tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post5934314270020083553..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: आज की कविता का अभिव्यंजना कौशलराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-88576961749294188062010-12-16T11:34:53.376+05:302010-12-16T11:34:53.376+05:30पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
प्यार...पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं<br />प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा। <br />मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता<br /> दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।<br />या हादी<br />(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)<br /><br />या रहीम<br />(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)<br /><br />आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक <br />{आप की अमानत आपकी सेवा में} <br />इस पुस्तक को पढ़ कर<br /> पांच लाख से भी जियादा लोग <br />फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcomThakur M.Islam Vinayhttps://www.blogger.com/profile/06700382536245661214noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-6380091914760543182010-12-15T21:36:32.247+05:302010-12-15T21:36:32.247+05:30एक तरफ वे कविताएँ हैं जिनका अर्थ बगैर शब्दकोश के स...एक तरफ वे कविताएँ हैं जिनका अर्थ बगैर शब्दकोश के समझा नहीं जा सकता और दूसरी तरफ ये कविताएँ जिनके कई शब्द कोश में ढूंढे नहीं मिलेंगे। आम आदमी को ख़ास ज़बान देते खांटी देशज/स्थानीय शब्द। अद्भुत!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84706920141055573572010-12-15T21:10:04.281+05:302010-12-15T21:10:04.281+05:30आज तो आपकी पोस्ट पढकर मुझे राहत इन्दौरी साहब का एक...आज तो आपकी पोस्ट पढकर मुझे राहत इन्दौरी साहब का एक मुशायरा याद आ गया, जहां उन्होंने एक गज़ल पढ़ी थी... याद से तीन शेर लिख रहा हूँ..पता नहीं यह अभिव्यंजना की श्रेणी में आता है या नहीं:<br /><br /><b>आपकी कत्थई आँखों में हैं, जंतर मंतर सब<br />चाक़ू वाकू, छुरियाँ वुरियाँ, खंजर वंजआर सब.<br />जिस दिन से तुम रूठी मुझसे रूठे रूठे हैं<br />चादर वादर, तकिया वाकिया, बिस्तर विस्तर सब.<br />मुझसे बिछड के वो भी कहाँ अब पहले जैसे हैं<br />फीके पड़ गए, कपडे वपड़े, जेवर वेवर सब.</b>चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-88023250307976415762010-12-15T21:02:31.359+05:302010-12-15T21:02:31.359+05:30ज्ञान-वर्धक आलेख!ज्ञान-वर्धक आलेख!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-13283975096725765542010-12-15T17:37:18.989+05:302010-12-15T17:37:18.989+05:30आज की कविता का जो रूप आपने प्रस्तुत किया है वह वास...आज की कविता का जो रूप आपने प्रस्तुत किया है वह वास्तव में तारीफ के काविल है । साहित्य का कोई कोना नहीं छोडा आपने उदाहरण प्रस्तुत करने में ।रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61258457054352906912010-12-15T17:18:39.635+05:302010-12-15T17:18:39.635+05:30आदरणीय मनोज जी
नमस्कार !
साहित्य के क्षेत्र में यह...आदरणीय मनोज जी<br />नमस्कार !<br />साहित्य के क्षेत्र में यह लेख मील का पत्थर साबित होगा .....आभार<br />संगीता स्वरुप जी से पूरी तरह से सहमत हूँ..संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64828153989600040912010-12-15T16:17:27.719+05:302010-12-15T16:17:27.719+05:30उदय भाई, आपकी प्रेरक बातों के लिए आपका बहुत-बहुत ध...उदय भाई, आपकी प्रेरक बातों के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-91243783624365840662010-12-15T16:14:45.711+05:302010-12-15T16:14:45.711+05:30अमरेन्द्र जी आपके विचार मेरे लिए टॉनिक समान होते ह...अमरेन्द्र जी आपके विचार मेरे लिए टॉनिक समान होते हैं।<br />हां भारतेन्दु युग को नहीं ले सका। <br />भूल सुधार कर दिया।<br />आभार।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-8624368069237437182010-12-15T16:03:04.071+05:302010-12-15T16:03:04.071+05:30आज मनोरंजन कविता का उद्देश्य नहीं, उसका एकमात्र उ...आज मनोरंजन कविता का उद्देश्य नहीं, उसका एकमात्र उद्देश्य आज के आदमी की व्यथा कहना है।<br />बहुत ही सही अवलोकन....एक संग्रहणीय पोस्ट...बहुत कुछ सीखा-समझा जा सकत है ऐसी पोस्ट से...शुक्रियाrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84542510183129729332010-12-15T16:03:00.530+05:302010-12-15T16:03:00.530+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-9503201018668841522010-12-15T15:50:54.323+05:302010-12-15T15:50:54.323+05:30मनोज जी आज की कविता में 'अभिव्यंजना कौशल' ...मनोज जी आज की कविता में 'अभिव्यंजना कौशल' विषय पर आपका आलेख आज की कविता को समझने के लिए पृष्ठभूमि के रूप में कार्य करेगा... आधुनिक कविता में शब्दों के अर्थ उनकी आर्थिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि लिए होते हैं.. इस के कारण कविता कम शब्दों में बहुत अधिक बात कह जाती है.. बहुत कम उदहारण में भी आलेख सार्थक लग रही है.. आज के कवियों में मंगलेश डबराल, राजेश जोशी इस से पूर्व रामदरश मिश्र आदि का नाम भी लिया जा सकता है.. कुल मिला कर एक बढ़िया आलेख..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-13064569665031475402010-12-15T15:27:22.496+05:302010-12-15T15:27:22.496+05:30@ सतीश जी
आभार आपका जो आपने हमारी मेहनत को इतना म...@ सतीश जी <br />आभार आपका जो आपने हमारी मेहनत को इतना महत्व दिया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-19567998866772358522010-12-15T15:08:57.778+05:302010-12-15T15:08:57.778+05:30पता नहीं कैसे लोग कहते हैं कि ब्लॉग पर स्तरीय या स...पता नहीं कैसे लोग कहते हैं कि ब्लॉग पर स्तरीय या सार्थक लेखन नहीं हो रहा....आपके इन आलेखों को तो पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए .shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-66717101970796935092010-12-15T14:56:39.930+05:302010-12-15T14:56:39.930+05:30सुंदर प्रस्तुतिसुंदर प्रस्तुतिएस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-49496404325839178812010-12-15T14:45:34.681+05:302010-12-15T14:45:34.681+05:30आदरणीय मनोज कुमार जी
नमस्कार !
"आ...<b><i>आदरणीय मनोज कुमार जी</i></b> <br /> नमस्कार !<br /><br /><b> "आज की कविता का अभिव्यंजना कौशल"</b> आलेख आपके अन्य लेखों की तरह अत्यंत उपयोगी और महत्वपूर्ण है ।<b> </b> <br /><br />आपकी मेहनत, लगन और विद्वता श्लाघनीय है ! प्रशंसनीय है ! वंदनीय है !<br /> <b> </b> <b> </b> <br />आभार एवं शुभकामनाओं सहित<br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-53291531107175846332010-12-15T14:08:51.085+05:302010-12-15T14:08:51.085+05:30.
निश्चय ही कवियों का विशेष योगदान रहा है भाषा और....<br /><br />निश्चय ही कवियों का विशेष योगदान रहा है भाषा और साहित्य को समृद्ध करने में।<br />आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-25128570970688016662010-12-15T13:07:56.725+05:302010-12-15T13:07:56.725+05:30sabse pahle to intne upyogi aalekh ke liye koti ko...sabse pahle to intne upyogi aalekh ke liye koti koti dhanywaad.<br />kavita ke shuru se lekar aaj tak ke daur ki vistaar se jaankari bahut badhiya suvyasthit rahi.<br />parivartan avashyayambhav hai..aur vo hona hi chaahiye...ye parivartan hi jindgi bhi hai...lekin ise sweekar kar pana hi mushkil hai. jise sweekar karna hi chaahiye.<br />shukriya is prastuti ke liye.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-49364809879648588332010-12-15T12:54:19.331+05:302010-12-15T12:54:19.331+05:30भाषा में प्रायः देखे जा रहे बदलाव पर कविता के प्रा...भाषा में प्रायः देखे जा रहे बदलाव पर कविता के प्रारंभिक दौर से वर्तमान तक के सफ़र की विस्तृत चर्चा आपके इस आलेख में पढ़ने को मिली.<br />उदाहरण देते हुए आपने इस आलेख को साहित्यिक नज़रिए से बड़ा प्रभावी, उपयोगी,जानकारीपरक और मूल्यवान बनाया है. आपकी मेहनत प्रशंसायोग्य है.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-46414128357212586732010-12-15T12:42:39.896+05:302010-12-15T12:42:39.896+05:30भाषा के स्वरूप पर जितना प्रकाश डाला वह जानकारी देन...भाषा के स्वरूप पर जितना प्रकाश डाला वह जानकारी देने वाला है. इस ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-6653257525634092212010-12-15T12:25:18.405+05:302010-12-15T12:25:18.405+05:30आज तो बहुत ही उपयोगी जानकारी दी साथ ही सूक्ष्मता स...आज तो बहुत ही उपयोगी जानकारी दी साथ ही सूक्ष्मता से विश्लेषण किया है……………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18319234555797124632010-12-15T11:36:55.613+05:302010-12-15T11:36:55.613+05:30आज चुनी गई थी मेरी एक रचना चर्चामंच पर /
वही से दे...आज चुनी गई थी मेरी एक रचना चर्चामंच पर /<br />वही से देखा आपको /बड़ा ही अच्छा लग रहा है जुड़ करbabanpandeyhttps://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-68379042074475396112010-12-15T10:21:56.973+05:302010-12-15T10:21:56.973+05:30ज्ञान-वर्धक आलेख.बधाई और आभार.ज्ञान-वर्धक आलेख.बधाई और आभार.Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-30868632064137122592010-12-15T09:45:23.436+05:302010-12-15T09:45:23.436+05:30आज की कविता ...पर आपका यह लेख जानकारी युक्त है ......आज की कविता ...पर आपका यह लेख जानकारी युक्त है ...बहुत से उदाहरणों के साथ बात को स्पष्ट कर अपनी बात रखी गयी है ...सच ही आज कविता ..शब्दों के सौंदर्य से ज्यादा कथ्य पर आधारित होती है ...<br /><br />" इस दौर में निषेध, नकार, विद्रोह, आक्रोश एवं अस्वीकृति के तेवर थे। वर्तमान परिवेश की विसंगति को उजागर करके उसके प्रति निषेध, नकार और अस्वीकृति के भाव को अभिव्यक्ति दी जाने लगी। एक वर्ग ऐसा भी रहा जो व्यवस्था के विरूद्ध विद्रोह एवं आक्रोश को अपना विषय बनाने लगा। "<br /><br />साहित्य के क्षेत्र में यह लेख मील का पत्थर साबित होगा ...आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-27701744488149597862010-12-15T08:17:42.422+05:302010-12-15T08:17:42.422+05:30बहुत उपयोगी और सार्थक पोस्ट! इस पोस्ट की चर्चा आज ...बहुत उपयोगी और सार्थक पोस्ट! इस पोस्ट की चर्चा आज नं.-1 पर है!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-90826364938258199572010-12-15T08:03:15.770+05:302010-12-15T08:03:15.770+05:30... sadiyon se chalaa aa rahaa hai ki ek antaraal ...... sadiyon se chalaa aa rahaa hai ki ek antaraal ke baad saahityakaaron ne "shabdon va bhaavon" men nayaapan laane kaa prayaas kiyaa hai ... kabhee kabhee to aisaa hotaa hai ki shabd samajh nahee aate aur kabhee kabhee bhaavaarth samajh nahee aate ... jise paathak ko samajhane kaa pryaas karnaa padtaa hai jo nihaayat jaruree bhee hai ... yadi kuchh nayaapan nahee rahegaa to shaayad prasanshaneey nahee ho paayegaa ... ek behad prabhaavashaalee post ... bahut bahut badhaai !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.com