tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post6898946004728426984..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: कहानी ऐसे बनी– 7 :: मरद उपजाए धान ! तो औरत बड़ी लच्छनमान !!राजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70343270485075726682010-10-11T11:46:42.721+05:302010-10-11T11:46:42.721+05:30रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है , उसकी प्रेरणा वहां छ...रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है , उसकी प्रेरणा वहां छुपी थी ,इसीलिए श्रेय उसे मिला है .शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-10595149494473960912010-10-10T23:56:42.710+05:302010-10-10T23:56:42.710+05:30कृषि-प्रधान समाज में ऐसे मुहावरे का चलन ज्योतिषीय ...कृषि-प्रधान समाज में ऐसे मुहावरे का चलन ज्योतिषीय आस्था के कारण शुरु हुआ होगा। यह मुहावरा औरों के लिए भले व्यंग्यात्मक हो,पति-पत्नी के लिए तो संबंधों में मिठास घोलने जैसा ही रहा होगा।शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-9669760802923607822010-10-10T23:33:08.227+05:302010-10-10T23:33:08.227+05:30रूपवती सच में लच्छनमान है। यक़ीन न हो तो मायके भिज...रूपवती सच में लच्छनमान है। यक़ीन न हो तो मायके भिजवा के देखिए। मंगरू फिर कहीं इधर-उधर टउआता ही मिलेगा!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-28124964864040489442010-10-10T20:08:12.877+05:302010-10-10T20:08:12.877+05:30@ सहज साहित्य के कम्बोज जी
ओह सर!
धन्य हुआ।
जब ब्ल...@ सहज साहित्य के कम्बोज जी<br />ओह सर!<br />धन्य हुआ।<br />जब ब्लोग से जुड़ा था, तो अपने ब्लॉग "मनोज" पर पहली पोस्ट एक लघुकथा डाली थी जो राजस्थान पत्रिका में छपी थी! फिर सोचा कि लघु कथा ठीक ठाक लिखता हूं कि नहीं। तो सर्च मारा और पहुंचा आपके लघुकथा डॉट कॉम पर और आपके और अन्य लेखकों के आलेख पढे। और आपकी वह लघु कथा जो संवादों में कही गई थी जिसके पात्र इंटर्नेट पर मिलते हैं।<br />पढा और उसी तर्ज़ पर एक लघुकथा भी लिखी। "ब्लेसिंग"।<br />आप तो मेरे गुरु हैं इस लिहाज से।<br />लिंक देकर तो आपने हमें हन्य कर दिया।<br />सादर,<br />मनोजमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-49104891242539367002010-10-10T16:43:43.059+05:302010-10-10T16:43:43.059+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (11/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा।<br />http://charchamanch.blogspot.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-23553080364629705332010-10-10T15:23:44.438+05:302010-10-10T15:23:44.438+05:30का कारन भाई, अबे धान उपजाने पड़ेंगे.....
"मर...का कारन भाई, अबे धान उपजाने पड़ेंगे.....<br /><br />"मरद उपजाए धान ! तो औरत बड़ी लच्छनमान !!"<br /><br />बढिया लगा.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-73386294047179124412010-10-10T13:48:47.210+05:302010-10-10T13:48:47.210+05:30लेकिन मंगरू की प्रेरणा तो रूपवती ही है | उसीने मंग...लेकिन मंगरू की प्रेरणा तो रूपवती ही है | उसीने मंगरू को ठलुए से इन्सान बना दिया |hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-87401989909326256372010-10-10T13:10:01.614+05:302010-10-10T13:10:01.614+05:30"मार मुंहझौंसा
हा.हा.हा. ये शब्द सही लिखा
स..."मार मुंहझौंसा<br />हा.हा.हा. ये शब्द सही लिखा <br /><br />सच कहा . वैसे पहली बार देखा कि इस कहानी में स्त्री को मान दिया जा रहा है...वर्ना तो मामला उल्टा ही रहता है.<br /><br /> इस बहाने हम पौराणिक बातों को जान पा रहे हैं. <br />शुक्रिया.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70404746083135611542010-10-10T11:55:01.056+05:302010-10-10T11:55:01.056+05:30कहावत को कहने के लिए बहुत बढ़िया कहानी ...निर्मला...कहावत को कहने के लिए बहुत बढ़िया कहानी ...निर्मला जी की कहानी भी बढ़िया लगी ...उत्साही जी की बात में दम है ..सही है मेहनत करने पर यदि धान न होता तो सारा दोष स्त्री पर ही जाता ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-9435341177038727232010-10-10T11:11:31.199+05:302010-10-10T11:11:31.199+05:30kahawat ke peeche ki kahani badi rochakta se batay...kahawat ke peeche ki kahani badi rochakta se batayi gayi hai!<br />nice post,<br />best wishes!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-26302973912252056942010-10-10T11:03:23.897+05:302010-10-10T11:03:23.897+05:30पहली बात तो करण जी और मनोज जी को इस बात के लिए बधा...पहली बात तो करण जी और मनोज जी को इस बात के लिए बधाई कि वे इस विरासत को सबके सामने ला रहे हैं। <br />पर इसका एक और पहलू हैं कि हमारी ऐसी लोक्कोतियां,मुहावरे,कहावत आदि आज के संदर्भ में कितनी प्रासंगिक हैं उनका विश्लेषण भी किया जाना चाहिए। यह प्रसंग जब उल्टा होता होगा कि मेहनत करने के बाद भी धान नहीं उपजता तो लच्छमान औरत कुलच्छनी हो जाती है। गहरी बात यह है कि सारा दोष औरत के सिर ही जाता है। <br />आशा करता हूं अगली पोस्ट में आप इस संदर्भ में भी चर्चा करेंगे।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61356729954443802212010-10-10T10:35:53.416+05:302010-10-10T10:35:53.416+05:30ाउर पंजाबी मे इसेैसे कहते हैं
घिओ[ घी] बनाये चोंचल...ाउर पंजाबी मे इसेैसे कहते हैं<br />घिओ[ घी] बनाये चोंचले बडी बहुत का नाम। इसकी कहानी कुछ ऐसे है कि ब्डी बहु की जब खाना बनाने की बारी होती तो वो अधिक घी आदि प्रयोग करती मगर जब छोटी बहु को खाना बनाने के लिये सामान देती तो घी आदि कम देती ,क्यों की बडी होने के नाती सब कुछ उसके हाथ मे था । अब अधिक घी आदि से खाना स्वाद बनता। सब लोग बडी की तारीफ करते। तो एक दिन छोटी से रहा न गया उसने कह दिया-- घिओ बणाये चोंचले बडी बहुत दा नाँ[ अर्थाक घी के कारण खाना स्वाद बना है पर नाम बडी बहु का हो गया। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-26461862593870581542010-10-10T09:34:42.643+05:302010-10-10T09:34:42.643+05:30इसे कहते हैं उत्तम लेखन । माटी की खुशबू में पगी भा...इसे कहते हैं उत्तम लेखन । माटी की खुशबू में पगी भाषा । मैं भी चार दिन अपने सहारनपुर के गाँव से लौटा हूँ तो आपकी पोस्ट दिल में और घर कर गई ।<br />आपके ब्लॉग का लिंक अपने ब्लॉग पर दे रहा हूं ।<br />रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-27818222140511069722010-10-10T06:58:55.595+05:302010-10-10T06:58:55.595+05:30Beautiful post !Beautiful post !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-26143785551634787882010-10-10T06:23:26.285+05:302010-10-10T06:23:26.285+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्र...<b> बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!</b>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.com