-07-10T21:16:58.999+05:302010-07-10T21:16:58.999+05:30जिस कविता का समापन कविता के अंतिम अक्षर ता से हो, ...जिस कविता का समापन कविता के अंतिम अक्षर ता से हो, उसे कविता और उसकी संपन्नता माना जाना चाहिए। मैं प्रमाणित करता हूं कि यह मेरा मौलिक विचार है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-19666773716404805032010-07-09T18:02:32.595+05:302010-07-09T18:02:32.595+05:30यह शोध परक आलेख आपके सहज शास्त्रीय शब्दों से और भी...यह शोध परक आलेख आपके सहज शास्त्रीय शब्दों से और भी निखर गया है. इसमें मैं भी एक परिभाषा मिलाना चाहूँगा,<br /><br />'कविता परिपूर्ण क्षणों की वाणी है !' -- सुमित्रानंदन पन्त <br /><br />सुन्दर आलेख ! लेकिन आरम्भ में आप एक शब्द 'औपचारिक' लिखना भूल गए. ये होना चाहिए था, "न मैं साहित्य का 'औपचारिक'विद्यार्थी रहा हूं.........., "<br /><br />हा..हा...हा..हा.... ! <br />धन्यवाद !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-63714367460379053142010-07-09T15:55:09.097+05:302010-07-09T15:55:09.097+05:30"कविता की व्याप्ति इतनी बड़ी हो कि वे जन समान..."कविता की व्याप्ति इतनी बड़ी हो कि वे जन समान्य को समेट सकें"<br /><br />शिक्षाप्रद आलेख के लिए आभारAnonymousnoreply@blogger.com