tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post199978784305102091..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: शमशेर के काव्य में प्रकृतिराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-67125830083857437142010-11-26T23:59:10.627+05:302010-11-26T23:59:10.627+05:30ये स्वानुभूति से स्वतःस्फूर्त कविताएं हैं। आप इस त...ये स्वानुभूति से स्वतःस्फूर्त कविताएं हैं। आप इस तरह रचने नहीं बैठ सकते।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-65053356219160695262010-11-26T23:01:27.547+05:302010-11-26T23:01:27.547+05:30shamsher bahadur singh ji par sunder prastuti........shamsher bahadur singh ji par sunder prastuti.........उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-32391903977253675862010-11-26T17:39:17.080+05:302010-11-26T17:39:17.080+05:30शमशेर जी के काव्य में प्रकृति चित्रण उनके पर्यावरण...शमशेर जी के काव्य में प्रकृति चित्रण उनके पर्यावरण प्रेमी होने का प्रमाण है.<br />वर्तमान में इसकी अधिक आवश्यकता है. आप द्वारा उनका और उनके काव्य का उल्लेख समीचीन है और आपके भी पर्यावरण के प्रति प्रेम को उजागर करता है, मनोज जी. <br />साधुवाद इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिएKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-66542707789162174872010-11-26T13:29:15.618+05:302010-11-26T13:29:15.618+05:30शमशेर जी की कविताओं की सुन्दर समीक्षा। धन्यवाद।शमशेर जी की कविताओं की सुन्दर समीक्षा। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64025841758915679392010-11-26T13:05:53.831+05:302010-11-26T13:05:53.831+05:30कवि मे प्रकृति है या प्रकृति मे कवि……………बेहद तारतम...कवि मे प्रकृति है या प्रकृति मे कवि……………बेहद तारतम्य है पता ही नही चल रहा…………कवि से रु-ब-रु करवाने के लिये आभारी हूँ।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-91764023873573702952010-11-26T11:54:48.195+05:302010-11-26T11:54:48.195+05:30प्रकृति का वर्णन दर्शाती रचना दिखा रही है कि शमशेर...प्रकृति का वर्णन दर्शाती रचना दिखा रही है कि शमशेर जी प्रकृति के कितने नजदीक थे |आपने बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तूत किया है उनका यह पक्ष |<br />बधाई <br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-33586713664020100472010-11-26T10:00:26.679+05:302010-11-26T10:00:26.679+05:30कवि की कविताओं का सूक्ष्म विश्लेषण किया है ...ज्ञा...कवि की कविताओं का सूक्ष्म विश्लेषण किया है ...ज्ञानवर्द्धक लेखसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89379359769326930402010-11-26T09:30:15.246+05:302010-11-26T09:30:15.246+05:30यह वर्ष शमशेर जी की जन्मशताब्दी वर्ष भी है.. वैसे ...यह वर्ष शमशेर जी की जन्मशताब्दी वर्ष भी है.. वैसे तो उन्हें प्रकृति का कवि नहीं कहा गया लेकिन आपने उनके काव्य में प्रकृति के तत्व की अच्छी व्याख्या की है.. उन्हें नामा करते हुए उनकी एक कविता प्रस्तुत करता हूँ:<br />"यह विवशता<br /> कभी बनती चाँद<br /> कभी काला ताड़<br /> कभी ख़ूनी सड़क<br /> कभी बनती भीत, बांध<br /> कभी बिजली की कड़क, जो<br /> क्षण प्रतिक्षण चूमती-सी पहाड़।<br />यह विवशता<br /> बना देती सरल जीवन को<br /> ख़ून की आंधी<br />यह विवशता<br /> मौन में भी है अथाह<br /> भावनाओं के सलीब<br /> स्वयं कांधा बन उठे-से हैं<br /> कठिनतम।<br />हड्डियों के जोड़<br /> खुल रहे हैं।<br /> टूटते हैं बिजलियों के स्वप्न के आंसू;<br /> आंख सी सूनी पड़ी है भूमि।<br />क्रांत अंतर में अपार<br /> मौन।"अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-40391763801558555892010-11-26T08:59:39.552+05:302010-11-26T08:59:39.552+05:30... saarthak post ... aabhaar !!!... saarthak post ... aabhaar !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-82778940349626902612010-11-26T08:03:49.044+05:302010-11-26T08:03:49.044+05:30बिम्बों के कवि शमशेर जी की कविताओं में प्रकृति के ...बिम्बों के कवि शमशेर जी की कविताओं में प्रकृति के बारे में गहन विश्लेषण पढकर अत्यंत प्रसन्नता हुई।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-20328039626487868992010-11-26T08:02:26.748+05:302010-11-26T08:02:26.748+05:30एक महान कवि के अछूते पहलू पर प्रकाश डालती रचना!!एक महान कवि के अछूते पहलू पर प्रकाश डालती रचना!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.com