tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post98816895837449335..comments2024-03-14T12:42:05.665+05:30Comments on राजभाषा हिंदी: कवि की मृत्युराजभाषा हिंदीhttp://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39006567988934320122018-05-14T08:29:13.110+05:302018-05-14T08:29:13.110+05:30#श्रद्धांजलि
क्या कहा! क्या कहा!
कि 'दिनकर'...#श्रद्धांजलि<br />क्या कहा! क्या कहा!<br />कि 'दिनकर' डूब गया?<br />दक्षिण के दूर दिशांचल में!<br />क्या कहा! कि गंगा समा गई?<br />रामेश्वर के तीरथजल में!<br />क्या कहा! क्या कहा!<br />कि नगपति नमित हुआ?<br />तिरूपति के धनी पहाड़ो पर!<br />क्या कहा! क्या कहा!<br />कि उत्तर ठिठक गया?<br />दक्षिण के ढोल-नगाड़ो पर!<br /><br />कल ही तो उसका काव्यपाठ <br />सुनता था सागर शांत पड़ा<br />तिरुपति का नाद सुना मैंने,<br />हो गया मुग्ध रह गया खड़ा!<br />वह मृत्युयाचना तिरुपति में<br />अपने श्रोता से कर बैठा..<br />और वहीं कहीं वो समाधिस्थ<br />"क्या कहते हो कि मर बैठा"-??<br /><br />यदि यही मिलेगा देवों से <br />उत्कृष्ट काव्य का पुरस्कार!<br />तो कौन करेगा धरती पर<br />ऐसे देवों को नमस्कार!<br /><br />तो कौन करेगा धरती पर<br />ऐसे देवों को नमस्कार .....<br /><br /> ~ बालकवि वैरागी <br />("बालकवि वैरागी" द्वारा रचित यह कविता उनके गुरु व पथप्रदर्शक रहे 'दिनकर' जी को समर्पित।)<br />(संपादन कार्य- द्वारा समीर रिषी कुछ अंश विलोपित किए गए)Dr. Ashwini Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/09966663374920828276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-60364416814923206862012-05-04T21:20:14.058+05:302012-05-04T21:20:14.058+05:30दिनकर जी के जीवन दर्शन व विभिन्न पहलुओं पर ज्ञानपर...दिनकर जी के जीवन दर्शन व विभिन्न पहलुओं पर ज्ञानपरक प्रस्तुति. इसके आगे भी कुछ अनछुए पहलू सामने आने वाले हैं यह जानकार उत्कंठा और बढ़ गयी है.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-30520079003532593292012-05-04T19:47:24.791+05:302012-05-04T19:47:24.791+05:30आप सब का आभार.आप सब का आभार.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-25008047159047594142012-05-04T15:37:17.857+05:302012-05-04T15:37:17.857+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-4796831480238044222012-05-04T15:00:58.082+05:302012-05-04T15:00:58.082+05:30सारा जीवन बीता संघर्षों में वह फिर भी कितना सरस रह...सारा जीवन बीता संघर्षों में वह फिर भी कितना सरस रहे .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-88376855468337714192012-05-04T13:51:09.190+05:302012-05-04T13:51:09.190+05:30विष के प्याले का मोल और क्या हो सकता ?
प्रेमी तो...विष के प्याले का मोल और क्या हो सकता ?<br />प्रेमी तो केवल मधुर प्रीत ही देता है,<br />कवि को चाहे संसार भेंट दे जो, लेकिन,<br />बदले में वह निष्कपट गीत ही देता है !<br />दिनकर जी द्वारा की गयी कवि की यह परिभाषा कितनी मधुर है...आभार!Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-3724277919775022602012-05-04T10:11:20.487+05:302012-05-04T10:11:20.487+05:30ज्ञानवर्द्धक प्रस्तुति । दिनकर जी के काव्य पर उनकी...ज्ञानवर्द्धक प्रस्तुति । दिनकर जी के काव्य पर उनकी ही रचित रचना का शीर्षक याद आ जाता है - कलम आज उनकी जय बोल ।Humanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58078771915696184542012-05-03T21:06:57.141+05:302012-05-03T21:06:57.141+05:30अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में सर्वदा संघर्षश...अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में सर्वदा संघर्षशील रहने वाले रामधारी सिंह ‘दिनकर' के काव्य में राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना के साथ-साथ उनकी मानसिक संकल्पना की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है। अपने जीवन काल में अनुभव किए गए समस्याओं के वशीभूत होकर उन्होंने वैयक्तिक ‘मुक्ति' की अपेक्षा सामाजिक समस्याओं के समाधान पर बल दिया है । उन्होंने अपनी कृतियों के माध्यम से व्यक्ति के पुरुषार्थ को सचेत किया है, प्रेरित किया है, जाग्रत किया है, उद्बुद्ध एवं प्रबुद्ध किया है। उनका विश्वास है कि व्यक्ति अपने श्रम, उद्यम एवं कर्म-कौशल से अपना भाग्य बना सकता है, बदल सकता है, जिसे उन्होंने अपने कर्म -कौशल से कर दिखाया एवं जीवन की तमाम जटिलताएं उन्हे विषम परिस्थितियों के सामने झुकने के लिए बाध्य न कर सकी। आपके द्वारा नील कुसुम कविता से अवतरित “कवि की मृत्यु” को बहुत दिनों के बाद पढने का सौभाग्य मिला। इस संबंध में यह उल्लेख करना अप्रासांगिक नही होगा कि ”नील कुसुम” की कविताएँ उनकी काव्य यात्रा की ऐसी आधारशिला है जिस पर वे ‘उर्वशी' जैसी प्रबन्ध रचना का निर्माण कर सके। कुरुक्षेत्र एवं उर्वशी उनके विशेष चर्चित आख्यानकाव्य हैं तथा इन कृतियों में दिनकर ने अपनी गीतात्मक प्रवृत्तियों को जीवन के कतिपय वृहत्तर संदर्भों की ओर मोड़ा। कुरुक्षेत्र में युद्ध एवं शान्ति का संदर्भ एवं प्रसंग है, पर संघर्ष से बचने का समर्थन नहीं है। उनकी मान्यता रही थी कि युद्ध एक तूफान है जो भीषण विनाश करता है पर जब तक समाज में शोषण, दमन, अन्याय मौजूद है तब तक संघर्ष अनिवार्य है जिसे उन्होंने अपनी कतिपय रचनाओं में रेखांकित किया है । इस संग्रहणीय एवं ज्ञानपरक प्रस्तुति के लिए आपका विशेष आभार ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-20234308545148847372012-05-03T20:45:41.442+05:302012-05-03T20:45:41.442+05:30राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के जीवन के विभिन्...राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं से इस श्रृंखला के माध्यम से हम परिचित हो रहे हैं। साथ ही जो कविता आप लगाती हैं वह बोनस है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-87697683380210436942012-05-03T20:41:52.145+05:302012-05-03T20:41:52.145+05:30राष्ट्रकवि को समर्पित यह श्रृंखला उस महाकवि को सच्...राष्ट्रकवि को समर्पित यह श्रृंखला उस महाकवि को सच्ची श्रद्धांजलि है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-85672366644298564662012-05-03T20:19:20.438+05:302012-05-03T20:19:20.438+05:30Guruwaar kaa intezaar rahta hai!Guruwaar kaa intezaar rahta hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39970247093749574942012-05-03T18:45:25.219+05:302012-05-03T18:45:25.219+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
दिनकर जी को नमन!
--
आज चार ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति।<br />दिनकर जी को नमन!<br />--<br />आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। <br />अतः केवल उपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-65935686897107519592012-05-03T14:39:39.463+05:302012-05-03T14:39:39.463+05:30अभी कार्यालय में हूं । रात को आपके पोस्ट पर फिर आउ...अभी कार्यालय में हूं । रात को आपके पोस्ट पर फिर आउंगा । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-58129368231488739002012-05-03T14:07:45.965+05:302012-05-03T14:07:45.965+05:30यह श्रंखला मन मुग्ध कर गयी है ! दिनकर जी के बारे म...यह श्रंखला मन मुग्ध कर गयी है ! दिनकर जी के बारे में इतनी अच्छी जानकारी उपलब्ध कराने के लिये आपका बहुत बहुत आभार !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-39200692627425440682012-05-03T10:47:29.309+05:302012-05-03T10:47:29.309+05:30बस ,पढ़ कर मग्न हूँ -कुछ कहने की स्थिति में नहीं ,...बस ,पढ़ कर मग्न हूँ -कुछ कहने की स्थिति में नहीं ,<br />आभार, अनामिका !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-16265101970266984342012-05-03T10:38:10.465+05:302012-05-03T10:38:10.465+05:30दिनकर जी की शृंखला अच्छी लगी ... आभारदिनकर जी की शृंखला अच्छी लगी ... आभारसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-27811967211394379962012-05-03T10:28:42.040+05:302012-05-03T10:28:42.040+05:30सही है , उनके जैसा कवि मिलना असंभव है !सही है , उनके जैसा कवि मिलना असंभव है !RITU BANSALhttps://www.blogger.com/profile/14474354506605954847noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5455274503155889135.post-75161761529082736372012-05-03T06:27:09.207+05:302012-05-03T06:27:09.207+05:30दिनकर जी उन्मुक्त स्वभाव के व्यक्ति हैं - उनका मुख...दिनकर जी उन्मुक्त स्वभाव के व्यक्ति हैं - उनका मुख्य गुण है भावना अभिव्यक्ति. कला का साज-सिंगार उनमे नहीं है. अनुभूति-जनित तीव्र भावना ही इनका क्षेत्र रहा है. <br /><br />दिनकर जी के सम्पूर्ण भावना क्षेत्र को अपने इस पंक्ति में व्यक्त कर दिया ......वैसे उनके जैसा कवि मिलना असंभव है .....!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.com