tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post6526253979366897106..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: विश्वासराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58854265120924084482011-01-26T00:01:45.979+05:302011-01-26T00:01:45.979+05:30संगीता दी!
सरल शब्दों में गहरी व्याख्या करती कविता...संगीता दी!<br />सरल शब्दों में गहरी व्याख्या करती कविता!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-87562459846282689092011-01-25T19:00:01.570+05:302011-01-25T19:00:01.570+05:30आपके ब्लाग के १ वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई.आपके ब्लाग के १ वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई.ज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-31361936567316858102011-01-25T18:50:39.981+05:302011-01-25T18:50:39.981+05:30विश्वास और अविश्वास के बीच की दीवार को उजागर करने ...विश्वास और अविश्वास के बीच की दीवार को उजागर करने का सुंदर प्रयास और उससे सुंदर उद्गार.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-18994642159700662272011-01-25T12:42:30.903+05:302011-01-25T12:42:30.903+05:30विश्वाश/अविश्वाश के बीच पुल बनाती हुई सुन्दर रचना....विश्वाश/अविश्वाश के बीच पुल बनाती हुई सुन्दर रचना.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-44658343867804410842011-01-25T12:05:43.379+05:302011-01-25T12:05:43.379+05:30विश्वास, अंधविश्वास और शक पर विश्वास के बारे में क...विश्वास, अंधविश्वास और शक पर विश्वास के बारे में कल जब से कविता पढी है, मनन कर रहा हूं, उलझ सा गया हूं, निकल ही नहीं पा रहा। ठीक उसी तरह जैसे शक्की अपने शक के जाल में उलझे रहते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70543285018762932362011-01-24T20:34:31.746+05:302011-01-24T20:34:31.746+05:30इस कविता में विश्वास और शक़ के दायरे को बखूबी ढाला...इस कविता में विश्वास और शक़ के दायरे को बखूबी ढाला है आपने।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-27462703215846798772011-01-24T17:23:41.034+05:302011-01-24T17:23:41.034+05:30जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों क...जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये. <br /><br /><a rel="nofollow"><b>@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"</b><br /><br />जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?<br /><br />जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.<br /><br />आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.<br /><br />आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?<br /><br />वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.<br /><br />हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.<br /><br />सदभावना पूर्वक<br />-राधे राधे सटक बिहारी</a>Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70014271081678779382011-01-24T17:23:28.658+05:302011-01-24T17:23:28.658+05:30जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों क...जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये. <br /><br /><a rel="nofollow"><b>@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"</b><br /><br />जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?<br /><br />जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.<br /><br />आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.<br /><br />आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?<br /><br />वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.<br /><br />हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.<br /><br />सदभावना पूर्वक<br />-राधे राधे सटक बिहारी</a>Radhe Radhe Satak Biharihttps://www.blogger.com/profile/15040698552720503490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-7742135447950607232011-01-24T16:47:02.241+05:302011-01-24T16:47:02.241+05:30Bouth he aache shabad likhe hai aapne .... bouth a...Bouth he aache shabad likhe hai aapne .... bouth aacha lagaa<br /><br />Pleace visit My Blog Dear Friends...<br /><a href="http://lyrics-mantra.blogspot.com" rel="nofollow">Lyrics Mantra</a><br /><a href="http://musicboll.blogspot.com" rel="nofollow">Music BOl</a>ManPreet Kaurhttps://www.blogger.com/profile/17999706127484396682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-72689490240018496902011-01-24T16:38:15.287+05:302011-01-24T16:38:15.287+05:30विश्वास और अविश्वास पर प्रकाश डालती सुन्दर शब्द र...विश्वास और अविश्वास पर प्रकाश डालती सुन्दर शब्द रचना अच्छी लगी .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-14787298819903108302011-01-24T15:15:29.749+05:302011-01-24T15:15:29.749+05:30क्या फलसफा है..विश्वास अविश्वास का फर्क अच्छा समझा...क्या फलसफा है..विश्वास अविश्वास का फर्क अच्छा समझाया आपने.<br />सार्थक रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-47545388381316520342011-01-24T14:46:47.896+05:302011-01-24T14:46:47.896+05:30भरोसा बढ़ाने वाले शब्द.भरोसा बढ़ाने वाले शब्द.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-7957485003702879502011-01-24T14:45:50.795+05:302011-01-24T14:45:50.795+05:30सुन्दर कविता..धन्यवाद...सुन्दर कविता..धन्यवाद...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-82664422070406515082011-01-24T12:55:13.659+05:302011-01-24T12:55:13.659+05:30विचारणीय प्रस्तुति
"तुमने -
मेरे विश्वास को...विचारणीय प्रस्तुति <br />"तुमने -<br />मेरे विश्वास को तोडा है ।"<br /><br />लगता है जीवन में शक का स्थान विश्वास से ऊँचा हो चला है आजकल तभी तो विश्वास जल्दी डगमगाने लगता हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-398440471770431442011-01-24T11:41:35.828+05:302011-01-24T11:41:35.828+05:30बहुत ही सुंदर शिक्षा...जो जीवनोपयोगी है!...धन्यवाद...बहुत ही सुंदर शिक्षा...जो जीवनोपयोगी है!...धन्यवाद, संगीताजी!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-8019970110009233662011-01-24T11:23:38.432+05:302011-01-24T11:23:38.432+05:30विश्वास और अन्धविश्वास के बीच की पतली सी लकीर को ब...विश्वास और अन्धविश्वास के बीच की पतली सी लकीर को बखूबी उजागर किया है………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75393824137836857242011-01-24T11:06:55.182+05:302011-01-24T11:06:55.182+05:30विश्वास और अविश्वास की बहुत सुन्दर परिभाषा के साथ ...विश्वास और अविश्वास की बहुत सुन्दर परिभाषा के साथ बहुत ही प्यारी रचना ! मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-88080389777604526942011-01-24T10:21:41.768+05:302011-01-24T10:21:41.768+05:30नाज़ुक सवाल है इस कविता में .नाज़ुक सवाल है इस कविता में .Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-62844485996722122932011-01-24T09:57:24.322+05:302011-01-24T09:57:24.322+05:30विश्वास की अपेक्षा,स्वयं के विश्वासो पर आत्मविश्वा...विश्वास की अपेक्षा,स्वयं के विश्वासो पर आत्मविश्वास की कमी है।<br /><br />सटीक चिंतनसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70755475922940407232011-01-24T09:47:06.507+05:302011-01-24T09:47:06.507+05:30तुम मुझे समझ नहीं पाये /पायी ...यह भी मुझे अविश्वा...तुम मुझे समझ नहीं पाये /पायी ...यह भी मुझे अविश्वास करने जैसा ही लगता है ...<br /><br />अपने यकीन पर अपने दिल की आवाज़ पर भरोसा रखे तो ना शक होगा ना विश्वासघात ..<br /><br />सार्थक सन्देश !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-13607578021159245932011-01-24T08:44:48.039+05:302011-01-24T08:44:48.039+05:30बहुत गहन बात कही आपने । विश्वाश की बात यदे हम बार ...बहुत गहन बात कही आपने । विश्वाश की बात यदे हम बार बार करते हाइ ओ हमारे मन मे कही ना कही अविश्वास का अंकुर जन्म ले चुका होता हैpalashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-71093777326602978602011-01-24T07:54:34.233+05:302011-01-24T07:54:34.233+05:30मनेष्य के मन में पल रहे विश्वास और अविश्वासों पर आ...मनेष्य के मन में पल रहे विश्वास और अविश्वासों पर आपकी यह रचना एक शोध रचना के रूप में जानी जाएगी!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-65563247318751289522011-01-24T06:11:49.064+05:302011-01-24T06:11:49.064+05:30अन्धविश्वास और विश्वास के बीच के फर्क को समझती, सम...अन्धविश्वास और विश्वास के बीच के फर्क को समझती, समझती कविता.. सुन्दर !अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com