tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post8294224648593309145..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: लेखक / मुंशी प्रेमचंदराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-76804115301933713492012-07-24T23:33:22.056+05:302012-07-24T23:33:22.056+05:30संगीता जी ,यह कहानी पहली बार पढी है । आपका बहुत-बह...संगीता जी ,यह कहानी पहली बार पढी है । आपका बहुत-बहुत आभार । यहीं तो पता चलता है कि ,प्रेमचन्द ,केवल प्रेमचन्द ही थे । और वीरूभाई की बात से मैं सहमत नही हूँ ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-90856262626219088332012-07-23T23:26:53.604+05:302012-07-23T23:26:53.604+05:30यह कहानी भी नहीं पढ़ी थी। आभार आपका।यह कहानी भी नहीं पढ़ी थी। आभार आपका।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-29737576505074930732012-07-22T21:41:30.118+05:302012-07-22T21:41:30.118+05:30बूंद-बूंद इतिहास पर आज पढ़िए प्रयोगवादी कविता की प...बूंद-बूंद इतिहास पर आज पढ़िए प्रयोगवादी कविता की प्रवृत्तियां...मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-27578508271966360262012-07-22T17:22:44.987+05:302012-07-22T17:22:44.987+05:30साहित्य-सेवा पूरी तपस्या है।साहित्य-सेवा पूरी तपस्या है।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-29942797069849139322012-07-22T11:42:28.789+05:302012-07-22T11:42:28.789+05:30वीरुभाई से सहमत!!! शायद हिंदी का लेखक अंग्रेजी के ...वीरुभाई से सहमत!!! शायद हिंदी का लेखक अंग्रेजी के लेखक से स्वयं को हीन समझता है। इस हीनता को छिपाने के लिए उसके पास सेल्फ़ डिफेन्स मैकेनिज्म भी है। भारतीय लेखक की वास्तविक मनोभूमि को उद्-घाटित करती यह कहानी अच्छी लगी। इस कहानी की सुमित्रा जैसी नारी को देखना आजकल दुर्लभ हो गया है.मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-89393672360764081742012-07-21T22:08:43.448+05:302012-07-21T22:08:43.448+05:30हम काम करते हैं और तन-मन से करते हैं। अगर इस पर भी...हम काम करते हैं और तन-मन से करते हैं। अगर इस पर भी हमें फाका करना पड़े, तो मेरा दोष नहीं। मर ही तो जाऊँगा। हमारे जैसे लाखों आदमी रोज मरते हैं। संसार का काम ज्यों-का-त्यों चलता रहता है। फिर इसका क्या गम कि हम भूखों मर जाएँगे? मौत डरने की वस्तु नहीं। मैं तो कबीरपन्थियों का कायल हूँ, जो अर्थी को गाते-बजाते ले जाते हैं। मैं इससे नहीं डरता। <br /><br />sacche lekhak ka yahi to haal hota hai. is kahani ko padh kar aisa lagta hai jaise ye kahani premchand ji ne mano apni hi aatmkatha likh di ho.<br /><br /><br />भारत में सरस्वती की उपासना लक्ष्मी की अभक्ति है। मन तो एक ही था। दोनों देवियों को एक साथ कैसे प्रसन्न करता, दोनों के वरदान का पात्र क्योंकर बनता? <br /><br />pahle ke lekhakon ki haalat aisi hoti thi lekin aaj k lekhkon ka aisa bura haal nahi hai.....bahut se hathkande apnate hain aaj ke lekhak paisa kamane k liye aur pratishthit hone k liye.<br /><br />bahut acchha raha apka yah prayas. bahut pasand aayi kahani.<br /><br />aabhar.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-7420070279256259862012-07-21T20:20:00.708+05:302012-07-21T20:20:00.708+05:30"लेखक "प्रेम चंद जी के जीवन का प्रोजेक्श..."लेखक "प्रेम चंद जी के जीवन का प्रोजेक्शन है छाया है कहानी नहीं है फलसफा है लेखक की डिफेन्स मिकेनिज्म है अपने स्व : को बच्ये छिपाए रखने की असफल चेष्टा है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-30373541459414365712012-07-21T19:08:21.469+05:302012-07-21T19:08:21.469+05:30क्या बदला है ..कुछ भी तो नहीं:):).क्या बदला है ..कुछ भी तो नहीं:):).shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-72158311415197379342012-07-21T07:54:51.802+05:302012-07-21T07:54:51.802+05:30बहुत बढ़िया संगीता दी.....
कवियों की हालत अब भी कुछ...बहुत बढ़िया संगीता दी.....<br />कवियों की हालत अब भी कुछ वैसी ही है शायद....<br />हाँ अब वे जानते हैं कि उन्हें अपनी खुशी के लिए ही लिखना है...<br />आपका और मनोज जी का आभार.<br /><br />और कहानियों के इंतज़ार में....<br /><br />सादर<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com