आज का विचार
प्रीति की सुन्दर रीति
जलु पच सरिस बिकाई देखहु प्रीत किरीतिभलि।
बिलग होई रसु जाई कपट खटाई परत पुनि।।
प्रीति की सुन्दर रीति देखिए कि जल भी दूध के साथ मिलकर दूध के समान भाव बिकता है, परंतु फिर कपट रूपी खटाई पड़ते ही पानी अलग हो जाता है, दूध फट जाता है और स्वाद अर्थात प्रेम जाता रहता है।
सुन्दर विचार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार। धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसच सुन्दर विचार.
जवाब देंहटाएंbahut badhiya .
जवाब देंहटाएं