tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post3124897516218023430..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: मधुशाला / हरिवंश राय बच्चन राजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-46161710178558893502012-10-12T07:56:03.109+05:302012-10-12T07:56:03.109+05:30bahut he acha likhte hai aap
bahut he acha likhte hai aap<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06093883182719931393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-15189950086116130262012-10-11T23:21:09.671+05:302012-10-11T23:21:09.671+05:30Bahut-bahut dhanyawaad didi :))Bahut-bahut dhanyawaad didi :))विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-76874365462544246762012-10-09T19:24:55.110+05:302012-10-09T19:24:55.110+05:30अभी तक मधुशाला की कुछ ही पंक्तियाँ पढी हैं । यहाँ ...अभी तक मधुशाला की कुछ ही पंक्तियाँ पढी हैं । यहाँ पूरी पढ सकूँगी । धन्यवाद संगीता जी ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-82115819639242482282012-10-09T11:25:22.128+05:302012-10-09T11:25:22.128+05:30कभी न कण भर खाली होगा ,
लाख पिएं , दो लाख प...कभी न कण भर खाली होगा , <br />लाख पिएं , दो लाख पिएं <br />आपका यह प्रयास सच में बेहद सराहनीय है .. इस उत्कृष्ट कृति को <br />आपके माध्यम से पढ़ना बेहद रूचिकर <br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-49680971949872992852012-10-09T11:18:06.569+05:302012-10-09T11:18:06.569+05:30जिसके अंतर में प्यास जगे,प्रसाद उसी को मिल पाता है...जिसके अंतर में प्यास जगे,प्रसाद उसी को मिल पाता है। और जिसे यह प्रसाद मिल जाए,उसका आनन्द असीम होता है। वह एक पांव पर नाचते भी नहीं थकता क्योंकि अपनी मस्ती में होता है। मस्ती यह जानने की,कि आनन्द का स्रोत असीम है,वहां कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं। जितना चाहे तुम डूबो,जितना चाहूं मैं!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61068917983641469262012-10-09T11:15:57.453+05:302012-10-09T11:15:57.453+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-35353622936892456112012-10-08T17:45:09.567+05:302012-10-08T17:45:09.567+05:30यह मेरी ‘वन ऑफ़ द फ़ेविरिट्स’ है। इसको पढ़ता और गु...यह मेरी ‘वन ऑफ़ द फ़ेविरिट्स’ है। इसको पढ़ता और गुनता जाऊंगा।<br />आभार इसे इस ब्लॉग पर प्रस्तुत करने के लिए।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81951156611275919562012-10-08T17:02:38.659+05:302012-10-08T17:02:38.659+05:30my favourite...badhai...my favourite...badhai...neelima garghttps://www.blogger.com/profile/07014867750280659771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-12428578564753242662012-10-08T15:02:45.484+05:302012-10-08T15:02:45.484+05:30सार्थक ,सुंदर प्रयास संगीता दी ....!!सार्थक ,सुंदर प्रयास संगीता दी ....!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-5579332709948409572012-10-08T14:19:22.019+05:302012-10-08T14:19:22.019+05:30मधुशाला को के बार फिर पढूंगा आपके साथ... बधाई...मधुशाला को के बार फिर पढूंगा आपके साथ... बधाई...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-38596115631015359342012-10-08T14:08:50.106+05:302012-10-08T14:08:50.106+05:30अरे यह क्या कर दिया आपने...मधुशाला शायद इकलौती ऐसी...अरे यह क्या कर दिया आपने...मधुशाला शायद इकलौती ऐसी पुस्तक है जिसे मैं जितनी बार भी पढू मन नहीं भरता.मेरी सबसे प्रिय पुस्तक.<br />बहुत बहुत आभार आपका.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-48229399512281252532012-10-08T14:00:20.119+05:302012-10-08T14:00:20.119+05:30वाह संगीता जी इस बार बहुत अच्छी कृति से स...वाह संगीता जी इस बार बहुत अच्छी कृति से सबको रूबरू करवा रही हें. बहुत पहले पढ़ी थी और फिर २००४ में मुझे आई आई टी में हिंदी सप्ताह में काव्य पाठ में प्रथम पुरस्कार में दी गयी थी. मेरे लिए अनमोल कृति है. इसका एक एक शब्द गहन अर्थ लिए हुए है. रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-56041236139547766242012-10-08T12:25:48.363+05:302012-10-08T12:25:48.363+05:30बहुत सुन्दर दी....
मुझे बहुत पसंद है...बचपन में पा...बहुत सुन्दर दी....<br />मुझे बहुत पसंद है...बचपन में पापा रिकोर्ड प्लेयर पर मन्ना डे जी की आवाज़ में सुनते थे,तब से अच्छा लगता था...तब जबकि इसमें छिपे गहन अर्थ समझ भी नहीं पाती थी....<br />अब फिर से पढ पाउंगी...क्रमानुसार..<br />आभार.<br /><br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-34918807290919513772012-10-08T12:06:21.511+05:302012-10-08T12:06:21.511+05:30कभी न कण भर खाली होगा ,
लाख पिएं , दो ...कभी न कण भर खाली होगा , <br /> लाख पिएं , दो लाख पिएं <br />पाठकगण हैं पीने वाले <br />पुस्तक मेरी मधुशाला । <br /><br />ये तो बहुत बढिया शुरुआत की …………पूरी पढने की इच्छा थी जो अब पूरी हो जायेगी………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58176032591012786132012-10-08T11:16:34.045+05:302012-10-08T11:16:34.045+05:30ek nayi shuruaat ke liye badhayi. isme chhipe good...ek nayi shuruaat ke liye badhayi. isme chhipe goodh arthon ko samajhne ki koshish karungi.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-57312440988756731092012-10-08T09:44:12.220+05:302012-10-08T09:44:12.220+05:30कभी न कण भर खाली होगा ,
लाख पिएं , दो ...कभी न कण भर खाली होगा , <br /> लाख पिएं , दो लाख पिएं <br />पाठकगण हैं पीने वाले <br />पुस्तक मेरी मधुशाला । <br /><br />.... अब इसके आगे कोई नशा नहीं <br />कलम बनी है साक़ी<br />शब्द शब्द से बनी है देखो मधुशाला रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-35924857757220901202012-10-08T08:57:56.942+05:302012-10-08T08:57:56.942+05:30इस मधुशाला का रस और सुरूर कभी समाप्त होनवाला नहीं....इस मधुशाला का रस और सुरूर कभी समाप्त होनवाला नहीं.इसमें जीवन-दर्शन का एक नया ही रूप उद्घाटित होता है जो पाठक को अभिभूत कर देता है - आभार संगीता जी !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-59511287776406128802012-10-08T08:28:35.091+05:302012-10-08T08:28:35.091+05:30मधुशाला मेरी सर्वाधिक प्रिय पुस्तकों में से एक है ...मधुशाला मेरी सर्वाधिक प्रिय पुस्तकों में से एक है ! इसका सुरूर तो मन आत्मा पर इस तरह तारी है कि उतरने का नाम ही नहीं लेता ! पितृपक्ष के आरम्भ में 'तराने सुहाने' पर मैंने कुछ अंश मधुशाला के भी पोस्ट किये थे ! यह ऐसी पुस्तक है इसे जितना पढ़ो नशा बढ़ता ही जाता है ! आपने आज मेरी सुबह खुशियों से भर दी ! आभार आपका ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.com