tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post3153621964557826444..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे तबे एकला चलो रेराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81739564394707392152019-06-01T10:53:58.430+05:302019-06-01T10:53:58.430+05:30प्रेरणादायी बंगला गीत आज यह लगभग सभी भाषाओं और राज...प्रेरणादायी बंगला गीत आज यह लगभग सभी भाषाओं और राज्यो में गायी जाती है यही इस गीत की सार्थकता है। गुरुदेव को नमनRajesh suryavanshihttps://www.blogger.com/profile/14084984032830845891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-77976523070174167382019-02-10T01:16:41.087+05:302019-02-10T01:16:41.087+05:30प्रेरक आशान्वित संघर्ष को प्रेरित करनेवाली कविता स...प्रेरक आशान्वित संघर्ष को प्रेरित करनेवाली कविता सचमुच युगो -युगो तक सकारात्मक सोच विचार विकास करे ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00936406774316817372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-4787137209328412672011-08-09T19:36:53.008+05:302011-08-09T19:36:53.008+05:30टैगोर को तो मैं पसन्द नहीं करता अधिक लेकिन उनकी तब...टैगोर को तो मैं पसन्द नहीं करता अधिक लेकिन उनकी तबे एकला चलो रे तो बहुत पसन्द है!चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-37363839209452036482011-08-09T08:30:10.840+05:302011-08-09T08:30:10.840+05:30श्री मनोज कुमार जी, आपने कविगुरू की रचना से प्रभाव...श्री मनोज कुमार जी, आपने कविगुरू की रचना से प्रभावित होकर लिखा है कि आप भी उनकी कविता ' यदि तोमार डाक शुने केउ न आसे तबे एकला चलो रे " से बहुत कुछ सीखा है। कुछ सीखने और स्वयं को जीवन-पथ पर किसी का अवलंबन लिए बिना निर्बाध गति से अग्रसरित होने के लिए यह हमें दिशा देती सी प्रतीत होती है। यह कविता हमें एक गूढ संदेश दे जाती है। गुरूदेव को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आज मैं भी गुरूदेव की एक कविता पोस्ट कर रहा हूँ ,समय इजाजत दे तो इसे पढ़ने की कोशिश कीजिएगा। बहुत सुंदर लगा।धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-42143360358885240432011-08-08T23:56:43.148+05:302011-08-08T23:56:43.148+05:30एकला चोलो रे ...आज अगर हम आदर्शों की दुहाई दें तो ...एकला चोलो रे ...आज अगर हम आदर्शों की दुहाई दें तो साथ देने वाले मुश्किल से मिलेंगे ..इसलिए भी आज के परिपेक्ष में भी सारगर्भित है यह रचना ...!!<br />गुरुदेव जैसी महानात्मा को मेरा नमन...!!Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-33116024401880615072011-08-08T22:31:16.210+05:302011-08-08T22:31:16.210+05:30यही सच और आज की पुकार है...अपेक्षा रखेंगे तो चोट ख...यही सच और आज की पुकार है...अपेक्षा रखेंगे तो चोट खायेंगे सो एकला चलो !<br />शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64693248541486548072011-08-08T22:16:38.417+05:302011-08-08T22:16:38.417+05:30दुनिया की अधिकतर मौलिक उपलब्धियां वैयक्तिक ही हैं।...दुनिया की अधिकतर मौलिक उपलब्धियां वैयक्तिक ही हैं।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-32374321282925294452011-08-08T20:59:44.741+05:302011-08-08T20:59:44.741+05:30नमन उस महाकवि को, जिसकी रचनाएँ अपने आप में एक संसक...नमन उस महाकवि को, जिसकी रचनाएँ अपने आप में एक संसकृति हैं.. मुझे इस बात का गर्व है कि मैं कभी उस संस्कृति का हिस्सा रहा हूँ!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-62469875121738289042011-08-08T20:17:00.124+05:302011-08-08T20:17:00.124+05:30गुरुदेव रविन्द्र ठाकुर को शत-शत नमन....
बहुत सशक्...गुरुदेव रविन्द्र ठाकुर को शत-शत नमन....<br /><br />बहुत सशक्त प्रस्तुति।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84964549415669030792011-08-08T19:49:03.085+05:302011-08-08T19:49:03.085+05:301964 मे छह माह ही बांग्ला पढे थे उसके बाद आज आपने ...1964 मे छह माह ही बांग्ला पढे थे उसके बाद आज आपने पढ़वा दिया। यह गीत और इसके भाव दोनों ही अच्छे हैं। <br /><br />कविवर रवीन्द्रनाथ जी की पुण्यतिथि पर उनका स्मरण स्तुत्य है।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81191637491959166262011-08-08T18:28:11.136+05:302011-08-08T18:28:11.136+05:30बहुत सारगर्भित ... गुरुदेव रविन्द्र ठाकुर को शत शत...बहुत सारगर्भित ... गुरुदेव रविन्द्र ठाकुर को शत शत नमनसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-50980183381312998902011-08-08T18:25:15.429+05:302011-08-08T18:25:15.429+05:30आजकल ऐसा लगता है कि राजभाषा के पथ पर अकेला ही चलना...आजकल ऐसा लगता है कि राजभाषा के पथ पर अकेला ही चलना होगा। गुरुवर के संदेश का अनुसरण ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। उनकी दार्शनिक कविता का मूल बाङ्गला पढ़ने के लिए मिला। आभार।डॉ. दलसिंगार यादवhttps://www.blogger.com/profile/07635372333889875566noreply@blogger.com