देवनागरी लिपी और सूचना प्रौद्योगिकी
आज सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। इसने राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में काफी अहम भूमिका निभाई है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देवनागरी लिपी के मानकीकरण और संवर्धन आज की आवश्यकता है। इस काम को अंजाम देने के लिए भाषाविदों और प्रौद्योगिकीविदों को एक साथ बैठ कर इस समस्या को सुलझाना होगा। इस संबंध में सरकार का सहयोग भी अपेक्षित होगा। इस विषय को लेकर विशेषज्ञों के बीच चर्चा चल रही है। गुड़गांव में एक संगोष्ठी भी आयोजित की गई।
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देवनागरी लिपी के मानकीकरण और संवर्धन के लिए स्वनिमों (ध्वनियों) और लेखिमों (वर्णों) में मैपिंग अर्थात मिलान करने की आवश्यकता है। भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं की ध्वनिओं के लिए परिवर्द्धित देवनागरी लिपि विकसित करने और उसे विश्वस्तरीय लिपि के रूप में प्रसारित करने की ज़रूरत है।
इसके अलावा देवनागरी लिपि के मानकीकरण की दिशा में भी ठोस क़दम उठाया जाना चाहिए। फ्रांस में “डब्ल्यू-थ्री-सी” मानकीकरण की संस्था है, जो विश्व की प्रमुख भाषाओं का प्रौद्योगिकीय दृष्टि से मानकीकरण कर रही है।
इस उद्देश्य की सफलता के लिए तकनीकीविदों और भाषाविदों के बीच तालमेल की बहुत आवश्यकता है। भाषाविदों और प्रौद्योगिकीविदों को एक साथ बैठ कर इस समस्या को सुलझाना होगा। उच्चारण और वर्तनी में समन्वय भी लाना ज़रूरी है। हिन्दी की ध्वनिओं, उनके विन्यास और प्रस्तुतिकरण में देवनागरी की जो शक्ति है वह सभी भाषाओं को अपने भीतर समेटने में सक्षम है।
लिपियों के गणितीय ढ़ांचे पर भी बल दिया जाना चाहिए। देवनागरी लिपि की वर्णमाला की अपनी विशिष्टता है। कंप्यूटर के संदर्भ में उच्चारण-इंटरप्रेटर अक्षर-प्रति-अक्षर देवनागरी लिपि पर आधारित है, जबकि रोमन लिपि में उच्चरण-कंपाइलर पद या शब्द पर आधारित है। “यूनीकोड” के मूल सिद्धांत में लिपि व्याकरण को मान्यता नहीं दी गई है। इसमें व्युत्पन्न स्वर और व्युत्पन्न व्यंजन जोड़े जा सकते हैं। किन्तु सॉर्टिंग सीक्वेंस (वर्गीकरण अनुक्रम) भिन्न रहेगा। इसलिए इस्की (IISCI) (“यूनीकोड” इस्की पर आधारित है) में देवनागरी लिपि के परिवर्द्धित स्वरूप को स्थान दिलाने की ज़रूरत है। इससे कोड मानकीकरण की अपेक्षा प्रयोग मानकीकरण और संवर्द्धन पर अधिक बल दिया जा सकेगा। इस कर्य में “यूनीकोड” कि अपेक्षा “फोनीकोड” अधिक सार्थक भूमिका निभायेगा। “फोनीकोड” से वाक प्रजनन सरल होगा और “फोनीकोड” तथा देवनागरी “यूनीकोड” के बीच रूपांतरण सुविधा (कन्वर्ज़न यूटिलिटी) भी तैयार की जा सकेगी।
बड़ा प्रासंगिक मुद्दा और सार्थक जानकारी ..आभार.
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शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".