tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post2244784293845779874..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: पुस्तक चर्चा - अन्धेर नगरीराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-62142952768252748412015-05-11T20:42:25.503+05:302015-05-11T20:42:25.503+05:30andher nagari namak prahasan ka rangmangmanch kab ...andher nagari namak prahasan ka rangmangmanch kab aur kaha huaa tha ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-24727444851843835582010-10-06T00:52:04.961+05:302010-10-06T00:52:04.961+05:30युग-प्रवर्तक भारतेन्दु जी की यह रचना भी ,झाँसी की ...युग-प्रवर्तक भारतेन्दु जी की यह रचना भी ,झाँसी की रानी( सुभद्रा कुमारी ) की तरह ही किसी न किसी रूप ( कहानी, नाटक )में किसीन किसी कक्षा के पाठ्यक्रम में आज भी चल रही है । मैंने यह रचना दूसरी या तीसरी कक्षा में नाटक रूप में पढी थी , जिसमें सबसे एक गरीब किसान दीवार गिरने से हुई अपनी बकरी की मौत का मामला राज-दरबार में लाता है । एक लम्बी बहस, गवाह और सबूतों के आधार पर स्वयं राजा ही दोषी पाया जाता है । इसलिये वह स्वयं ही फाँसी पर चढ जाता है । कहानी और प्रस्तुति इतनी मजेदार थी कि हम लोगों ने उसके संवाद तक रट लिये थे ।<br />मुझे नही मालूम कि उसका मूल स्वरूप क्या है । आपकी समीक्षा पढ कर अब किताब पढनी ही होगी ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-65028376372562557012010-10-05T23:28:02.793+05:302010-10-05T23:28:02.793+05:30अँधेर नगरी ...नाटक एम.ए. में पढ़ा था । आपकी समीक्ष...अँधेर नगरी ...नाटक एम.ए. में पढ़ा था । आपकी समीक्षा से बहुत कुछ ताजा हो गया । छोटे से नाटक में युग की समस्याओं को बेहतरीन ढ़ग से रखा गया है ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-14623590604206971062010-10-05T22:26:59.708+05:302010-10-05T22:26:59.708+05:30यह आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैयह आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64209966541678393722010-10-05T21:53:22.345+05:302010-10-05T21:53:22.345+05:30मनोज जी, आज से तकरीबन 27 साल पहले इस नाटक में मैंन...मनोज जी, आज से तकरीबन 27 साल पहले इस नाटक में मैंने अभिनय किया था. अब तो कुछ भी याद नहीं उस नाटक के बारे में. आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया. इतना सटीक व्यंग्य, इतनी सरलता से यह भारतेंदु जी के ही बस की बात थी. और ध्यान दें तो स्थिति आज भी नहीं बदली. राज बदल गए, राज करने वाले और राज चलाने वालों के स्वभाव नहीं बदले. आभार मनोज जी!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64227451664365899022010-10-05T18:59:02.867+05:302010-10-05T18:59:02.867+05:30भारतेंदु जी के इस नाटक को पढ़ा है मैंने। इस पर आपक...भारतेंदु जी के इस नाटक को पढ़ा है मैंने। इस पर आपकी समीक्षा पढ़कर एक एक दृश्य आंखों के सामने आता गया ...सुंदर समीक्षा।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-37793956049216873552010-10-05T18:38:33.749+05:302010-10-05T18:38:33.749+05:30maine kai saal pahle rajkamal se yeh pustak mangwa...maine kai saal pahle rajkamal se yeh pustak mangwai thi. aapki yah sameeksha stutya hai....sadhuwad...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-28984093771196814172010-10-05T17:58:38.065+05:302010-10-05T17:58:38.065+05:30आपने बहुत अच्छी समीक्षा की है...कुछ समय पहले महफूज...आपने बहुत अच्छी समीक्षा की है...कुछ समय पहले महफूज़ जी ने भी इसकी समीक्षा की थी, पुस्तकायन में..फिर से इस कालजयी रचना को याद दिलाने का शुक्रिया...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53467931976785326812010-10-05T17:48:36.383+05:302010-10-05T17:48:36.383+05:30कालजयी रचना है और उसकी बेहतरीन समीक्षा की है……………।...कालजयी रचना है और उसकी बेहतरीन समीक्षा की है……………।बहुत अच्छा लगा।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-91754318057975437652010-10-05T17:20:51.056+05:302010-10-05T17:20:51.056+05:30बहुत सुन्दर पुस्तक समीक्षा. कालजयी है भारतेन्दु जी...बहुत सुन्दर पुस्तक समीक्षा. कालजयी है भारतेन्दु जी की यह रचनाM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-7056380983956641462010-10-05T17:13:57.014+05:302010-10-05T17:13:57.014+05:30ए़क सार्थक पुस्तक से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद !...ए़क सार्थक पुस्तक से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद !!!!ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75186238589154967932010-10-05T16:54:44.270+05:302010-10-05T16:54:44.270+05:30...भावपूर्ण अभिव्यक्ति !...भावपूर्ण अभिव्यक्ति !कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-7464787822040408162010-10-05T16:25:59.572+05:302010-10-05T16:25:59.572+05:30अच्छा लगा पढ़कर ! यह किताब आज भी उतनी ही प्रासंगिक...अच्छा लगा पढ़कर ! यह किताब आज भी उतनी ही प्रासंगिक है ! अंधेर नगरी आज भी कायम है ! 'बटन का डंडा' के सन्दर्भ में और महत्वपूर्ण ! पुस्तक-चर्चा के लिए आभार !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-67033854018512900372010-10-05T16:14:39.824+05:302010-10-05T16:14:39.824+05:30अंधेर नगरी चौपट राजा - अच्छा हास्य व्यंग है.. अच्छ...अंधेर नगरी चौपट राजा - अच्छा हास्य व्यंग है.. अच्छी याद दिलाई - भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की भीडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85371506572882116732010-10-05T16:12:33.238+05:302010-10-05T16:12:33.238+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75247158586394316272010-10-05T16:10:11.870+05:302010-10-05T16:10:11.870+05:30हिंदी की पहली व्यंग्य के रूप में यह कालजयी नाटक आज...हिंदी की पहली व्यंग्य के रूप में यह कालजयी नाटक आज भी उतना ही समीचीन है जितनी उस समय थी.. ए़क सार्थक पुस्तक से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद ...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-4083188177082685332010-10-05T16:06:26.867+05:302010-10-05T16:06:26.867+05:30बचपन में सुना था ..अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर...बचपन में सुना था ..अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी , टके सेर खाजा ..<br /><br />आपकी यह पुस्तक की समीक्षा बहुत अच्छी लगी ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com