आज का विचार
सन्तोषी
मेध के जल के समान शुद्ध अन्य कोई जल नहीं है।
आत्म बल के समान दूसरा कोई बल नहीं होता।
नेत्र के समान दूसरी कोई ज्योति नहीं है।
अन्न के समान दूसरा कोई प्रिय पदार्थ नहीं है।
तेज भूख हो तो सादा व रूखा-सूखा भोजन भी अच्छा लगता है।
अच्छी और गहरी नींद आ जाए तो आदमी साधारण दरी पर भी सो जाता है।
सन्तोषी प्रकृति का व्यक्ति हर हाल में ख़ुश रह सकता है।
जो हर हाल में ख़ुश रह सकता है उस जैसा सुखी कोई नहीं हो सकता।
अच्छे विचार.
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