tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post4506923751396726170..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: घृणाराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-26017747560408741182011-05-10T23:57:51.355+05:302011-05-10T23:57:51.355+05:30संगीता दी!
बिलकुल यही अभिव्यक्ति मैंने भी अपनी एक ...संगीता दी!<br />बिलकुल यही अभिव्यक्ति मैंने भी अपनी एक विज्ञान कविता में प्रस्तुत की थी.. बहुत सुन्दर!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89389597355135801802011-05-10T22:42:38.764+05:302011-05-10T22:42:38.764+05:30बड़े बुजुर्ग मध्यमार्ग की सलाह यों ही नहीं दे गए!बड़े बुजुर्ग मध्यमार्ग की सलाह यों ही नहीं दे गए!शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3230889088466857572011-05-10T18:44:13.338+05:302011-05-10T18:44:13.338+05:30कठोर सत्य है....लेकिन संगीता जी, कभी कभी पता ही नह...कठोर सत्य है....लेकिन संगीता जी, कभी कभी पता ही नहीं चल पाता कि हम कब घनिष्ठ हो गए...pragyahttps://www.blogger.com/profile/04688591710560146525noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-44428285926210053132011-05-10T17:40:57.021+05:302011-05-10T17:40:57.021+05:30घृणा से डर लगता है क्योंकि ये तो किसी से की ही नही...घृणा से डर लगता है क्योंकि ये तो किसी से की ही नहीं हैं. फिर भी अपने से घृणा करने वाले मिल ही जाते हैं.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-57995572011879292552011-05-10T16:30:46.244+05:302011-05-10T16:30:46.244+05:30सुंदर अभिव्यक्तिसुंदर अभिव्यक्तिAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-43729035106887279142011-05-09T22:52:33.964+05:302011-05-09T22:52:33.964+05:30ye to bilkul mere hi man ki baat kah din.ye to bilkul mere hi man ki baat kah din.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-81357183229998198682011-05-09T22:28:29.190+05:302011-05-09T22:28:29.190+05:30अजित गुप्ता जी की बात सही लग रही है।अजित गुप्ता जी की बात सही लग रही है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3440779115715975122011-05-09T19:17:08.832+05:302011-05-09T19:17:08.832+05:30घनिष्ठता मुझे भी भयभीत करती है,क्योंकि सम्बन्ध विच...घनिष्ठता मुझे भी भयभीत करती है,क्योंकि सम्बन्ध विच्छेद मैं सह नहीं पाती...<br /><br />सुन्दर व प्रभावशाली अभिव्यक्ति के लिए आभार.....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39479486528244287572011-05-09T15:06:48.507+05:302011-05-09T15:06:48.507+05:30क्या कहूँ ………………शायद अति हर चीज़ की बुरी होती है ये...क्या कहूँ ………………शायद अति हर चीज़ की बुरी होती है ये कहावत इसीलिये बनी हो……………बेहद उम्दा रचना कडवी सच्चाई को व्यक्त करती हुई।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89496197637183943932011-05-09T13:32:42.183+05:302011-05-09T13:32:42.183+05:30जहाँ अधिक घनिष्ठता होती है
वहीँ घृणा जन्म लेती है...जहाँ अधिक घनिष्ठता होती है<br /><br />वहीँ घृणा जन्म लेती है<br /><br />तब से मैं<br /><br />घनिष्ठता से डरती हूँ<br /><br />बिलकुल सही कहा जितने करीब आते जाओ उतनी ही दूरी बनने लगती है। अच्छी रचना। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-15861087199923973612011-05-09T13:15:22.508+05:302011-05-09T13:15:22.508+05:30उफ़ ..क्या कह दिया आपने...कितना बड़ा कड़वा सच.उफ़ ..क्या कह दिया आपने...कितना बड़ा कड़वा सच.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-40280188776617775852011-05-09T11:14:13.861+05:302011-05-09T11:14:13.861+05:30आपके गद्य-कविता में कोई न कोई विचार रहता है। मैं भ...आपके गद्य-कविता में कोई न कोई विचार रहता है। मैं भी अक्सर यही कहती हूँ कि अत्यधिक घनिष्ठता से कभी दूरियां भी बढ़ने का अंदेशा रहता है। घनिष्ठता से हम एक दूसरों को अच्छी प्रकार से समझ पाते हैं और कभी मन मिलने से मित्रता घनिष्ठ हो जाती है और कभी मन नहीं मिलने से दूरियां बन जाती हैं। लेकिन आपने घृणा शब्द का प्रयोग किया है, यह मुझे उचित नहीं लगता। घृणा बहुत ही कम प्रतिशत लोगों में पायी जाती है ओर हम भी बिरले लोगों से ही घृणा करते हैं बल्कि मैं ऐसा कहूं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कभी अपने दुश्मन से भी हम घृणा नहीं कर पाते। इसलिए यह शब्द कुछ ज्यादा ही कठोर हो गया है, ऐसा मुझे लगता है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-37236065224851698432011-05-09T10:26:16.764+05:302011-05-09T10:26:16.764+05:30so true !...very well written Sangeeta ji .so true !...very well written Sangeeta ji .ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-5911082673226440652011-05-09T09:35:29.577+05:302011-05-09T09:35:29.577+05:30कष्टकारक स्थिति ...शुभकामनायें आपको !!कष्टकारक स्थिति ...शुभकामनायें आपको !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70135770638921935012011-05-09T09:32:46.089+05:302011-05-09T09:32:46.089+05:30गहन सोच से निकली सुंदर अभिव्यक्ति ...प्रेम का मार्...गहन सोच से निकली सुंदर अभिव्यक्ति ...प्रेम का मार्ग दिखाती हुई ...!!<br />घृणा से दूर ........ले जाती हुई .Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-32479615369926335522011-05-09T09:10:42.341+05:302011-05-09T09:10:42.341+05:30सत्य है।सत्य है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85089517789097220312011-05-09T07:06:56.201+05:302011-05-09T07:06:56.201+05:30ईर्ष्या या घृणा के विचार मन में प्रवेश होते ही खु...ईर्ष्या या घृणा के विचार मन में प्रवेश होते ही खुशी गायब हो जाती है। प्रेम व शुभ भावनायुक्त विचारों से उदासी दूर हो जाती है। घनिष्ठता बढ़ जाती है।<br />जब आप स्वयं से प्रेम करना सीख लेंगे तो दूसरे आपसे घृणा करना छोड़ देंगे।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-26549968310401757422011-05-09T06:41:40.981+05:302011-05-09T06:41:40.981+05:30आह -एक नग्न सत्य !आह -एक नग्न सत्य !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-80977976735699077222011-05-09T06:23:52.170+05:302011-05-09T06:23:52.170+05:30यही सही है सर जी, चलिए मैं भी आज से धनिष्टता से डर...यही सही है सर जी, चलिए मैं भी आज से धनिष्टता से डरता हूंArun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.com