tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post8995149495297765167..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: धूमिल के जन्म दिन पर - किस्सा जनतंत्रराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-47615245006930500822011-11-09T23:22:59.572+05:302011-11-09T23:22:59.572+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-64030004985150374762011-11-09T21:59:43.896+05:302011-11-09T21:59:43.896+05:30खाने से पहले मुँह दुब्बर
पेटभर
पानी पीता है और लजा...खाने से पहले मुँह दुब्बर<br />पेटभर<br />पानी पीता है और लजाता है<br />कुल रोटी तीन<br />पहले उसे थाली खाती है<br />फिर वह रोटी खाता है.bhut khub.Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-68762279248188496552011-11-09T18:20:26.141+05:302011-11-09T18:20:26.141+05:30यथार्थ-चित्रण करती कविता के माध्यम से जन-कवि धूमिल...यथार्थ-चित्रण करती कविता के माध्यम से जन-कवि धूमिल जी को 76 वे जन्मदिन पर याद करके बेहद अच्छा संदेश दिया है।vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-9882087851524509032011-11-09T15:59:40.414+05:302011-11-09T15:59:40.414+05:30सही ही तो है..एकदम सच्ची कविता.सही ही तो है..एकदम सच्ची कविता.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-56159506467871280832011-11-09T11:51:40.353+05:302011-11-09T11:51:40.353+05:30एक दंत टूटी कंघी
बालों में गाने लगती है
kya sunde...एक दंत टूटी कंघी<br />बालों में गाने लगती है <br />kya sunder soche......bahut achcha laga.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-13672622700189189762011-11-09T10:25:41.948+05:302011-11-09T10:25:41.948+05:30धूमिल की नज़रों से जनतंत्र का किस्सा पढ़ना एक अलग ...धूमिल की नज़रों से जनतंत्र का किस्सा पढ़ना एक अलग ही अनुभूति देता है ..सुन्दर प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-50914248468656581962011-11-09T08:24:29.386+05:302011-11-09T08:24:29.386+05:30दिल को छू गयी धूमिल की यह कविता .सुंदर प्रस्तुतिकर...दिल को छू गयी धूमिल की यह कविता .सुंदर प्रस्तुतिकरण के लिए आपको धन्यवाद .Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-87403531058778243292011-11-09T07:28:55.402+05:302011-11-09T07:28:55.402+05:30धूमिल कभी धूमिल नहीं…धूमिल कभी धूमिल नहीं…चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-62078364508017042562011-11-09T06:31:20.995+05:302011-11-09T06:31:20.995+05:30सुबह साढ़े छः बजे इस कविता को पढना अपने भीतर एक क्...सुबह साढ़े छः बजे इस कविता को पढना अपने भीतर एक क्रांति बीज को रोप लेने जैसा है... हाँ... ठीक ही तो है... जनतंत्र में चूल्हा केवल जलता है... कुछ कहता नहीं....अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-16186484482266214212011-11-09T06:29:12.503+05:302011-11-09T06:29:12.503+05:30साठोत्तरी कविता के कवि सुदामा प्रसाद धूमिल उर्फ सु...साठोत्तरी कविता के कवि सुदामा प्रसाद धूमिल उर्फ सुदामा प्रसाद पाण्डेय ने अपनी इस कविता के सरल शब्दों में मानवीय रिश्तों के अलावा भी कुछ बताने की कोशिश की है एवं इसमें वे विलक्षण रूप से सफल भी रहे है। मैं और अधिक कुछ कह कर इस कविता को कमज़ोर नहीं करना चाहता हूँ क्योंकि कुछ कविताएँ ऐसी होती हैं जिनको महसूस किया जाता है ,व्यक्त नहीं; अभिव्यक्ति भावों को कमज़ोर कर देती है। धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com