tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post7508910183134035245..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: पुस्तक परिचय-9 : सूफ़ीमत और सूफ़ी-काव्यराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-5605686975580737392011-12-04T08:53:36.830+05:302011-12-04T08:53:36.830+05:30श्री मनोज कुमार जी ,नमस्कार
मेरा विचार है कि मेरे...श्री मनोज कुमार जी ,नमस्कार <br />मेरा विचार है कि मेरे कुछ पोस्टों को "राजभाषा ब्लॉग" पर भी प्रकाशित कर देते तो जो लोग इस पोस्ट पर नियमित रूप से आते हैं ,वे भी इसे पढ़ पाते । जिस हिंदी की विकाश के लिए हम सब अपना अमूल्य समय व्यर्थ करते हैं, उसकी सार्थकता प्रासांगिक सिद्ध होती । आपके सुझाव के अनुसार जो कुछ भी मुझे पसंद आता है उसे बटोर कर प्रस्तुत कर देता हूँ।<br />मरे अनुरोध पर विचार कीजिएगा । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-45004899486216916462011-12-03T18:25:53.712+05:302011-12-03T18:25:53.712+05:30किताबों का क्रम जारी है। सूफी साहित्य को अलग करके ...किताबों का क्रम जारी है। सूफी साहित्य को अलग करके उसे विस्तार से बताया गया किताब में। अध्ययन और शोध करने वालों को लाभ मिलेगा।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-51549913823800518382011-12-03T17:56:20.355+05:302011-12-03T17:56:20.355+05:30मनोज जी,
किसान को अपने लहलहाते खेत और बाबा भारती क...मनोज जी,<br />किसान को अपने लहलहाते खेत और बाबा भारती को अपने घोड़े सुलतान को देखकर भी वह आनंद नहीं आता होगा, किसी माता को अपनी संतान देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद मैंने आपके चेहरे पर देखा है जब आप साहित्य अकादमी के पुस्तक विक्रय केंद्र में लगी पुस्तकों को देख रहे थे.. <br />सूफीमत और सूफी साहित्य या सूफी संगीत आत्मा का साहित्य और संगीत है जिसे सुनते हुए इंसान एक दूसरी दुनिया में पहुँच जाता है!! बहुत ही सुन्दर प्रतिक्रया और पुस्तक परिचय!!! आभार!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61254966589966671542011-12-03T16:54:58.756+05:302011-12-03T16:54:58.756+05:30हमें तो काफी -कुछ जानने को मिला ....आभारहमें तो काफी -कुछ जानने को मिला ....आभाररेखाhttps://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58985832458654714692011-12-03T15:54:49.688+05:302011-12-03T15:54:49.688+05:30बहुत ही बढिया जानकारी मिली…………आभार्।बहुत ही बढिया जानकारी मिली…………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-61177354620857539802011-12-03T14:18:50.463+05:302011-12-03T14:18:50.463+05:30सूफी मतों के सुफियों ने भारत की धरती पर जन्में धर्...सूफी मतों के सुफियों ने भारत की धरती पर जन्में धर्मों से बहुत कुछ लिया है । माला जपने की क्रिया उन्होंने बौद्ध धर्म से ली है । सुफियों में शहद खाने का निषेध और अहिंसा- पालन का सिद्धांत जैन धर्म से लिया । भारतीय योगमत का भी सुफियों पर पर्याप्त प्रभाव पड़ा । आसन प्राणायाम आदि के लिए सूफी, योगियों के ॠणी है । सूफी अब सईद ने योगियों से ही ध्यान धारण की बातें सीखी थी । ईश्वराशधन सुफियों का ध्येय था, प्रेम उनका मूल मंत्र था। एकेश्वरवाद में उनकी आस्था थी, उनके लिए हिंदू- मुस्लिम एक अल्लाह की ही संतान थे। उनकी भेद में जाति भेद नही था । भारतीय हिंदू में मूर्ति पूजा का प्रचार था । सूफी एवं मुसलमानों पर भी इसका प्रभाव पड़ा । वे समाधि- स्थानों की यात्रा करने लगे । इन स्थानों पर दीप चढ़ाने आदि के द्वारा उन्होंने भी पीरों की पूजा शुरु की । सुफियों ने भारतीय वातावरण के अनुकूल केवल प्रचार ही नहीं किया था, वरन सुन्दर काव्य की भी रचना की। इन काव्य रचनाओं में प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों रुपों में सूफी मत के सिद्धांतों का प्रतिपादन हुआ था । इनका उद्देश्य ईश्वरीय प्रेम के अतिरिक्त जन- समाज को प्रेम- पाश में आबद्ध करना भी था। <br />सूफीमत और सूफी काव्. पर प्रस्तुत जानकारी अच्छी लगी । इस पुस्तक को पढ़ने की कोशिश करूंगा । सूचनापरक पोस्ट के लिए धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-71847170852800842802011-12-03T13:54:37.845+05:302011-12-03T13:54:37.845+05:30बेहतरीन समालोचना रचनाकार के प्रति आदर भाव से संसिक...बेहतरीन समालोचना रचनाकार के प्रति आदर भाव से संसिक्त जो आलोचना की पहली शर्त है .दंभ से मुक्त होकर लिखतें हैं मनोज भाई .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-76061737654053665532011-12-03T13:24:38.139+05:302011-12-03T13:24:38.139+05:30सूफी साहित्य पर अल्प कार्य हमारे बीच कट्टरता पसरते...सूफी साहित्य पर अल्प कार्य हमारे बीच कट्टरता पसरते जाने की दास्तान है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-42689152257110184582011-12-03T11:39:52.688+05:302011-12-03T11:39:52.688+05:30पुस्तक आप पढते हैं और फायदा बहुतों को होता है ......पुस्तक आप पढते हैं और फायदा बहुतों को होता है ... अच्छी जानकारी मिली ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-48581881843643235412011-12-03T11:17:17.318+05:302011-12-03T11:17:17.318+05:30हम तो बस देखकर विस्मित रह जाते हैं कि कितना पढ़ते ...हम तो बस देखकर विस्मित रह जाते हैं कि कितना पढ़ते हैं आप... और लिखते भी हैं... सुन्दर समीक्षा...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com