tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post8250239086917680796..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: प्रेमचंद युगीन उपन्यास (1918-1936)राजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-57720820939282441082024-01-09T09:42:34.451+05:302024-01-09T09:42:34.451+05:30Premachandra yugeen
Hindi upanyasPremachandra yugeen<br /> Hindi upanyasAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-55408517319054500122022-05-11T17:33:08.761+05:302022-05-11T17:33:08.761+05:30Premchand yug ke upanyas
Premchand yug ke upanyas<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-63610718956055723892021-07-17T10:31:28.724+05:302021-07-17T10:31:28.724+05:30In upanyaso ka uddesh kya hai?In upanyaso ka uddesh kya hai?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14003242139575066007noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-35063863727166151022020-11-16T11:56:39.108+05:302020-11-16T11:56:39.108+05:30प्रगतिशील उपन्यास का विकास ओर विशेषतया
प्रगतिशील उपन्यास का विकास ओर विशेषतया<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04920353194408388786noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-19485075769905295972018-01-08T08:03:11.258+05:302018-01-08T08:03:11.258+05:30प्रेमचंद युगीन हिंदी उपन्याशकारो में प्रेमचंद अपनी...प्रेमचंद युगीन हिंदी उपन्याशकारो में प्रेमचंद अपनी महान प्रतिभा के कारण युग प्रवर्तक के रूप में जाने जाते है।<br />प्रेमचंद के उपन्यास राष्ट्रीय आंदोलन, कृषक समस्या, मानवतावाद, भारतीय संस्कृति, शोषढ़ ,विधवा विवाह, दहेज़ प्रथा आदि विषये से सम्बंधित हैं।राहुल पाराशरnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-1860700651324167902011-04-15T00:22:53.947+05:302011-04-15T00:22:53.947+05:30एक्सार्थक प्रस्तुति उपन्यास सम्राट के कृतित्व के म...एक्सार्थक प्रस्तुति उपन्यास सम्राट के कृतित्व के माध्यम से उपन्यास चर्चा!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-67255090487876826562011-04-14T22:07:03.708+05:302011-04-14T22:07:03.708+05:30धनपत राय प्रेमचंद जी के उपन्यासों में सामाजिक सराक...धनपत राय प्रेमचंद जी के उपन्यासों में सामाजिक सराकारों की गहरी पैठ दिखाई पड़ती है, उन्होंने उपन्यास को तिलस्म और काल्पनिक जगत से निकाल कर यथार्थ के धरातल पर स्थापित किया। उनके अन्य उपन्यासों में प्रेमा, वरदान,सेवासदन,कर्मभूमि,गबन, कायाकल्प,वरदान,आदि प्रमुख हैं। <br /><br />प्रेमचंद उपन्यास सम्राट सिद्ध होते हैं। यथार्थ के साथ-साथ उनमें आदर्श के भी पूरे गुण उपस्थित होते हैं । <br /><br />धन्यवाद इस जानकारी के लिए।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-69605120134151735592011-04-14T16:41:37.200+05:302011-04-14T16:41:37.200+05:30प्रेमचंद ने आम आदमी के जीवन को नजदीक से अपने रचन...प्रेमचंद ने आम आदमी के जीवन को नजदीक से अपने रचनाओं में उढ़ेरा | इसीलिए जन-मानस तक तथा सबके प्रिय रहे | सभी के दिलो में उनकी रचनाये बैठ गयी | इस लेख के लिए आप का बहुत - बहुत धन्यबादG.N.SHAWhttps://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-90992938056552827912011-04-13T19:49:23.828+05:302011-04-13T19:49:23.828+05:30हिंदी पढ़ने वाला मुंशी जी का प्रसंशक न हो ऐसा हो ह...हिंदी पढ़ने वाला मुंशी जी का प्रसंशक न हो ऐसा हो ही नहीं सकता..<br />बहुत सुन्दर प्रस्तुति आभार.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-14135518290185564672011-04-13T16:57:13.515+05:302011-04-13T16:57:13.515+05:30इस युग में उपन्यासों ने समाज का यथार्थवादी चित्रण ...इस युग में उपन्यासों ने समाज का यथार्थवादी चित्रण किया था . आपका आलेख जानकारी पूर्ण है.मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-62412821254991383412011-04-13T16:12:00.310+05:302011-04-13T16:12:00.310+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (14-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-893109169372217512011-04-13T11:41:03.336+05:302011-04-13T11:41:03.336+05:30मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों का अपना पूरा इतिहास है...मुंशी प्रेमचंद के उपन्यासों का अपना पूरा इतिहास है ...बहुत अच्छी प्रस्तुति ...नारी भावनाओं से जुड़ा उनका निर्मला उपन्यास बहुत पसंद है ..उनके हर उपन्यास में सामाजिक रीतियों का ज़िक्र सही चित्रण प्रस्तुत करता हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39970031415298488642011-04-13T10:56:01.497+05:302011-04-13T10:56:01.497+05:30उपन्यास की यह कक्षा अच्छी लगी...उपन्यास की यह कक्षा अच्छी लगी...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-68345576200947382972011-04-13T07:11:55.669+05:302011-04-13T07:11:55.669+05:30वर्ष 1918 से 1936 का कालखंड पेमचंद के नाम जाता है ...वर्ष 1918 से 1936 का कालखंड पेमचंद के नाम जाता है जिन्होंने उपन्यास के क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित किया। उनके उपन्यासों के संबंध में <br />'ऱामविलाश शर्मा' एवं 'नलिन' जी के विचारों का समावेश अच्छा लगा। 'मंगलसूत्र' ही केवल अधूरा रह गया जिसे बाद में उनके सुपुत्र अमृत्र राय ने पूरा किया। प्रेमचंद के बारे में जानकारी अच्छी लगी। धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com