tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post6908493386779763003..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: झीनी झीनी बीनी चदरिया॥राजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-49459416748917899352012-02-23T17:56:45.754+05:302012-02-23T17:56:45.754+05:30sahi kah rahi hai aap..sahi kah rahi hai aap..sandeepnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-32737794143100883792011-11-02T20:29:27.785+05:302011-11-02T20:29:27.785+05:30कबीर को दुनिया का सबसे क्रांतिकारी कवि कहा जाता है...कबीर को दुनिया का सबसे क्रांतिकारी कवि कहा जाता है…रचना जी वाली कथा ठीक लगी…अनूप जलोटा ने गाया है इसे…कइयों ने गाया होगा…चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-47055529057908064222011-11-01T23:26:53.443+05:302011-11-01T23:26:53.443+05:30कबीर जी का यह पद पढ़वाने के लिए आपका आभार...काश हर...कबीर जी का यह पद पढ़वाने के लिए आपका आभार...काश हर कोई अपने जीवन की चादर को कबीर की तरह रख सके और उसे उसी रूप में उसे लौटा सके...उसने हमें बहुत साफ-सुथरी जिंदगी दी है,लेकिन हम उसे काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद और मत्सर(ईर्ष्या) से मैला कर देते हैं। सार्थक प्रस्तुति।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-74324306747482314392011-11-01T22:43:45.960+05:302011-11-01T22:43:45.960+05:30दास कबीर जतन से ओढ़ी ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिय...दास कबीर जतन से ओढ़ी ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया॥ ऐसा तो सिर्फ़ कबीर ही कर सकते थे हम जैसे इंसान तो मैला कर देते हैं …………vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-30712839198140615112011-11-01T21:34:57.901+05:302011-11-01T21:34:57.901+05:30Bahut badhiya rachana se ru-b-ru karaya aapne!Bahut badhiya rachana se ru-b-ru karaya aapne!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39992348466388373812011-11-01T21:27:29.757+05:302011-11-01T21:27:29.757+05:30es padya main kabeer ka dambh bol raha haies padya main kabeer ka dambh bol raha haikumar vichitranoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-84801505177026818682011-11-01T16:46:24.044+05:302011-11-01T16:46:24.044+05:30आह सुन्दर.कबीर जैसे भाव और कहाँ.आह सुन्दर.कबीर जैसे भाव और कहाँ.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-1104565800933646012011-11-01T15:51:39.007+05:302011-11-01T15:51:39.007+05:30एक अच्छी कविता पढवाने का आभार...एक अच्छी कविता पढवाने का आभार...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-8790233239823091092011-11-01T11:26:46.640+05:302011-11-01T11:26:46.640+05:30संत कबीर जैसे महान समाज सुधारकों की अनमोल वाणी से ...संत कबीर जैसे महान समाज सुधारकों की अनमोल वाणी से ही समाज को जीने की सही राह मिल सकती है. सार्थक प्रस्तुतिकरण के लिए आभार .Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-6842403963632924092011-11-01T11:14:31.983+05:302011-11-01T11:14:31.983+05:30न मन वैसा रहा,न सद्कर्मरत रहे। प्रभु से बस लेना ही...न मन वैसा रहा,न सद्कर्मरत रहे। प्रभु से बस लेना ही हुआ। जब होगा मिलन,आत्मग्लानि के सिवा कुछ बचेगा नहीं अपने पास।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-8294839182395613972011-11-01T11:14:07.410+05:302011-11-01T11:14:07.410+05:30सन्देश परक रचना पढवाने का आभारसन्देश परक रचना पढवाने का आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-70192648680967848042011-11-01T10:11:08.966+05:302011-11-01T10:11:08.966+05:30एक बार कबीर से मिलने क़ोई उनके घर आया
कबीर नहीं थे...एक बार कबीर से मिलने क़ोई उनके घर आया<br />कबीर नहीं थे<br />कहां मिलेगे<br />एक संत ने कहा कबीर , किसी की मृत्यु के बाद , शमशान घाट गए हैं वहाँ चले जाओ<br />मिलने वाले ने पूछा मै उन्हे पह्चानुगा कैसे<br />संत ने कहा कबीर के सिर पर एक लौ जलती दिखेगी<br /><br />मिलने आने वाला शमशान घाट गया और लौट आया<br /><br />संत ने पूछा मिल आये<br />उसने कहा नहीं पहचान पाया , वहाँ सबके सिर पर लौ जल रही थी<br /><br />संत ने कहा दुबारा जाओ और अबकी बार शमशान घाट के बाहर खड़े रहना और इंतज़ार करना<br /><br />मिलने वाला दुबारा गया शमशान घाट के दरवाजे पर खडा होगया<br />लोग बाहर आने लगे<br />वो अंत में कबीर को पहचान गया<br /><br />कैसे<br />कबीर के सिर की लौ शमशान घाट से बाहर आने के बाद भी जलती हुई दिख रही थी और बाकी सब की शमशान के दरवाजे तक ही जलती थीरचनाhttp://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-25928070722413075332011-11-01T10:10:12.617+05:302011-11-01T10:10:12.617+05:30सत्यम शिवम् सुंदरमसत्यम शिवम् सुंदरमगिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-24784958026771878212011-11-01T09:07:17.162+05:302011-11-01T09:07:17.162+05:30कवीर दास जी को एक समाज सुधारक भी कहते हैं इस लिए स...कवीर दास जी को एक समाज सुधारक भी कहते हैं इस लिए सारगर्भित रचनाएँSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-79910589337183323512011-11-01T08:10:04.576+05:302011-11-01T08:10:04.576+05:30बहुत सुन्दर प्रेरणादायक रचना| धन्यवाद|बहुत सुन्दर प्रेरणादायक रचना| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-67893871589062977482011-11-01T07:40:13.155+05:302011-11-01T07:40:13.155+05:30सो चादर सुर नर मुनि ओढ़े, ओढ़ के मैली कीनी चदरिय...सो चादर सुर नर मुनि ओढ़े, ओढ़ के मैली कीनी चदरिया।<br />दास कबीर जतन से ओढ़ी ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया॥<br /><br />कबीरदास निर्गुणिया संत परंपरा के कवि होने के कारण धार्मिक पाखंडों एवं तदयुगीन समाज में व्याप्त आडंबरों के विरूद्ध अपनी वाणी के माध्यम से समाज में अपना संदेश देते रहे । उपर्युक्त दोहों में उन्होमे मन को मलीन न करने का संदेश दिया है । उनकी मान्यता रही होगी कि य़ह शरीर पवित्र है एवं इस पर किसी भी प्रकार का दाग नही लगना .चाहिए । जीवन के आध्यत्मिक स्तर से उपर की ओर उठते हुए उन्होंने गुरू की वाणी और संदेश को अपने जीवन में डालने पर ही विशेष बल दिया है । इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कहा है-<br /><br />आछे दिन पाछे गए गुरू से किया न हेत,<br />अब पछताए होत क्या, चिड़िया चुग गई खेत ।।<br /> पोस्ट अच्छा लगा । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com