tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post2940738035057271792..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: दोहवाली ......भाग - 9 / संत कबीरराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-55580864739754220262012-04-28T01:43:41.564+05:302012-04-28T01:43:41.564+05:30कबीर दास जी के दोहे न सिर्फ़ नीतिपरक हैं बल्कि बहु...कबीर दास जी के दोहे न सिर्फ़ नीतिपरक हैं बल्कि बहुत ही प्रबंधकीय समस्याओं का निदान भी है यहां।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84631485518300642512012-04-27T19:59:07.241+05:302012-04-27T19:59:07.241+05:30bahut acchhe dohe....aabhar ham tak pahunchane k l...bahut acchhe dohe....aabhar ham tak pahunchane k liye.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53807655646222036812012-04-27T14:39:02.900+05:302012-04-27T14:39:02.900+05:30कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय ।
टूट एक के का...कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय ।<br /><br /><br />टूट एक के कारने, स्वान घरै घर जाय ॥ 85 ॥<br /><br /><br />ऊँचे पानी न टिके, नीचे ही ठहराय ।<br /><br /><br />नीचा हो सो भरिए पिए, ऊँचा प्यासा जाय ॥ 86 ॥<br /><br />वाह गज़ब के दोहे ..कई बार पढ़ा.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-42701816870878795252012-04-27T13:02:35.342+05:302012-04-27T13:02:35.342+05:30जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं मैं नाय ।
प्...जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं मैं नाय ।<br /><br /><br />प्रेम गली अति साँकरी, ता मे दो न समाय ॥ <br /><br />अति सुंदर !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-17549983390133712962012-04-27T08:13:23.715+05:302012-04-27T08:13:23.715+05:30कबीर का जीवन दर्शन जनमानस में कहीं गहरे पैठ गया ह...कबीर का जीवन दर्शन जनमानस में कहीं गहरे पैठ गया है । समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं विसंगतियों पर कुठराघात करते हुए उनका अक्षय़ संदेश रहा है कि शरीर के अंदर ही अपार आनंद व दिव्य शांति निहित है। इसके लिए तीर्थो के भ्रमण की आवश्यकता नही है । वास्तव मे अज्ञानता के चलते मनुष्य इसे पहचान नहीं पाता। वर्तमान में बढ़ी भौतिकता ने लोगों के जीवन को अशांत बना दिया है। समाज हित में व्यक्ति को शांतिपूर्ण जीवन के लिए महात्मा कबीर के विचारों से अवगत होने की आवश्यकता है। कबीर के बारे में जानना अच्छा लगा । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-22527712842748597772012-04-27T07:15:31.684+05:302012-04-27T07:15:31.684+05:30बार-बार पढने पर भी लगता है पहली बार ही पढ़ा जा रहा...बार-बार पढने पर भी लगता है पहली बार ही पढ़ा जा रहा हो..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.com