राजभाषा संबंधि सांविधिक एवं विधिक उपबंध
भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी है। केन्द्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों , कार्यालयों तथा उसके नियंत्रणाधीन निगमों, निकायों कंपनियों , उपक्रमों तथा राष्ट्रीयकृत बैंको आदि मे कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों का यह दायित्व है कि वे कि वे सभी सरकारी कामकाज राजभाषा नीति के अनुरूप करें । भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक विभिन्न प्रयोजनों हेतु राजभाषा संबधि सांविधिक एवं विधिक उपबधं किये गये है । राजभाषा को अधिक प्रभावी, व्यापक एवं व्यवहारिक बनाने के लिए गठित संसदीय राजभाषा समिति द्वारा समय-समय पर की गयी शिफारिशों पर राष्ट्रपति जी के आदेश जारी किये जाते रहें हैं तथा उन पर यथावश्यक कार्रवाई एवं अमल भी किया जाता है । इसके अलावा राजभाषा कार्यान्वयन को गति देने एवं उसका अनुपालन सुनिश्चित करने के उददेश्य से राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष एक वार्षिक कार्यक्रम भी नियमित रूप से जारी किया जाता है जिसमें दिये गये विभिन्न मदों के वार्षिक लक्ष्यों को एक निर्धारित समय सीमा के अन्दर पूरा करने की अपेक्षा की जाती है ।
सामान्यत: सरकार की राजभाषा नीति हमे एक स्थान पर संक्षिप्त रूप में लिखि हुई उपलब्ध नहीं होती जिससे पूरी नीति को समझने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है । अत: अपने पाठकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार की राजभाषा नीति के संक्षिप्त सार को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने का यह हमारा लधु प्रयास है, हमारे पाठकों के लिए यह उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक होगा, यह हमारी अभिलाषा है ।
भारत के संविधान में अनुच्छेद 120, 210 तथा 343 से लेकर 351 तक कुल 11 अनुच्छेदों में राजभाषा संबंधी प्रावधान किए गए हैं । संविधान में वर्णित अनुच्छेदों का विस्तृत विवरण इस प्रकार है –
(क) अनुच्छेद 120
अनुच्छेद 120 जो संसद में कार्य के लिए प्रयोग होने वाली भाषा से संबंधित है, यह निर्धारित करता है कि संसद में कार्य हिंदी या अंग्रेजी में किया जाएगा । परंतु यथास्थिति, राज्यसभा के सभापति तथा लोकसभा के अध्यक्ष अथवा ऐसे रूप मे काम करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को, जो हिंदी अथवा अंग्रेजी में भलीभांति अभिव्यक्ति नही कर सकता, उसको अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकता है । यह अनुच्छेद आगे यह भी व्यवस्था करता है कि जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे, तब तक अंग्रेजी के प्रयोग का विकल्प 26 जनवरी 1965 को समाप्त माना जाएगा किंतु इस संबंध में संसद द्वारा बाद में पारित राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3(1) के अनुसार 1965 के पश्चात भी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भी संसद के कार्य संव्यवहार के लिए प्रयोग में लाई जाती रहेगी । (ख) अनुच्छेद 210
अनुच्छेद 210, जो विधान मंडल में प्रयुक्त होने वाल भाषा से संबंधित है, निर्धारित करता है कि राज्य के विधान मंडल में कार्य की राजभाषा या राजभाषाओं में किया जाएगा / परंतु यथास्थिति, विधान सभा का अध्यक्ष या विधान परिषद का सभापति अथवा ऐसे रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को, जो उपर्युक्त भाषाओं में से किसी में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता, अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा । यह अनुच्छेद आगे व्याख्या करता है कि जब राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक 26 जनवरी, 1965 के पश्चात (हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा के लिए 26 जनवरी, 1975 के पश्चात) अंग्रेजी के प्रयोग का विकल्प समाप्त माना जाएगा ।
अनुच्छेद 343(1) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी । संध के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा ।
अनुच्छेद 343(2) खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रायोजन के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका एसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था
परंतु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान आदेश द्वारा संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा ।
अनुच्छेद 343(3) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी संसद उक्त पंद्रह वर्ष की अवधि के पश्चात् विधि द्वारा –
(क) अंग्रेजी भाषा का, या
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का,
एसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि मं विनिर्दष्ट किए जाएं ।
344 राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति
(1) राष्ट्रपति इस संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात् ऐसे प्रारंभ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा एक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी ।
(2) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को-
(क) संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग,
(ख) संघ के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निर्वंधनों,
(ग) अनुच्छेद 348 में उल्लिखित सभी या किन्ही प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा,
(ग)
(ड.) सघं की राजभाषा तथा संघ और किसी राज्य के बीच या एक राज्य और दूसरे
राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके प्रयोग के संबध में राष्ट्रपति द्वारा
आयोग को निर्देशित किये गये किसी अन्य विषय के बारे में शिफारिश करें।
(3) खण्ड (2) के अधीन अपनी शिफारशें करने में ,आयोग भारत की औघोगिक
सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उन्नति का ओर लोक सेवाएओं के संबध में अहिन्दी
भाषी क्षेत्रों के व्यक्तियों के न्यायसंगत दावों और हितों का सम्यक ध्यान रखेगा
(4) एक समिति गठित की जाएगी जो तीस सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें बीस
लोकसभा के सदस्य होगें तथा दस राज्य सभा के सदस्य होगें जो क्रमश:
लोकसभा के सदस्यों और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व
के अनुसार एकल सक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होगें ।
(5) समिति का यह कर्तव्य होगा कि वह खण्ड (1) के अधीन गठित आयोग की
शिफारिशों की परीक्षा करे और राष्ट्रपति को उन पर अपनी राय के बारे प्रतिवेदन
दे ।
(6) अनुच्छेद 343 में किसी बात के होतु हुए भी राष्ट्रपति खंड (5) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन
पर विचार करने के पश्चात उस संपूर्ण प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के
अनुसार निर्देश दे सकेगा ।
345 . राज्य की राजभाषा या राजभाषाएं :
अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपबधों के अधीन रहते हुए किसी राज्य का
विधान मंडल , विधि द्वारा, उस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिन्दी को उस राज्य के सभी या किन्ही शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा या भाषाओं के रूप में अंगीकार कर सकेगा ।
परन्तु जब तक राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबधं न करे तब तक राज्य के भीतर उन शासकीय प्रयोजनों के लिए अग्रेंजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका इस संविधान के प्रारभं से ठीक पहलीे प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका इस सविधान के प्रारभं से ठीक पहले किया जा रहा था ।
346 एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा संघ में शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने के लिए तत्समय प्राधिकृत भाषा, एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच तथा किसी राज्य और संघ के बीच पत्रादि की राजभाषा होगीः
परंतु यदि दो या अधिक राज्य यह करार करते हैं कि उन राज्यों के बीच पत्रादि की राजभाषा हिंदी भाषा होगी तो ऐसे पत्रादि के लिए उस भाषा का प्रयोग किया जा सकेगा ।
347 किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष उपबंध- यदि इस निमित्त मांग किए जाने पर राष्ट्रपति का यह समाधान हो जाता है कि किसी राज्य की जनसंख्या का पर्याप्त भाग यह चाहता है कि उसके द्वारा बोली जाने वाली भाशा को राज्य द्वारा मान्यता दी जाए तो वह निदेश दे सकेगा कि ऐसी भाषा को भी उस राज्य में सर्वत्र या उसके किसी भाग में ऐसे प्रयोजन के लिए, जो वह विनिर्दिष्ट करे, शासकीय मान्यता दी जाए ।
348 उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा- (1) इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी जब तक संसद विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक –
(क) उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाहियां अंग्रेजी भाषा में होंगी,
(ख)
(i) संसद के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान मंडल के सदन या प्रत्येक सदन में पुनः स्थापित किए जाने वाले सभी विधेयकों या प्रस्तावित किए जाने वाले उनके संशोधनों के,
(ii) संसद या किसी राज्य के विधान मंडल द्वारा पारित सभी अधिनियमों के और राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित सभी अध्यादेशों के, और
(iii) इस संविधान के अधीन अथवा संसद या किसी राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन निकाले गए या बनाए गए सभी आदेशों नियमों, विनियमों और उपविधियोंके, प्राधिकृत पाठ अंग्रेजी भाषा में होंगे ।
(2) खंड (1) के उपखंड (क) में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उस उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों में जिसका मुख्य स्थान उस राज्य में है, हिंदीभाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाली किसी अन्य भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगाः परंतु इस खंड की कोई बात ऐसे उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या आदेश पर लागू नहीं होगी ।
(3) खंड (1) के उपखंड (ख) में किसी बात के होते हुए भी जहां किसी राज्य के विधान मंडल में पुनःस्थापित विधेयकों में या उसके द्वारा पारति अधिनियमों में अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों में अथवा उस उपखंड के पैरा (iii) में निर्दिष्ट किसी आदेश, नियम, विनियम या उपविधि में प्रयोग के लिए अंग्रेजी भाषा से भिन्न कोई भाषा विहित की है वहां उस राज्य के राजपत्र में उस राज्य के राज्यपाल के प्राधिकार से प्रकाशित अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद उस अनुच्छेद के अधीन उसका अंग्रेजी भाषा में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा ।
349 भाषा से संबंधित कुछ विधियां अधिनियमित करने के लिए विशेष प्रक्रिया – इस संविधान के प्रारंभ से पद्रंह वर्ष की अवधि के दौरान, अनुच्छेद 348 के खंड (1)में उल्लिखित किसी प्रयोजन के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा के लिए उपबंध करने वाला कोई विधेयक या संशोधन संसद के किसी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के बिना पुनःस्थापित या प्रस्तावित नहीं किया जाएगा और राष्ट्रपति किसी ऐसे विधेयक को पुनःस्थापित या किसी ऐसे संशोधन को प्रस्तावित किए जाने की मंजूरी अनुच्छेद 344 के खंड (1) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों पर और उस अनुच्छेद के खंड (4) के अधीन गठित समिति के प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात ही देगा, अन्यथा नहीं । 350 व्यथा के निवारण के लिए अभ्यावेदन में प्रयोग की जाने वाली भाषा- प्रत्येक किसी व्यथा के निवारण के लिए संघ या राज्य के किसी अधिकारी या प्राधिकारी को, यथास्थिति संघ में या राज्य में प्रयोग होने वाली किसी भाषा में अभ्यावेदन देने का हकदार होगा ।
350 क. प्राथमिक सतर पर मातृभाशा में शिक्षा की सुविधाएं-
प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक सतर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा और राष्ट्रपति किसी राज्य को ऐसे निर्देश दे सकेगा जो वह ऐसी सुविधाओं का उपबंध सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक या उचित समझता है ।
350 ख. भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष अधिकारी –
(1) भाषाई अल्पसंख्क वर्गों के लिए विशेष अधिकारी होगा जिसे राष्ट्रपति नियुक्त करेगा ।
(2) विशेष अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह इस संविधान के अधीन भाषाई अल्पसंख्क वर्गों के लिए उपबंधित रक्षोपायों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करे और उन विषयों के संबंध में ऐसे अंतरालों पर जो राष्ट्रपति निर्दिष्ट करे, राष्ट्रपति को प्रतिवेदन दे और राष्ट्रपति ऐसे सभी प्रतिवेदनों को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा । और संबंधित राज्यों की सरकारों को भिजवाएगा ।
351 हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश – संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढाए उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामाजिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुसतान में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द भंडार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे ।
अब तक इस क्रम में भारतीय संविधान की आठवीं अनूसूची में बाईस भाषाएं आधुनिक भारतीय भाषाओं के रूप में निर्धारित की गई है । आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भाषाएं – असमिया,बोडो, मणिपुरी, नेपाली, कोकणी, कश्मीरी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु मलयालम, कन्नड़ उडि़या, बंगला, संस्कृत, उर्दू,मैथिली, संथाली, डोगरी, सिंधी और हिंदी ।
संविधान के आरंभ से 15 वर्ष की अवधि के दौरान अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी के क्रमिक प्रतिस्थापन की आवश्यकता पर संघ सरकार सजग रही । संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड (2) के परंतुक द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए 27 मई 1952 को विधि मंत्रालय द्वारा अधिसूचना के रूप में राष्ट्रपति ने अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का प्रयोग राज्यों के राज्यपालों, उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के अधिपत्रों के लिए प्राधिकृत किया गया ।
संबधि या संबधित या संबधी?
जवाब देंहटाएंउपबंध= by-laws?
साविधिक = स + अविधिक?
Does it means
Legal and Illegal by lawa regarding RajBhasha
I can't understand.
लेख के माध्यम से अच्छी जानकारी मिली.
जवाब देंहटाएंभूल सुधार आवश्यक है। संबंधी, होगा।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजान्कारी अछ्ची लगी.
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