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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

राजभाषा हिंदीः एक परिचय

राजभाषा हिंदीः एक परिचय

फारसी में ध्वनि का उच्चारण ह होता है। यही कारण था कि मुसलमानों ने स का उच्चारण ह किया। पहले तो हिंदी शब्द का प्रयोग हिंद अर्थात सिंध और उसके आस-पास के रहने वालों के लिए हुआ और बाद में चलकर व्यापक अर्थ में इसका प्रयोग हिंद की भाषा के लिए होने लगा। इस तरह, हिंद से पूरे भारतवर्ष का और हिंदी से भारत में बोली जाने वाली भाषा का बोध होने लगा।

डाँ केशव दत्त रूवाली का कहना है कि वैदिक, संस्कृत, पालि, प्राकृत और अपभ्रंश में हिंदी शब्द उपलब्ध नही होता। वैदिक को ही पहले संस्कृत, उसके पश्चात पालि, फिर प्राकृत, बाद में अपभ्रंश और आधुनिक काल में हिंदी नाम से अभिहित किया गया।

वास्‍तव में हिंदी नाम ईरानियों का दिया हुआ है। लगभग ढाई हजार वर्ष पहले इरान में भारत देश के लिए हिंद शब्‍द प्रचलित था इसी हिंदी से व्युत्‍पन्‍न हिंदी शब्‍द पहले जातिवाचक रहा ओर बाद में हिंद देश की भाषा का बोधक हो गया। संस्‍कृत की स ध्‍वनी फारसी में ह हो जाती है, जैसे संस्‍कृत के सप्‍त, असुर, सहस फारसी में क्रमशः हप्‍त, अहुर और हजार हो जाते हैं।

श्री कैलाशचन्‍द्र भाटिया का विचार है कि जब मुसलमान भारत में आए तो उन्‍होंने मध्‍य प्रदेश को हिन्‍दूई कहा जो बाद में वह श्रुति के साथ हिंदुवी भी बन गई। मोटे तौर पर दिल्‍ली के आस पास की बोली देहलवी या उसके निकटवर्ती क्षेत्र की बोलियों पर आधारित यह हिंदू मुसलमान की समान भाषा रही, जिसके अंतर्गत प्राचीन नवीन सभी रूप हिंदी हिन्‍दुस्‍तानी दक्खिनी, रेख्‍ता, उर्दू आदि सभी समाहित हो जाते हैं।

डॉ भोलानाथ तिवारी कहते हैं मुझे ऐसा लगता है कि मुसलमान शासन पंजाब से होते हुए आगरे में केंद्रित हुआ और फिर दिल्ली आया। इस प्रकार पंजाबी, हरयाणी, ब्रज और दिल्‍ली की खड़ी बोली इन तीनों की विशेषताओं का मिश्रित रूप, जो दिल्‍ली आया और दिल्‍ली में राजभाषा फारसी की कोमल छाया में विकसित हुआ, आज की मानक हिंदी खड़ी बोली है , जिसकी तीन शैलियां (हिंदुस्तानी, उर्दू और हिंदी ) हैं।

वस्‍तुतः दक्खिनों के परवर्ती कवियों ने अपनी रचनाओं में अरबी-फारसी के शब्‍दों का अधिक प्रयोग करना शुरू किया। लिपि-भेद के कारण हिंदी का यही रूप, बाद में हिंदी से अलग हो कर स्‍वतंत्र भाषा के रूप में उर्दू कहलाई। फारसी के रेख्‍ता शब्‍द का अर्थ है मिली- जुली। फलस्‍वरूप, हिंदवी (हिंदी) का जब फारसी के सॉंचे में ढाल कर प्रयोग किया गया तो उसे रेख्‍ता या रेक्‍ती कहा गया। अठारहवीं शताब्‍दी में दिल्‍ली के आस-पास विकसित खड़ी बोली हिदी उत्तर भारत के शासकों द्वारा दक्षिण भारत ले जाई गई और दक्षिण में जब वहॉं की भाषा से प्रभाव ग्रहण करते हुए उसका प्रयोग होने लगा तो वह दक्खिनों के नाम से सामने आने लगी। हिन्‍दुई शब्‍द हिंदी भाषा को हिंदुओं की भाषा के रूप में सामने लाया जो बाद में प्राजल रूप से हिंदी शब्‍द से परिभाषित हो भारत के व्‍यापक संपर्क भाषा के रूप में सामने आई ।

उपर्युक्‍त से हिंदी शब्‍द और उसके लिए विभिन्‍न नामों के प्रयोग और उनके सदर्भों का हमें सकेंत मिलते हैं।

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