tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post1730583458263788807..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: देश को ढूंढना है अभी इस प्रश्न का उत्तर !राजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53370502933009899532011-11-09T18:51:17.416+05:302011-11-09T18:51:17.416+05:30ऐसे ही कुछ सवाल मेरे भी मन में उठते हैं....सिर्फ प...ऐसे ही कुछ सवाल मेरे भी मन में उठते हैं....सिर्फ पेट भर जाना ही क्या जिंदगी है...कई लोग बाल श्रम का विरोध नहीं करते कि इस से उन्हें दो वक्त की रोटी तो मिल जाती है...पर जिन हालातों में वे जीवन बसर करते हैं..क्या उसे सही कहा जा सकता है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53865369324274966762011-11-09T16:08:40.652+05:302011-11-09T16:08:40.652+05:30विचारणीय...सार्थक पोस्ट ....विचारणीय...सार्थक पोस्ट ....स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-55202957204091253672011-11-08T23:37:48.828+05:302011-11-08T23:37:48.828+05:30प्रश्न अनुत्तरित है…हर आदमी को इन इलाकों में रहने ...प्रश्न अनुत्तरित है…हर आदमी को इन इलाकों में रहने के लिए कहा जाना चाहिए…ऐसे काम अधिक नहीं तो महीने में एक-दो दिन भी करने के लिए कहा जाना चाहिए ताकि सहानुभूति स्वानूभूति में बदल सके…चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-52263439803771197972011-11-08T17:02:11.171+05:302011-11-08T17:02:11.171+05:30@ दिगम्बर नासवा ने कहा…
..और फिर देश की तरक्की के ...@ दिगम्बर नासवा ने कहा…<br />..और फिर देश की तरक्की के बारे में सोचता हूँ ... क्या सच में देश तरक्की कर रहा है <br /><br />*** दिगम्बर भाई .. देश की कुल 1 अरब 25 करोड़ की आबादी में से 83 करोड़ लोगों को सिर्फ 20 रूपये रोज पर जीने के लिए मजबूर हैं। क्या यही विकास है? क्या यही तरक्क़ी है??मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-30526584319719226432011-11-08T16:56:24.547+05:302011-11-08T16:56:24.547+05:30आओअने जो प्रशन किया है अंतिम पंक्तियों में, उसका म...आओअने जो प्रशन किया है अंतिम पंक्तियों में, उसका मेरा उत्तर यह है ---<br /><br /> लूट, घोटाला, भ्रष्टाचार की क़ीमत बच्चे और ग़रीब जनता अदा कर रही है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-54630149327715600062011-11-08T16:54:35.953+05:302011-11-08T16:54:35.953+05:30ऊपर दिया गया आंकड़ा तस्वीर का एक पहलू है।
दूसरा ...ऊपर दिया गया आंकड़ा तस्वीर का एक पहलू है। <br /><br />दूसरा पहलू यह है<br /><br /><br /> टेलीकॉम घोटाले में अनुमान है कि १,७६,३७९ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।<br /><br /> यह राशि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए दी गई राशि, १३,९०० करोड़ से १३ गुना ज़्यादा है।<br /> यह राशि समेकित बाल विकास योजना के लिए दी गई ७,८०० करोड़ की राशि से २२ गुना ज़्यादा है।<br /> यह राशि, बीपीएल परिवारों सहित सभी भारतीय परिवारों को ३५ किलो अनाज ३ रुपये की दर से उपलब्ध कराने में जितनी राशि की ज़रूरत है, उससे भी ४० हजार करोड़ ज़्यादा है।<br /> यह राशि अगले पांच साल तक देश के बच्चों की शिक्षा के लिए पर्याप्त थी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-79287909297381097492011-11-08T16:52:31.249+05:302011-11-08T16:52:31.249+05:30• सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में दो करोड़ बच्च...• सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में दो करोड़ बच्चे बाल श्रमिक हैं, जबकि गैर सरकारी अंस्थाएं यह तादाद पांच करोड़ मानती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85712624744818945862011-11-08T16:52:09.853+05:302011-11-08T16:52:09.853+05:30थोड़ी सी बात को मैं भी बडः़आ दूं अरुण जी ...
सरकार...थोड़ी सी बात को मैं भी बडः़आ दूं अरुण जी ...<br />सरकारी आंकड़ो पर यदि गौर करे तो बाल श्रमिको की संख्या लगभग 2 करोड़ हैं परन्तु निजी स्रोतों पर गौर करे तो यह लगभग 11 करोड़ से अधिक हैं .मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-21049672328513680702011-11-08T16:12:18.560+05:302011-11-08T16:12:18.560+05:30इस दर्द को करीब से अनुभव कर रहा हूँ अरुण जी ... आप...इस दर्द को करीब से अनुभव कर रहा हूँ अरुण जी ... आपकी और अनेक कलम के माध्यम से ऐसी कितनी ही जिंदगियों के बारे में पढता हूँ ..और फिर देश की तरक्की के बारे में सोचता हूँ ... <br />क्या सच में देश तरक्की कर रहा है ... सेंसेक्स के अलावा तो नज़र कम ही आता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-60793589017906856792011-11-08T15:50:09.076+05:302011-11-08T15:50:09.076+05:30suna tha race ka corporate ticket 7 lack ka tha ....suna tha race ka corporate ticket 7 lack ka tha ..jismein after partys thi or sab kuch unlimitedनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-73434640613804099332011-11-08T14:11:14.125+05:302011-11-08T14:11:14.125+05:30देश में विकास तो बहुत हुआ है . तभी तो ऍफ़ १ रेस भी...देश में विकास तो बहुत हुआ है . तभी तो ऍफ़ १ रेस भी आ गई है जहाँ 35ooo की टिकेट खरीद कर लोग रेस देखते हैं . <br />लेकिन बस १० % लोगों के लिए . <br />बाकि सब तो यूँ ही गुजर बसर करते हैं , मुश्किल से . <br />कहने को प्रजातंत्र है यहाँ .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-1168567656462196632011-11-08T13:10:19.676+05:302011-11-08T13:10:19.676+05:30Sarthak post ke liye badhaiSarthak post ke liye badhaiamrendra "amar"https://www.blogger.com/profile/00750610107988470826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-79217063761610114822011-11-08T10:46:41.246+05:302011-11-08T10:46:41.246+05:30यही सच है असली भारत ऐसे ही जीता है आज भी छोटी फ...यही सच है असली भारत ऐसे ही जीता है आज भी छोटी फक्ट्रियो में लोग १५००- ३००० के बीच काम करते हैं.गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81399763981690184472011-11-08T10:22:06.402+05:302011-11-08T10:22:06.402+05:30विचारणीय मुद्दा ... देश के कर्ता कहाँ ये सब देख पा...विचारणीय मुद्दा ... देश के कर्ता कहाँ ये सब देख पाते हैं ..गरीब की ज़िंदगी कागज पर दिए आंकड़ों से देखते हैं .संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51145008696120873572011-11-08T09:28:28.738+05:302011-11-08T09:28:28.738+05:30ये हजारों ही नहीं लाखों बच्चे प्रकृतिस्थ हैं। इन...ये हजारों ही नहीं लाखों बच्चे प्रकृतिस्थ हैं। इन्हें संस्कार रूपी ना तो शिक्षा मिली और ना ही अन्य जीवनोपयोगी बातें। बस जैसे-तैसे पैसा कमाकर पेट भरना ही इनका कार्य है। जिस देश में ऐसे बच्चों की संख्या निरन्तर बढ़ रही हो उस देश में विकास के आयामों की बात निरर्थक सी ही है। बहुत अच्छा आलेख।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-2456316655148316572011-11-08T08:09:00.501+05:302011-11-08T08:09:00.501+05:30sarthak lekhan ....
lekin koi dhyaan nahin deta in...sarthak lekhan ....<br />lekin koi dhyaan nahin deta in muddon par ...dukh ki baat hai ....Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-9191107412306568522011-11-08T07:57:34.431+05:302011-11-08T07:57:34.431+05:30जब पिछले कुछ महीनो से देश २ ज़ी स्पेक्ट्रम घोटाले, ...जब पिछले कुछ महीनो से देश २ ज़ी स्पेक्ट्रम घोटाले, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर इतनी बहस हो रही हो, मुझे लगता है कि देश की नीतियों में ऐसे हजारों बच्चे और कामगारों की गिनती कहाँ है, इस प्रश्न का ढूंढना है बाकी है ! <br /><br />बहुत ही सार्थक पोस्ट । एक शिकायत है राय जी,आपसे मेर पोस्ट पर आप कभी नही आते हैं.। यदि हमसे कोई गलती हो गई हो तो क्षमा करेंगे । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3328853311840108562011-11-08T07:25:52.156+05:302011-11-08T07:25:52.156+05:30सही फ़रमाया ज़नाब नेसही फ़रमाया ज़नाब नेचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.com