कुछ हिन्दी लोकोक्तियॉं ( कहावत)
ऊँची दुकान फीका पकवान, कहावत बाहरी दिखावा अधिक ,गुणकर्म कम--बहुत सूना था की ताज पैलेस का खाना स्व दिष्टल है पर यहॉं भी ऊँची दुकान फीकी पकवान वाली बात हीसही निकली है। अंधा बॉंटे रेवड़ी(शीरनी), फिर-फिर अपनों को दे, कहावत अपने अधिकार का लाभ अपनों को ही पहुँचाना--यह तो अंधा बॉंटे रेवड़ी, फिर-फिर अपनों को दे वाली बात हो गई । मुख्यट मंत्री बनते ही उसने अपने पूरे मंत्रीमंडल में सभी रिश्तेलदारों को को मंत्री बना दिया। अधजल गगरी छलकत जाए, कहावत ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है--चार अक्षर अंग्रेजी के क्याा पढ़ गया । सब पर अपनीटूटी-फॅटी अंग्रेजी का रोब झाड़ता रहता है । ठीक ही कहा गया है कि अधजल गगरी छलकत जाए। अब पछताए होत क्याा जब चिडिया चुग गई खेत, कहावत नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है।--परीक्षा के दिनों में तुमने पढ़ाई नहीं की ,फ़ेल होना ही था। अब पछताए होत क्यां जब चिडिया चुग गई खेत। ऑंख के अंधे नाम नैनसुख, कहावत नाम बड़ा और गुण उसके विपरीत--नाम है धनीराम औरखाने को दो वक्ता की रोटी नहीं।इसी को कहते है ऑख के अंधे, नाम नैनसुख। आटे के साथ घुन भी पिसता है, कहावत दोषी के साथ निदोर्ष भी मारा जाता है--उसके साथ नहीं रहना, वह अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है अन्य था तुम परेशानी में आ जाओगे। याद रखना आटे के साथ घुन भी पिसता है। आदमी –आदमी अंतर कोई हीरा कोंई कंकर , कहावत हर आदमी का गुण स्वंभाव दूसरे से भिन्न। होता है--एक ही बाप के दो बंटेहैं- एक अमीर और दूसरा गरीब या एक योग्यं दूसरा अयोग्यी। आदमी –आदमी अंतर कोई हीरा कोंई कंकर आम के आम गुठलियों के दाम, कहावत दोहरा लाभ--तुम गनने का रस बेचते हो और छीलन गौशाला वाले खरीद ले तोते हैं। यही है आम के आम गुठलियों के दाम का उदाहरण। उल्टाण चोर कोतवाल को डॉंटे, कहावत दोषी होन पर धौंस जमाना--मनोहर एक तो तुमने गलती की और गलती के लिए मुझे जिम्मेंदार मान रहे हो । वाह। यह तो उल्टां चोर कोतवाल को डॉंटे वाली बात हुई। का वर्षा जब कृषी सुखाने, कहावत अवसर निकलने जाने पर सहायता व्येर्थ होती है--कहते रहे कि दवा लो, अपना इलाज करोओ। सख्तह बीमार पड़े तो कहीं डाक्ट र को बुलाया गया। पर अब मो दम तोड़ दिया था। का वर्षा जब कृषी सुखाने। खिसियानी बिल्लीप खंभा नोचे , कहावत शर्म के मारे क्रोध करना--अपनी हार होते देख वह श्याकम से बेवजह ही लड़ने लगा। इसी को कहते हैं खिसियानी बिलली खंभा नोचे। तबेले की बला बंदर के सिर, कहावत अपराध कोई करे और पकड़ा कोई और जाए--उस बेचारे को इस मामले में क्योंा घसीटते हो ? इसने नहीं मारा। मारनेवाला तो भाग गया । अब तबेले की बला बंदर के सिर डाल रहे हो। थेथ चना बाजे घना, कहावत कम ज्ञान या गुण रखने वाला बातें बढ़-बढ़कर करता है--वह केवल मिडिल तक पढ़ा है, परकुछ कहानियॉं याद रखी हैं। यहीं सुनाकर गॉंव वालों पर रोब जमाता है। थोथा चना बाजे घना। दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई, कहावत मामूली चीज़ के रखरखाव या मरम्मईत पर ज्याादा खर्चा --दो सौ रूपये की साइकिल है, अब जीन ट्यूब, टायर और मरम्मकत के तीन सौ मॉंग रहे हो । कुछ तो सोचो , दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई। बिल्लीई के भागों छींका टूटा, कहावत जैसा चाहा, वैसा हो गया।--मैंने गृह कार्य नहीं किया था जिससे मास्टचरजी का डर लग था परन्तुट ज्ञात हुआ कि मास्टहरजी 03 दिनों की छुट्टी पर चले गए हैं। अच्छाह हुआ, बिल्ली के भागों छींका टूटा। भागते भूत की लँगोटी ही सही, कहावत कुछ भी मिलने की आशा न हो और कुछ मिल ही जाए--मनोहर ने कभी 50 रूपया चंदा नहीं दिया पर इस बार उसने बहुत आग्रह करने पर उसने 5 रूपये चंदा दिया है । चलो ठीक ही है, भागते भूत की लंगोटी ही सही। मान न मान मैं तेरा मेहमान, कहावत ज़बरदस्ती का मेहमान--हमने उसे न्यो ता नहीं दिया पर वह भी प्रीतिभोज में आ गया। मान न मान मैं तेरा मेहमान। रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी, कहावत रूठने से अपना ही नुकसान होता है।--शादी पर जाता तो कुछ पा लेता, पर नहीं आया तो उसी ने कुछ खोया । रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी। सॉंझे की हॉंड़ी चौराहे फूटी, कहावत जिम्मेकदारी एक व्यटक्ति की होनी नहीं तो काम खराब हो जाता है--दुकान में दोनों साझीदार थे । एक समझता था मैं क्यों ज्याोदा काम करूँ, दूसरा समझता था मैं क्यों ? उसी में व्या-पार ठप हो गया और सॉंझे की हॉंड़ी चौराहे पर फूट गई। अंडा सिखावे बच्चेॉ को चीं-चीं मत कर , कहावत छोटा बड़े को उपदेश देता है अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई, कहावत परिश्रम किसी का , लाभ किसी और को अंडे होंगे तो बच्चेद बहुतेरे हो जाएंगे, कहावत मूल वस्तुे रहेगी तो उससे बनने वाली वस्तु ऍं तो प्राप्तल होंगी ही अंत भला सो सब भला, कहावत परिणाम अच्छाब हो जाए तो सब कुछ अच्छा् माना जाता है। अंत भले का भला, कहावत करभला, तेरा भी होगा भला अंधा क्या चाहे, दो ऑंखें, कहावत आवश्यकक वस्तुा की चाह सब को होती है अंधा क्या जाने बसंत बहार, कहावत जिसने जो वस्तु नहीं देखी , वह उसका आनंद क्याा जाने। अंधा पीसे कुत्ता खाए, कहावत एक की मजबूरी से देसरे को लाभ हो जाता है अंधा बगुला कीचड़ खाए, कहावत अभागा सुख से वंचित रहा जाता है अंधा राजा चौपट नगरी, कहावत मुखिया ही मूर्ख और लापरवाह हो तो घरउजड़ जाता है अंधा सिपाही कानी घोड़ी,विधि ने खूब मिलाई जोड़ी, कहावत दोनों साथियों में एक से अवगुण हैं अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पडंत, कहावत दो मूर्ख परस्पयर सहायता करें तो भी किसी को लाभ नहीं होता अंधे की लकड़ी, कहावत बेसहारे का सहारा अंधे के आगे रोना, अपना दीदाखोना, कहावत जिसको अपने से सहानुभूति नहीं उसके सामने अपना दुखड़ा रोना बेकार है। अंधे के हाथ बटेर, कहावत अनायासही कोई वस्तुु मिल जाना अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है, कहावत कटु वचन सत्य होने पर भी बुरा लगता है अंधे को अँधेर में बड़े दूर की सूझी , कहावत जब कोई मूर्ख दूरदर्शी बात कहे (व्यंलग्यब) अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा, कहावत जहॉं मुखिया मूर्ख हो, वहॉं अन्याजय होता है अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, कहावत अकेला व्य क्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता अकेला हँसता भला न रोता भला, कहावत सुख दु:ख में साथी होने चाहिए। अक्लद बड़ी सा भैंस, कहावत शारीरिक शक्ति का महत्वभ कम है, बुद्धि का अधिक। अच्छीि मति जो चाहों, बूढ़े पूछन जाओ, कहावत बड़े –बूढ़ों की सलाह से कार्य सित्र हो सकते हैं। अब्काि बनिया देय उधार, कहावत गरज़ आ पड़े तो आदमी सब कुछ मान जाता है। अटकेगा सो भटकेगा, कहावत दुविधा या सोच –विचार में पड़ोगे तो काम नहीं होगा। अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज, कहावत अनहोनी बात। अनजान सुजान, सदा कल्याौण, कहावत मूर्ख और ज्ञानी सदा सुखी रहते हैं। अनमॉंगे मोती मिलें, मॉंगे मिले न भीख, कहावत सौभाग्य से कोई बढिया चीज़ अपने –आप मिल जाती है और दुर्भाग्यो से घटिया चीज़ प्रत्यभत्ना करने पर भी नहीं मिलती। अपना-अपना कमाना,अपना-अपना खाना, कहावत किसी का साझा अच्छाम नहीं। अपना घर दूर से सूझता है, कहावत जो सुख चौबारे न बखल न बुखारे। अपना ढेंढर देखे नहीं, दूसरे की फुल्लीा निहारे, कहावत अपने ढेर सो दुर्गण न देखना, दूसरे के थोड़े से अवगुण की चर्चा करना। अपना मकान कोट समान, कहावत अपने घर में जो सुख होता है वह कहीं नहीं। अपना रख पराया चख, कहावत अपनी नहीं,दूसरों की चीज़ का इस्ते माल करना। अपना लाल गँवाय के दर-दर मॉंगे भीख, कहावत अपनी चीज़ बहुमूल्यद होती है, उसे खोकर आदमी दूसरों का माहताज हो जाता है। अपना ही पैसा खोआ तो परखने वाले का क्याी दोष, कहावत अपनी ही चीज़ खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है। अपनी – अपनी खाल में सब मस्तष, कहावत अपनी परिस्थिति से सतुष्ट रहना। अपनी-अपनी तुनतुनी (ढफली), अपना -अपना राग, कहावत सब अलग-अलग मनामाना काम करते हैं। अपनी करनी पार उतरनी, कहावत अपना किया काम ही फलदायक होता है। अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं, कहावत स्वा र्थ के लिए छोटे आदमी की खुशामद करनी पड़ती है। अपनी गरज बावली, कहावत स्वा र्थी आदमी दूसरों की चिंता नहीं करता। अपनी गली में कुत्ताआ शेर, कहावत अपने घर में सबका ज़ोर होता है। अपनी गॉंठ पैसा तो, पराया आसरा कैसा, कहावत आदमी स्व यं समर्थ हो तो दूसरे का भरोसा क्योंा करेगा। अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो, कहावत अपने अल्प लाभ के लिए दूसरे की भारी हानि करते हो। अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता, कहावत अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं बताता। अपनी टॉंग उघारिए आपहि मरिए लाज, कहावत अपने घर की बात दूसरों से कहते पर बदनामी होती है। अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना, कहावत पूर्ण स्व तंत्र होना। अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े , कहावत दुष्टे लोग दूसरों का नुकसान करेंगे ही, भले ही अपना भी नुकसान हो जाए। अपनी पगड़ी अपने हाथ, कहावत अपनी इज्जीत अपने हाथ। अपने किए का क्याज इलाज, कहावत अपने कर्म का फल भोगना ही पड़ता है। अपने झोपड़े की खैर मनाओ, कहावत अपनी कुशल देखो। अपने पूत को कोई काना नहीं कहता, कहावत अपी खराब चीज़ को कोई खराब नहीं कहता। अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना, कहावत अपनी बड़ाई आप करना। अब की अब के साथ, जब की जब के साथ, कहावत सदा वर्तमान की ही चिंता करनी चाहिए। अब सतवंती होकर बैठी लूट लिया सारा संसार, कहावत सो उम्र बुरे कर्म किए अब संत बन बैठे हैं। अभी तो तुम्हाकरे दूध के दॉंत भी नहीं टूटे, कहावत अभी तुम बच्चेक हो, अनजान हो। अभी दिल्ली् दूर है, कहावत अभी कसर बाकी है। अमरी की जान प्यालरी, गरीब को दम भारी, कहावत गरीब को जान के लाले हैं। अरहर की टट्टी गुजराती ताला, कहावत मामूली वस्तुी की रक्षा के लिए इतना खर्च । अलख पुरूष की माया, कहीं धूप कहीं छाया, कहावत ईश्वतर की लीला देखिए- कोठ्र सुखी है कोई दु:खी है। अशर्फियॉं लुटें और कोयलों पर मोहर, कहावत मूल्यिवान वस्तुल भले ही दे दें, छोटी-छोटी चीज़ों को बचा-बचा कर रखना। ऑंख एक नहीं कजरौटा दस-दस, कहावत व्य र्थ आडंबर। ऑंख ओट पहाड़ ओट, कहावत ऑंख से ओझल हुए तो समझो कि बहुत दूर हो गए। ऑंख ओर कान में चार अंगुल का फर्क, कहावत ऑंखों देखी बात का विश्वाचस करना, कानों सुनी का नहीं। ऑंख के आगे नाक, सूझे क्यार खाक, कहावत ऑंख के आगे परदा पड़ा है तो क्याे सूझे। ऑंख बची माल दोस्तोंा का , कहावत पलक चूकने से माल गायब हो सकता है। ऑंख सुख कलेजे ठंडक, कहावत परम शान्ति। ऑंख एक नहीं केलजा टुक-टुक, कहावत बनावटी दु:ख प्रकट करना। आई तो ईद, न आई तो जुम्मेारात, आई तो रोज़ी नहीं तो राज़ा, कहावत आमदनी हुई तो मौज, नहीं तो फॉंका ही सही। आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूँक , कहावत मौजी और विरक्तौ आदमी किसी चीज़ की परवाह नहीं करता। आई है जान के साथ, जाएगी जनाज़े के साथ, कहावत लाइलाज बीमारी। आओ-जाओ घर तुम्हाीरा, खाना मॉंगे दुश्म।न हमारा, कहावत झूठ-मूठ का सत्का र। आग, कहते मुँह नहीं जलता, कहावत केवल नाम लेने से कोई हानि-लाभ नहीं होता। आग का जला आग ही से अच्छाि होता है, कहावत कष्टत देने वाली वस्तुं कष्टत का निवारण भी कर देती है। आग खाएगा तो अंगार उगलेगा, कहावत बुरे काम का बुरा फल। आग बिना धुऑं नहीं , कहावत हर चीज़ का कारण अवश्ये होता है। आग लेगने पर कुऑं खोदना, कहावत आवश्यगकता पड़ने से पहले कुछ न करना। आगे जाए घुटने टूट, पीडे देखे ऑंख फूटे, कहावत जिधर जाऍं उधर ही मुसीबत। आगे नाथ न पीछे पगहा, कहावत पूर्णत: बंधनरहित। आज का बनिया कल का सेठ, कहावत काम करते रहने से आदमी बड़ा हो जात है। आज मेंरी मँगनी, कल मेरा ब्या ह, टूट गई टंगड़ी, रह गया ब्यामह, कहावत आशाऍं कभी विफल हो जाती हैं। आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए,बाहर रखूँ तो कोआ ले जाए, कहावत ऐसी वस्तुो जिसे बचाने में कठिनाई हो। आठ कनौजिया नौ चूल्हेि, कहावत अलगाव की स्थिति। आठ बार नौ त्यौिहार, कहावत मौज मस्ती का जीवन। आदमी का दवा आदमी है, कहावत मनुष्या ही मनुष्यी की सहायता करते हैं। आदमी को ढाई गज कफन काफी है, कहावत आदमी बेकार सुख-साधन जुटाने में लगा रहता है। आदमी जाने बसे सोना जाने कसे, कहावत आदमी व्येवहार से और सोना कसौटी पर कसने से हानि होती है। आदमी पानी का बुलबुला है, कहावत मनुष्या जीवन नाशवान है। आधा तीतर आधा बटेर, कहावत बेमेल चीज़ों का सम्मिश्रण । आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रह न सारी जावे, कहावत अधिक लालच करने से हानि होती है। आप काज़ महा काज़, कहावत अपना काम स्वकयं करना अच्छाी होता है। आप न जावे सासुरे औरों को सिख देय, कहावत आप तो ऐसा करते नहीं दूसरे को सीख देते हैं। आप पड़ोसन लड़े, कहावत ख़ाहमख़ाह झगड़ा करना। आप भला तो जग भला, कहावत भले आदमी को सब भले ही मिलते हैं। आप मरे जग परलय, कहावत अपने मरने के बाददुनिया में कुछ भी हुआ करे। आप मरे बिन स्वार्ग न जावे, कहावत बिना स्वियं किए काम ठीक नहीं होता। आप मियॉं जी मँगते द्वार खड़े दरवेश, कहावत अपने पास कुछ है नहीं दूसरों की सहायमता क्यां करेंगे। आपा तेजे तो हरि को भजे, कहावत स्वातर्थ को छोड़ने से ही परमार्थ सिद्ध होता है। आब –आब कर मर गया सिरहाने रखा पानी, कहावत वस्तुे के सुलभ होने पर भी भाषा आड़े आती है। आ बला गले लग, आ बैल मुझे मार, कहावत ख़ाहमख़ाह मुसीबत मोल लेना। आम खाने से काम, पेड गिनने से क्यार काम , कहावत अपने मतलब की बात करो। आए की खुशी न गए का गम, कहावत हर हालात में एक जैसा विरक्त । आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास, कहावत उच्चत लक्ष्य लेकर चलना पर कोई घटिया काम करने लगना। आस-पास बरसे दिलली पड़ी तरसे, कहावत जिसकी आवश्यजकता है उसे न मिले। आसमान का थूका मुँह पर आता है, कहावत बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है। आसमान से गिरा खजूर पर अटका, कहावत कोइ्र काम पूरा होते-होते रह गया। एक मुसीबत से निकले तो दूसरी आ पड़ी। इक नागिन अरू पंख लगाई एक करेला/गिलोय, दूसरे नीम चढ़ा , कहावत एक के साथ दूसरा दोष। इतना खाए जितना पवे, कहावत सीमा के अंदर कार्य करना चाहिए। इतनी सी जान, गज भर की ज़बान, कहावत अपनी उम्र के हिसाब से बहुत बोलना। इधर कुऑं उधर खाई, कहावत हर हालत में मुसीबत। इध्ार न उधर, यह बला किधर, कहावत अचानक विपत्तीर आ पड़ना। इन तिलों में तेल नहीं, कहावत यहॉं से कुछ भी मिलने को नहीं। इसके पेट में दाढ़ी है, कहावत उम्र कम और बुद्धि अधिक। इस धर का बाबा आदम ही निराला है, कहावत यहॉं सब कुछ विचित्र है। इस हाथ ले उस हाथ दे, कहावत कर्मफल तुरंत मिलता है। ईंट की देवी, मॉंगे प्रसाद, कहावत जैसा व्येक्ति वैसा आवभगत। ईंट की लेनी, पत्थवर की देना, कहावत दुष्टीता के बदले अधिक दुष्टाता। ईद का चॉद , कहावत बहुत दिनों बाद दिखाई देने वाला (व्य।क्ति) ईट के पीछे टर्र , कहावत समय बीत जाने पर काम करना। उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना, कहावत थोड़ा आसरा पाकर पूर्ण अधिकार पाने की हिम्मात बढ़ना। उगले तो अंधा, खए तो कोढ़ी, कहावत दुविधा में पड़ना। उतर गई लोई तो क्यार करेगा कोई, कहावत इज्ज़ईत न रहने पर आदमी निर्लज्ज़, हो जाता है। उत्त़र जाए कि दक्खिन, वही करम के लक्ख़न, कहावत भागय दुर्भाग्य हर जगह साथ देता है। उपजतिं एक संग जल माहीं, जलज जोंक जिमि गुण विलगाहीं, कहावत एक पिता के बेटे भी एक जैसे नहीं होते। उलटी गंगा पहाड़ चली, कहावत असंभव या विपरीत बात होना। उलटे बॉंस बरेली को, कहावत विपरीत कार्य करना। एसीकी जूती एसी का सिर, कहावत जिसकी करनी, उसी को फल मिलता है। ऊँट किस करवट बैठता है, कहावत निर्णय किसके पक्ष में होता है। ऊँट की चोरी झुके-झुके, कहावत कोई बड़ा काम चोरी- छिपे नहीं किया जा सकता। ऊँट के गले में बिल्ली , कहावत विपरीत वस्तुेओं का मेल। ऊँट के मुँह में जीरा, कहावत खाने को बहुत कम प्राप्ते होना। ऊधो का लेना न माधो का देना, कहावत निश्चिन्तन और बेलाग रहना। एक अंडा वह भी गंदा, कहावत चीज़ भी थोड़ी है और जो है वह भी बेकार । एक ऑंख से रोवे, एक ऑंख से हँसे, कहावत दिखावटी रोना। एक अनार सौ बीमार , कहावत चीज़ कम और चाहने वाले ज्यावदा। एक आवे के बर्तन , कहावत यब एक जैसे। एक और एक ग्यातरह होते हैं, कहावत एकता में बल है। एक के दूने से सौ के सवये भले, कहावत अधिक लाभ पर कम माल बेचने के अपेक्षा कम लाभ पर अधिक माल बेचना अच्छाप होता है। एक गंदी मछली सारे तलाब को गंदा कर देती है, कहावत एक बुरा आदमी सारी बिरादरी की बदनामी कराता है। एक टकसाल के ढले , कहावत सब एक जैसे हैं। एक तवे की रोटी, क्यात छोटी क्या मोटी, कहावत कोई भेदभाव नहीं होना/ समानता होना। एक तो चोरी दूसरे सीना-जोरी , कहावत अपराध करके उलटे रोब गॉंठना। एक (ही) थैली के चट्टे-बट्टे , कहावत एक जैसे दुर्गुण वाले। एक मुँह दो बात, कहावत अपनी बात से पलट जाना। एम म्यातन में दो तलवारें नहीं समा सकती, कहावत समान अधिकार वाले दो च्यतक्ति ण्कक क्षेत्र में नहीं रह सकते हैं। एक हाथ से ताली नहीं बजती, कहावत झगड़े के लिए दोनों पक्ष जिम्मे दार होते हैं। एक ही लकड़ी से सबको हॉंकना, कहावत छोटे-बड़े का ध्यानन न रखकर सबके साथ एक जैसा व्यहवहार करना। एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय, कहावत यक समय में एक ही काम हाथ में लेना चाहिए। ऐसे बूढ़े बैल को कोन बॉंध भुस देय, कहावत एक समय एक ही काम हाथ में लेना चाहिए। ओखली में सिरा दिया तो मूसल का क्याए डर, कहावत कठिन कार्य हाथ में लेने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए। ओस चाटे प्याास नहीं बुझती, कहावत बहुत थोड़ी वस्तु से आचवश्य कता की पूर्ति नहीं होती है। कंगाली में आटा गीला, कहावत एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ पड़ना। ककड़ी के चोर को फॉंसी नहीं दी जाती , कहावत छोटे अपराध के लिए इतना कड़ा दंड उचित नहीं। कचहरी का दरवाजा खुला है, कहावत न्याीय चाहते हो तो न्याउयालय में जाओ। कड़ाही सें गिरा चूल्हेो में पड़ा, कहावत छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना। कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी, कहावत उलटी बात करना। कब्र में पॉंव लटकाए बैठा है , कहावत मरणासन्न । कभी के दिन बड़े कभी की रात , कहावत सब दिन एक समान नहीं होते। कभी नाव गाड़ी पर , कभी गाड़ी नाव पर , कहावत हालात बदलते रहते हैं। कमली ओढ़ने सेफकीर नहीं होता, कहावत ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते । कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती, कहावत बात सोच- समझकर करनी चाहिए। करत-करत अभ्यामस के जड़मति होत सुजान, कहावत प्रयत्नस करते रहना चाहिए, सफलता मिलेगी। करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया, कहावत पकाई खीर हो गया दलिया करमहीन खेती करे,बैल मरे या सूखा पड़े, कहावत दुर्भाग्यत हो तो कोई न कोई काम खराब होता रहता है। कर ले सो काम ,भज ले सो राम, कहावत कर्म करने और पूजापाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए। कर सेवा तो खा मेवा , कहावत सेवा करने वाले को अच्छाा मेवा मिलता है। करे कोई भरे कोई, कहावत किसकी करनी का फल कोई और भोगे। करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुँछोंवाला, कहावत बड़ों के अपराध के लिए छोटे को दोषी ठहराया जाता है। कल किसने देखा है, कहावत भविष्यन में क्याछ होगा , कौन जानता है। कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है, कहावत बरी संगत में कलंक लगता है। कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता, कहावत मनामनी करनेवाला दूसरों की बात नहीं मानता। कहाँ राम – राम, कहॉं टॉंय-टॉंय, कहावत उच्च कोटि की वस्तुा से किसी निम्नय कोटि की वस्तुो की तुलना नहीं हो सकती है। कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा, कहावत बेमेल चीजें जोड़-जोड़कर कुछ बना लेना। कहीं गधा भी घोड़ा बनसकता है, कहावत बुरा या छोटा आदमी कभी भला/बड़ा नहीं बन सकता। सकता।कहें खेत की, सुने खलिहान की, कहावत कहा कुछ गया और समझा कुछ गया। कागज़ कीनाव नहीं चलती, कहावत बेईमानी या धोखेबाज़ी ज्या दा दिन नहीं चल सकती। काजल की कौठरी में कैसो हू सयानो जाय एक लीक काजल की लगिहै सो लागिहै, कहावत बुरी संगत में कभी न कभी कलंक अवश्यन लगेगा। काज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से, कहावत अपनी चिन्ताब न करके दूसरों की चिन्तास में घुलना। काठ की हॉंडी एक बार ही चढ़ती है, कहावत धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है। कान में तेल डाले बैठे हैं, कहावत कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं। काबुल में क्याल गधे नहीं होते, कहावत कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। काम का नकाज का , दुश्मोन अनाज का , कहावत निकम्मान आदमी, खाने के लिए होशियार। काम को काम सिखाता है , कहावत काम करते-करते आदमी होशियार हो जाता है। काल के हाथ कमान,बूढ़ा बचे न जवान: काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक, कहावत मृत्युे सब को मस लेती है। काला अक्षर भैंस बराबर , कहावत न पढ़ा न लिखा। काली के ब्यााह को सौ जोखिम, कहावत एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान, कहावत स्वा भिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है, कहावत अरे ,वह तो नग्य्ा है। किसी का घर जले कोई तापे, कहावत किसी के दु:ख पर खुश होना। कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता, कहावत कोई अपने माल को खराब नहीं कहता। कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है, कहावत लाभ जहरॉं से होता है वहीं खर्च हो जाता है। दाल में कुछ काला होना, कहावत कुछ न कुछ गड़बड़ अवश्यह होना। कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे, कहावत तब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्याौ चारा ? कुत्ताष भी दुम हिलाकर बैठता है, कहावत सफ़ाई सब को पसंद होनी चाहिए। कुत्तेस की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी, कहावत लाख प्रयत्नढ करो, कुटिल व्य क्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। कुत्तेर को घी नहीं पचता, कहावत नीच आदमी उच्चे पद पाकर इतराने लगता है। कुत्तेम कमे चौकने से हाथी नहीं डरते , कहावत महापुरूष नीचों की निंदा से नहीं घबराते। कुम्हाूर अपना ही घड़ा सराहता है, कहावत हर कोई अपनी वस्तुप की प्रशंसा करता है। कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाय, कहावत प्रतिष्ठित व्युक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। कोई मरे कोई जीवे सुथरा घोल बताशा गावे, कहावत सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। कोई माल मस्तख, कोई हाल मस्तत, कहावत कोई अमीरी से संतुष्टत, कोई गरीबी में भी संतुष्टकहै। कोठी वाला रोवें, डप्प,र वाला सोवे, कहावत धनवान चिंतित रहता है, गरीब निश्चिंत है। कोयल होय न उजली सौमन साबुन लाइ, कहावत स्ववभाव नहीं बदलता। कोयलों की दालाली में मुँह काला, कहावत बुरों के संगत से कलंक लगता है। कौड़ी नहीं गॉंठ चले बाग की सैर, कहावत साधन नहीं तो काम क्योंग करने लगे। कौन कहे राजाजी नंगे हैं, कहावत बड़े लोगों की बुराईनहीं होती। कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल, कहावत दूसरों की नकल करने से अपनापन खो जाता है। क्याो पिद्दी और क्याख पिद्दी का शोरबा, कहावत तुच्छं वस्तुद या व्याक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है। खग जाने खग ही की भाषा, कहावत अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं। ख्या ली पुलाव से पेट नहीं भरता, कहावत केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता। खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है, कहावत देखादेखी काम करना। खई खोजे और को ताको खुब तैयार, कहावत जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बूरा होता है। खाक डाले चॉंद नहीं छिपता, कहावत अच्छेा आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता। खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यानर सिंह नहीं होय, कहावत ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलता। खाली बनिया क्यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे, कहावत बेकाम आदमी उल्टे, –सीधे काम करता रहता है। खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं , कहावत कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे, क्यों दंड देता है। खुदा गंजें को नाखून न दे, कहावत औछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर उपनी ही हानि कर बैठता है। खुदा देता है तो छप्प र फाड़ कर देता है, कहावत ईश्वतर जिसको चाहे मालामाल कर दे। खुशामद से ही आमद है, कहावत खुशामद से ही धन आता है। खूंटें के बल बछड़ा कूदे, कहावत किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है। खेत खाए गदहा, मार खाए जुलहा, कहावत दोष किसी का दंड किसी को। खेती,खसम लेती , कहावत कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है। खेल –खिलाड़ी का,पैसा मदारी का, कहावत मेहनत किसी की लाभ दूसरे का खोदा पहाड़ निकली ख्ुहिया, कहावत परिश्रम बहुत पर लाभ बहुत ही कम। गंगा गए तो गंगादास,यमुना गए तो यमुनादास, कहावत अपना सिद्धांत बदलनेवाला। गंजेडी यार किसके दम लगाया खिसके, कहावत स्वाडर्थी आदमी स्वासर्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है। गँवार गन्नाक न दे, भेली दे, कहावत मूर्ख सिधाई से मामूली चीज़ नहीं देता, धमकाने से अधिक मूल्य की वस्तुम भी दे देता है। गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता, कहावत किसी उपाय से भी स्वहभाव नहीं बदलता। गई मॉंगने पूत, खो आई भरतार, कहावत थोड़े लाभ के चक्क र में भारी नुकसान हो जाना। गर्व का सिर नीचा, कहावत घमंडी आदमी का घमंड चूर इहो ही जाता है। गरीब की जोरू, सबकी भाभी, कहावत गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं। गरीबी तेरे तीन नाम- झूठा, पाजी, बेईमान, कहावत गरीब का सवर्त्र अपमान होता रहता है। गरीबों ने रोज़े रखे तो दिन ही बड़े हो गए, कहावत गरीब की किस्म़त ही बुरी होती है। गवाह चुस्तस,मुद्दई सुस्तह, , कहावत जिसका काम है वह तो आलस से करे, दूसरे फुर्ती दिखाएं। गॉंठ का पूरा, ऑंख का अंधा, कहावत पैसे वाला तो है, पर है मूर्ख। गाडर पाली ऊन को लागी, चरन कपास, कहावत रखा गया काम आने को, पर करता है नुकसान। गिरहकट का भाई गठकट, कहावत सब बदमाश एक से होते हैं। गीदड़ की शामत आए तों गॉं0व की ओर भागे, कहावत विपत्ति में बुद्धि काम नहीं करती। गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज, कहावत झूठ और ढोंग रचना। गुड़ दिए मरे तो जहर क्योंे दें, कहावत काम प्रेम से निकल सके तो सख्तीे न करें। गुड़ न दें, पर गुड़ सी बात तो करें, कहावत कुछ न दें पर मीठा बोल तो बोलें। गुड़ –गुड़ ही रहे, चेले शक्कंर हो गए, कहावत छोटे – बड़ों से आगे बढ़ जाते हैं। गुरूजी, चेले बहुत हो गए। भूखों मरेंगे तो आप ही चले जाएंगे, कहावत लोग अधिक हो तो, उपेक्षा होती है। गूदड़ में लाल नहीं छिपता, कहावत बढिया चीज़ अपने आप पहचानी जाती है। गोद में बैठकर ऑंख में उँगली/ गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे, कहावत भला करने पर दुष्ट ता। गोद में लड़का, शहर में ढिंढोरा, कहावत वस्तुे पास में और खोज दूर तक। घड़ी में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा, कहावत संकट को होशियारी से दूर करें। घड़ी में तोला, घड़ी में माशा, कहावत चंचल मन वाला। घर आए कुत्ते। को भी नहीं निकालते, कहावत घर में आने वाले का सत्काोर करना चाहिए। घर का जोगी जोगड़ा, आन गॉंव का सिद्ध, कहावत अपने लोगों में आदर नहीं होता। घर का भेदी लंका ढाए, कहावत घर की फूट का परिणाम बुरा होता है। घर की खांड़ किरकिरी, लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा, कहावत अपनी वस्तु़ खराब लगती है, दूसरे की अच्छीा। घर की मुर्गी दाल बराबर, कहावत अपनी चीज़ या अपने आदमी की कदर नहीं। घर खीर तो, बाहर खीर, कहावत अपने पास कुछहो तो, बाहर आदर होता है। घर का घोड़ा, नखास मोल, कहावत चीज़ घर में पड़ी है और चले हैं मंडी में बेचने। घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने, कहावत न होने पर ढोंग करना। घायल की गति घायल जाने, कहावत जो कष्ट भोगता है वही दूसरों का कष्ट। समझता है। घी कहॉं गया ? खिचड़ी में , कहावत वस्तुॉ का प्रयोग ठीक जगह हो गया। घी सँवारे काम बड़ी बहू का नाम , कहावत काम तो साधन से हुआ, यश करने वाले का हो गया। घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्याश, कहावत पेशेवर को किसी की रू- रियायत नहीं करनी चाहिए। घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपने ही मक्खियॉं उड़ाएगा कहावत उन्नएति करके आदमी अपना ही भला करता है। घोड़े को लात, आदमी को बात कहावत उत्तेम वस्तु थोड़ी भी हो तो अच्छा है। चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे कहावत कुछ करोगे तो फल मिलेगा। चट मँगनी पट ब्या ह कहावत तत्कागल कार्य होना। चढ़ जा बेटा सूली पर, भगवान भला करेंगे कहावत किसी के कहने पर विपत्तीो में पड़ना। चने के साथ कहीं घुन न पिस जाए कहावत दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाए। चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटके तुम भी लटको कहावत गरीब आदमी क्या आवभगत करेगा। चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए कहावत बहुत कंजूसी। चमार चमड़े का यार कहावत स्वा र्थी व्यतक्ति। चरसी यार किसके दम लगाया खिसके, कहावत स्वा र्थी आदमी स्वाेर्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है। चलती का नाम गाड़ी है, कहावत जिसका काम चल निकले, उसी का बोलबाला है। चॉंद को भी ग्रहण लगता है, कहावत कभी भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है। चाकरी में न करी क्याद, कहावत नौकरी में स्वाीमी की आज्ञा माननी पड़ती है। चार दिन की चॉंदनी फिर अँधेरी रात, कहावत सुख थोड़े ही दिन का होता है। चिकना मुँह पेट खाली, कहावत देखने में अच्छाह –भला भीतर से दु:खी। चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता, कहावत लिर्लज्ज़ आदमी पर कोठ्र असर नहीं पड़ता है। चिकने मुँह को सब चूमते हैं, कहावत ऊँचे आदमी के सब यार हैं। चिडिया अपने जान से गई, खाने वाले को स्वायद न आया, कहावत इतना भारी काम किया फिर भी सराहना नहीं हुई। चित भी मेरी पट भी मेरी, कहावत हर हालत में मेरा ही लाभ। चिराग तले अँधेरा, कहावत पास की चीज़ दिखाई न पड़ना। चिराग में बत्तीा और ऑंख में पट्टी, कहावत शाम होते ही सोने लगना। चींटी की मौत आती है तो पर निकलते हैं, कहावत घमंड करने से नाश होता है। चील के घोसले में मांस कहॉं, कहावत यहॉं कुछ भी नहीं बचा रह सकता। चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वह भी परी है, कहावत जो चीज़ पसंद हो वह सब से अच्छीर मान लेना। चुल्लू़ भर पानी में डूब मरना, कहावत शर्म आना। चुल्लून –चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बॉंधेगा, कहावत थोड़ा-थोड़ा जमा करके अमीर हो जाओगे। चूल्हेन की न चक्कीे की, कहावत घर का कोई काम न करना। चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है , कहावत जन्म जात कार्य, स्वेभाव नहीं बदलता। चूहे के नाम से कहीं नगाड़े मढ़े जाते हैं, कहावत थोड़ी वस्तु से बड़ा काम नहीं हो सकता। चूहों की मौंत बिल्लीन का खेल, कहावत किसी को कष्टत देकर मौज करना। चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली, कहावत चोर को रक्षा करने के कार्य पर लगाना। चोर के पैर नहीं होते, कहावत दोषी व्यैक्ति अपने आप फँसता है। चोर-चोर मौसेरे भाई, कहावत एक जैसे बदमाश का मेल हो जाता है। चोर –चोरी से गया तो क्या। हेरा-फेरी से भी गया/ चोर –चोरी से जाए, हेरा-फेरी न जाए , कहावत दुष्टस आदमी कोई न कोई न कोई खराबी करेगा ही। चो लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले , कहावत जबरदस्त आदमी से दो व्यलक्ति हार जाते हैं। चोर को कहे चारी कर और साह से कहे जागते रहो, कहावत दो पक्षों को लड़ाने वाला। चोरी और सीनाजोरी , कहावत एक तो अपराध उस पर अकड़ दिखाना। चारी का धन मोरी में, कहावत हराम की कमाई बेकार जाती है। चौबे गए छब्बेब बनने, दूबे ही रह गए, कहावत अधिक पाने के लालच में अपना सब कुछ गवा बैठे। छछूँदर के सिर में चमेली का तेल, कहावत अयोग्य व्य क्ति को अच्छीछ चीज़ देना। छाज (सूप) बोले तो बोले, छलनी क्याी बोले जिसमें हजार छेद/ छलनी कहे सूई से तेरे पेट में छेद, कहावत अपने अवगुणों को न देखकर दूसरों की आलोचना करने वाला। छटांक चून चौबारे रसोई, कहावत मिथ्याव आडंबर। छीके कोई,नाक कटावे कोई, कहावत किसी के दोष का फल दूसरा भोगे। छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर एक ही बात है, कहावत दोनों तरु से हानि। छोटा मुँह बड़ी बात, कहावत अपनी योग्यबता से बढ़कर बात करना। छोटे मियॉं तो छोटे मियॉं,बड़े मियॉं सुभानअल्ला ह, कहावत छोटे से बड़ा अवगुणों में भारी। ज़गल में मोर नाचा किसने देखा, कहावत ऐसे स्था न पर गुण प्रदर्शन न करें जहॉं कद्र न हों। जड़ काटते जाएं, पानी देते जाएं, कहावत भीतर से शत्रु ऊपर से मित्र। जने –जने की लकड़ी, एक जने का बोझ, कहावत सबसे थोड़ा-थोड़ा मिले तो काम पूरा हो जाता है। जब चने थे दॉंत न थे, जब दॉंत भये तब चने नहीं , कहावत कभी वस्तु है तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करने वाला है तो वस्तुा नहीं। जब तक जीना तब तक सीना, कहावत जीते-जी कोई न कोई काम करना पड़ता है। जब तक सॉंस तब तक आस, कहावत अंत समय तक आशा बनी रहती है। जबरदस्तीत का ठेंगा सिर पर, कहावत जबरदस्ती आदमी दबाव डाल कर काम लेता है । जबरा मारे रोने न दे, कहावत जवरदस्तर आदमी का अज्या चार चुपचाप सहना पड़ता है। जबान को लगाम चाहिए, कहावत सोच-समझकर बोलना चाहिए। ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए, कहावत मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है। ज़र का ज़ोर पूरा है, और सब अधूरा है, कहावत धन सबसे बलवान है। ज़र है तो नर नहीं तो खंडहर, कहावत पैसे से ही आदमी का सम्माहन है। जल में रहकर मगर से बैर, कहावत जहॉं रहना हो वहॉं के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता । जस दूल्हा तस बनी बराता, कहावत जैसे आप वैसे साथी। जहं जहं चरण पड़े संतन के, तहं तहं बंटाधार करे, कहावत अभागा व्य क्ति जहॉं जाता है बुरा होता है। जहॉं गुण होगा, वहीं मक्खियॉं होंगी, कहावत आकर्षक जगह पर लोग जमा होते हैं। जहॉं चार बासन होंगे, वहॉं खटकेंगे भी, कहावत जहाँ कुछ व्यनक्ति होते है वहॉं कभी-कभी झगड़ा हो ही जाता है। जहॉं चाह वहॉं राह, कहावत इच्छाच हो तो काम करने का रास्ताक निकल ही आता है। जहॉं देखे तवा परात, वहॉं गुजारे सारी रात, कहावत जहॉं कुछ प्राप्ति होती हो, वहॉं लालची आदमी जम जाता है। जहॉं न पहुँचे रवि वहॉं पहुँचे कवि, कहावत कवि की कल्पचना सब जगह पहुँचती है। जहॉं फूल वहॉं कॉंटा, कहावत अच्छाफई के साथ बुराई लगी होती है। जहॉं मुर्गा नहीं होता क्याा वहॉं सवेरा नहीं होता , कहावत किसी के बिना काम रूकतानहीं है। जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई, कहावत दु:ख को भुक्तम भोगी ही जानता है उसे अन्य कोई नहीं जान सकता है। जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा, कहावत लाभ इसमें है कि आदमी सतर्क रहे। जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले, कहावत जोरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है। जान मारे बनिया पहचान मारे चोर, कहावत बनियाऔर चोर जान पहचान वालों को ठगते हैं। जाएं लाख, रहे साख, कहावत धन भले ही चला जाए, इज्ज,त बचनी चाहिए। जितना गुड़ डालों, उतनाही मीठा, कहावत जितना खर्चा करोगे चीज़ उतनी ही अच्छीी मिलेगी। जितनी चादर देखो, उतने ही पैर पसारो, कहावत आमदनी के हिसाब से खर्च करो। जितने मुँह उतनी बातें, कहावत अनेक प्रकार की आफवाहें जिन खोजा तिन पाइयॉं, गहरे पानी पैंठ, कहावत जितना कठिन परिश्रम उतना लाभ जिस तन लगे वहीं तन जाने, कहावत जिसको कष्ट होता है वहीं उसका अनुभव कर सकता है। जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना, कहावत जो उपकार करे, उसका ही अहित करना। जिसका काम उसी को साजै, कहावत जो काम जिसका है वहीं उसे ठीक तरह से कर सकता है। जिसका खाइए उसका गाइए, कहावत जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो। जिसकी जूती उसी के सिर , कहावत जिसकी करनी उसी को फल। जिसकी लाठी उसी की भैंस, कहावत शक्ति संपन्नस आदमी अपना काम बना लेता है। जिसके हाथ डोई,उसका सब कोई, कहावत धनी आदमी के सब मित्र हैं। जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन, कहावत जिसको अफ़सर माने,वहीं योग्यु है। जी का बैरी जी , कहावत मनुष्यब ही मनुष्यं का शत्रु है। जर जाए, घी न जाए, कहावत महाकृपण। जरती मक्खी नहीं निगली जाती, कहावत जो गलत है उसे जानते हुए स्वीीकार नहीं किया जा सकता। जीभ भी जली और स्वाेद भी न आया, कहावत कष्टभ सहकर भी सुख न मिला। जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फंकी जाती, कहावत थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता। जुठा खाए, मीठे के लालच, कहावत लाभ के लालच में नीच काम करना। तैसा करोगे वैसा भरोगे,जैसा बोवोगे वैसा काटोगे , कहावत अपनी करनी का फल मिलता है। जैसा मुँह वैसा थप्पतड़, कहावत जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है। जैसा रजा वैसी प्रजा, कहावत जैसा मालिक वैसे ही कर्मचारी। जैसे तेरी कामरी, वैसे मेरे गीत, कहावत जैसा दोगे वैसा पाओगे। जैसे कंता घीर रहे वैसे रहे परदेश, कहावत निकम्मात आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं। जैसे नागनाथ वैसे सॉंपनाथ, कहावत दोनों एक से। जैसे मियॉं काइ का वैसे सन की दाढ़ी, कहावत ठीक मेल है। जो गरजते हैं सो बरसते नहीं, कहावत बहुत डींग हॉंकनेवाले काम के नहीं होते हैं। जोगी का बेटा खेलेगा तो सॉंप से , कहावत बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है। जो गुड़ खाए सो कान छिदाए, कहावत लाभ पाने वाले को कष्टा सहना ही पड़ता है। जो तोको कॉंटा बुवे ताहि बोइ तू फूल, कहावत बुराई का बदला भी भलाई से दो। जो बोले सों घी को जाए , कहावत ज्याोदा बोलना अच्छा, नहीं होता। जो हॉंडी में होगा वह थाली में आएगा, कहावत जो मन है वह प्रकट होगा ही। ज्यों -ज्यों भीजे कामरी त्यों।-त्योंत भारी होय, कहावत जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेयदारियॉं बढ़ती जाती हैं। ज्यों नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध, कहावत दोषी को अपना दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है। झूठ के पॉंव नहीं होते, कहावत झूठा आदमी एक बात पर पक्का नहीं रह पाता। झोपड़ी में रहें, महलों के ख्वातब देखें, कहावत अपनी सामर्थ्यम से बढ़कर चाहना। टके का सब खेल है, कहावत पैसा सब कुछ करता है। ठंडा करके खाओ, कहावत धीरज से काम करो। ठंडा लोहागरम लोहे को काट देता है, कहावत शांत व्याक्ति क्रोधी को झुका देता है। ठोक बजा ले चीज़, ठोक बजा दे दाम, कहावत अच्छीज चीज़ का दाम। ठोकर लगे तब ऑंख खुले, कहावत कुछ खोकर ही अक्लख आती है। डंडा सब का पीर, कहावत सख्तीस करने से लोग काबू में आते हैं। डायन को दामाद प्याेरा, कहावत अपना सब को प्या्रा। डूबते को तिनके का सहारा, कहावत विपत्तिमें थेड़ी सी सहायता भी उबार देती है। ढाक के तीन पात, कहावत फिर-फिर वही बात या दशा। ढोल के भीतर पोल, कहावत केवल दिखावटी शान। तख्त या तख्तात, कहावत शान से रहना/या भूखों मरना। तन को कपड़ा न पेट को रोटी, कहावत अत्योधिक दरिद्र। तलवार का खेत हरा नहीं होता, कहावत अत्या चार का फल अच्छा नहीं होता। तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा, कहावत बिना स्त्री के पुरूष का कोई ठिकाना नहीं। तीन कनौजिया तेरह चूल्हे , कहावत छुआछुत और अलगाव की दशा। तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी, कहावत समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है। तीन में न तेरह में , कहावत कुछ भी महत्वर नहीं है। तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे, कहावत सबको अपने – अपने कर्म का फल भोगना पड़ता है। तुम्हापरे मुँह में घी शक्क र , कहावत तुम्हापरी बात सच हो। तुरन्तप दान महाकल्या।न, कहावत जो करना हो चटपट करें, शुभ कार्य में देर कैसी ? तू डाल-डाल मैं पात -पात, कहावत एक से बढ़कर दूसरा चालाक। तेल तिलों से ही निकलता है, कहावत जो व्यलक्ति कुछ देने लायक हो उसी से प्राप्ति होती है। तेल देखो तेल की धार देखो, कहावत सावधानी और धैर्य से काम लो। तेल न मिठाई, चूल्हेक धरी कड़ाही, कहावत बिना सामान के काम नहीं होता। तेली का तेल जले, मशालची का दिल जले, कहावत दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो। तेली के बैल को घर ही पचास कोस, कहावत घर में ही बहुत अधिक काम हो जाता है। तेली खसम किया, हिफर भी रूखा खाया, कहावत किसी सामर्थ्यतवान की शरण में रहकर भी दु:ख उठाना। थका ऊँट सराय ताकता , कहावत थकने पर विश्राम चाहिए। थूक से सत्तूर नहीं सनते, कहावत कम सामग्री से काम पूरा नहीं हो पाता। दबी बिल्ली चूहोंसे कान कतराती है, कहावत दोषी व्यलक्ति छोटों के सामने भी सिर नहीं उठा सकता। दबाने पर चींटी भी चोट करती है, कहावत जिस किसी को दु:ख दिया जाए वह बदला लेता है। दमड़ी की हॉंड़ी गई, कुत्तेब की जात पहचानी गई, कहावत थोड़ी सी हानी उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली गई। दर्जी की सुई, कभी तागे में कभी टाट में, कहावत हर परिस्थिति में सहनशीलता बनाये रखना। दलाल का दिवाला क्यान , मस्जिद में ताला क्या , कहावत जिसके पास कुछ है ही नहीं ,उसे हानि का क्याे डर। दाग लगाए लँगोटिया यार, कहावत आदमी अपनों से ही धोखा खाता है। दाता दे भंडारी पेट फटे, कहावत दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो। दादा कहने से बनिया गुड़ देता है, कहावत मधुर वाणी से काम बन जाता है। दान के बछिया के दॉंत नहीं देखे जाते, कहावत मुफ्त में मिली वस्तु के गुण-अवगुण नहीं परखे जाते। दाने-दाने पर मुहर, कहावत हर व्यमक्ति का अपना भाग्यक। दाम सँवारे सबर्ठ काम, कहावत पैसा सब काम करता है। दाल-भात में मसूरचंद, कहावत बीच में दखल देनेवाला। दाल में नमक,सच में झूठ, कहावत थोड़ा झूठ तो चल सकता है। दिनन के फेर से सुमेरू होत माटी को, कहावत जब बुरे दिन आते हैं तो सोना भी मिट्टी हो जाता है। दिन भर चले अढ़ाई कोस, कहावत समय बहुत लगा और काम बहुत थोड़ा हुआ। दिल्लीु अभी दूर है, कहावत अभी सफलता में देरी है। दीपक की रवि के उदय बात न पूछे कोय, कहावत बड़ों की उपस्थिति में छोटे की उपेक्षा होती है। दीवार के भी कान होते हैं, कहावत रहस्य की बात गुप-चुप करनी चाहिए। दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है, कहावत जिससे कुछ पाना हांेता है , उसकी धौंस डपट सहनी पड़ती है। दुनिया का मुँह किसने रोका है, कहावत लोग निंदा – स्तुैति करते रहते हैं कोई रोक - टोक नहीं। दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम, कहावत दुविधा में पड़ने से कुछ नहीं मिलता। दूलहा को पत्त़ल नहीं,बजनिये को थाल, कहावत जिसका जो हक है वह उसे नहीं मिलता। दूध का दूध पानी का पानी, कहावत ठीक-ठीक न्यााय हो जाना। दूध पिलाकर सॉंप पोसना, कहावत शत्रु का उपकार करना। दूर के ढोल सुहावने, कहावत दूर से चीज़ अच्छीे लगती है। दूसरे की पत्तचल लंबा-लंबा भात , कहावत दूसरे की वस्तु् अच्छीग लगती है। देसी कुतिया विलायती बोली, कहावत किसी की नकल में अपनापन छोड़ना। देह धरे के दंड हैं, कहावत शरीर है तो कष्टह भी रहेगा। दोनों हाथों से ताली बजती है, कहावत लड़ाई झगड़े के जिम्मेजदार दोनों पक्ष हैं। दोनों हाथों में लड्डू , कहावत हर तरु लाभ ही लाभ। दो मुल्लोंड में मुर्गी हलाल, कहावत दो को दिया गया काम बिगड़ जाता है। दो लड़े तीसरा ले उड़े, कहावत दो की लड़ाई में तीसरे की बन आती है। धन का धन गया, मीत की मीत गई, कहावत अधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती। धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हजार, कहावत धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं। धन्नाा सेठ के नाती बने हैं, कहावत अपने को अमीर समझते हैं। धर्म छोड़ धन कोर्ठ खाए, कहावत धर्मविरूद्ध कमाई सुख नहीं देती। धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं, कहावत सांसारिक अनुभव बहुत है। धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे, कहावत बलवान हार खाकर निर्बल पर गुस्साउ निकालें। धोबी के घर पड़े चोर , वह न लुटे और, कहावत नुकसान दूसरे का हो गया। धोबी रोवे धुलाई को,मियॉं रोवे कपड़े को, कहावत सब अपने-अपने नुकसान की बात करते हैं। नंगा बड़ा परमेश्वकर से , कहावत निर्लज्जा से सब डरते हैं। नंगा क्या नहाएगा क्याै निचोड़ेगा, कहावत निर्धन के पास है ही क्याा । न अंधे को न्योहता देते न दो जने आते, कहावत गलत आदमी को बुलावा देना। न इधर के रहे, न उधर के रहे, कहावत दुविधा में हानि हो जाती है। नकटा बूचा सबसे ऊँचा, कहावत निर्लज्ज आदमी सब से बड़ा है (व्यं ग्यह)। नक्काजरखाने में तूती की आवाज़ कौन सुने, कहावत बड़ों के रहते छोटों की बात नहीं मानी जाती। नटनी जब बॉंस पर चढ़ी तो घूँघट क्यान, कहावत नीच कम्र करने वाले को शर्म नहीं होती। नदी किनारे रूखड़ा जब –तब होय विनाश, कहावत बूढ़ा आदमी बहुत दिन नहीं जियेगा। नदी नाव संयोग, कहावत संयोग से मिलाप हो जाना। नदी में रहना,मगर से बैर, कहावत जहॉं रहना हो वहॉं के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता । न नौमन तेल होगा न राधा नाचेगी, कहावत न पूरी होनेवाली शर्त। नमाज़ छुड़ाने गए थे, रोज़े गले पड़े, कहावत एक मुसीबत से छुटकारा पाना चाहा था, एसे भारी मुसीबत आ पड़ी। नया नौदिन पुराना सौ दिन, कहावत पुरानी चीज़े ज्यासदा दिन चलती हैं। न रहेगा बॉंस,न बजेगा बॉंसुरी, कहावत मूल कारण को रफ़ा-दफ़ा करें तो झगड़ा –फसाद ही न हो। न सॉंप मरे न लाठी टूटे, कहावत बिना किसी हानि के काम पूरा हो जाए। नाई की बरात में सब ही ठाकुर, कहावत सभी बड़े बन बैठें तो काम कैसे हो, एक अगुआ नहीं है। नाई नाई, बाल कितने ? जिजमान, अभी सामने आ जाऍंगे, कहावत प्रश्नग का उत्तहर अपने –आप मिल जाएगा। नाक कटी पर घी तो चाटा, कहावत निर्लज्जप होकर कुछ पाना। नाक दबाने से मुँह खुलता है, कहावत कठोरता से कार्य सिद्ध होता है। नाच न जाने ऑंगन टेढ़ा, कहावत अपना दोष बहाना करके टालना। नानी के आगे ननिहाल की बातें, कहावत जिसको सब कुछ मालूम है, एसको जानकारी देना। नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे, कहावत खाना किसी का, एहसान किसी का। नानी क्वॉंकरी मर गई , नाती के नौ-नौ ब्यावह, कहावत झूठी बड़ाई। नाम बड़े दर्शन खोटे/छोटे, कहावत प्रसि8 बहुत होना पर वास्त व में गुण न होना। नाम बढ़ावे दाम, कहावत किसी चीज़ का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ जाती है। नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमा खाए, कहावत बदनामी से बुरा,नेकनामी से भला होता है। नारियल में पानी,क्याा पता खट्टा कि मीठा, कहावत इस बात में संशय है। नीचे की सॉंस नीचे, ऊपर की सॉंस ऊपर, कहावत डर या दु:ख से घबरा जाना। नीचे से जड़ काटना,ऊपर से पानी देना, कहावत ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु। नीम हकीम खतरा-ए-जान, कहावत अनुभवहीन व्याक्ति के हाथों काम बिगड़ सकता है। नेकी और पूछ-पूछ , कहावत भलाई का काम करके फल की आशा मत करो। नौ दिन चले अढ़ाई कोस, कहावत बहुत ही मंद गति से कार्य होना। नौ नकद , न तेरह उधार, कहावत नकद का काम उधार के काम से अच्छाउ। नौ सो चूहे खा के बिल्लीस हज को चली, कहावत जीवन भर कुकर्म करते रहे अन्तल में भले बन बैठे। पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली ही सही, कहावत सर्वसम्मबति से जो काम हो जाए, वही ठीक। पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा, कहावत दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना। पकाई खीर पर हो गया दलिया, कहावत दुर्भाग्यप। पगड़ी रख,घी चख, कहावत मान–सम्माीन से ही जीवन का आनंद है। पढ़े तो हैं गुने नहीं, कहावत पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन। पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल, कहावत गुणवान होने पर भी दुर्भाग्यु से छोटा काम मिला है। पत्थार को जोंक नहीं लगती,पत्थार मोम नहीं होता, कहावत निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता, उसमें दया नहीं होती। पराया धर थूकने का भी डर, कहावत दूसरे के घर में संकोच रहता है। पराये धन पर लक्ष्मीो नारायण, कहावत दूसरे के धन पर गुलछर्रें उड़ाना। पहले तोलो, पीछे बोलो, कहावत बात समझ-सोचकर करनी चाहिए। पॉंच पंच मिल कीजे काजा, हार-जीते कुछ नहीं लाजा, कहावत मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेहदारी एक पर नहीं आती। पॉंचों पंच मिल कीजे काजा, हारे –जीते कुछ नहीं लाजा, कहावत मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेहदारी एक पर नहीं आती। पॉंचों उँगलियॉं घी में, कहावत सब लाभ ही लाभ। पॉंचों उँगलियॉं बराबर नहीं होतीं, कहावत सब आदमी एक जैसे नहीं होते। पॉंचों उँगलियॉं बराबर नहीं होती, कहावत सब आदमी एक जैसे नहीं होते। पॉंचों सवारों में मिलना, कहावत अपने को बड़े व्यंक्तियों में गिनना। पागलों के क्या् सींग होते हैं, कहावत पागल भी साधारण लोगों में होते हैं। पानी पीकर जात पूछते हो, कहावत काम करने के बाद उसके अच्छेो-बुरे पहलुओं पर विचार क्योंा। पाप का घड़ा भरकर डूबता है, कहावत पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है। पिया गए परदेश, अब डर काहे का, कहावत जब कोई निगरानी करने वाला न हो , तो मौज उड़ाना। पीर बावर्ची भिस्तीे खर, कहावत सब तरह का काम एक को करना पड़ता है। पूत के पॉंव पालने में पहचाने जाते हैं, कहावत भविष्य क्याम होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है। त सपूत तो काहे धन संचै,पूत कपूत तो काहेधन संचै, कहावत धन का संचय अच्छा, नहीं। पूरब जाओ या पच्छिम,वही करम के लच्छ न , कहावत भाग्यज और स्वभाव सब स्थाचन साथ्ळान रहता है। पेड़ फल से जाना जाता है, कहावत कर्म का महत्वज उसके परिणाम से होता है। पैसा गॉंठ का, जोरू साथ की, कहावत अपने पास पैसा और पत्नीै हो तो जीवन सुखी रहता है। प्या सा कुऍं के पास जाता है , कहावत जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है। फलूदा खाते दॉंत टूट तो टूटें, कहावत स्वााद के लिए नुकसान भी मंजूर है। फिसल पड़े तो हर गंगा, कहावत काम बिगड़ जाने पर कहना कि मैंने स्ववयं चाहा था1 फुई-फुई करके तालाब भरता है, कहावत थेड़ा-थोड़ा जमा करते –करते ढेर हो जाता है। बंदर क्या जोन अदरक का स्वावद, कहावत वस्तुक का महत्वअ नहीं समझना। बकरी की जान गई खाने वाले को मज़ा नह आया, कहावत इतना भारी काम किया फिर भी सराहना नहीं हुई। बकरी ने दूध दिया पर मेंगनी भरकर, कहावत काम किया तो अवश्यप पर सद्भाव से नहीं। बड़ी मछली छोटी मछली को खती है, कहावत निर्बल सबल द्वारा सताया जाता है। बड़े बरतन का खुरचन भी बहुत है, कहावत जहॉं बहुत होता है वहॉं घपब्तेह-घटते भी काफी रह जाता है। बड़े बोल का सिर नीचा, कहावत जो घ्मंलड करता है उसको नीचा देख्ाना पड़ता है। बड़ो के कान होतजे हैं,ख् ऑंखे नहीं , कहावत बड़े लोग सुनी-सुनाई बातों पर विश्वाहस कर लेते हैं। बकनक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात, कहावत छोटा आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता। बनी के सब यार हैं, कहावत अच्छेे दिनों में सब दोस्ते बनते हैं। बरतन से बरतन खटकता ही है, कहावत जहॉं चार लोग होते हैं वहॉं कभी अनबन हो सकती है। बहती गंगा में हाथ धो लो, कहावत मौका मिले तोतुरन्तध लाभ उठाओ। बहरा सो गहरा, कहावत चुप्पाो बहुत चालाक होता है। बहुत जोगी मठ उजाड़, कहावत बहुत लोग हो जाएं तो काम खराब हो जाता है। बॉंझ का जाने प्रसव की पीड़ा, कहावत दु:ख को दु:खी ही समझता है। बॉंह गहे की लाज, कहावत शरण में आए की रक्षा करनी चाहिए। बाड़ ही जब खेत को खए तो रखवाली कौन करे, कहावत रक्षक ही भद्वक्षक हो जाए तो कोई चारा नहीं। बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया, कहावत नाते रिश्तेइ बेकार, पैसा सब कुछ है। बाप न मारे मेढ़की, बेटा तीरंदाज़, कहावत बड़े से छोटा बढ़ गया। बाप से बैर, पूत से सगाई, कहावत बड़ों की परस्पढर शत्रुता, छोटों की आपस में मित्रता। बापै पूत पिता पर थोड़ा, बहुत नहीं तो थोड़ा -थोड़ा, कहावत पुत्र पर पिता का थोड़ा –बहुत प्रभाव अवश्यथ रहता है। बारह गॉंव का चौधरी अस्सी गॉंव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी – तैसी में जाव, कहावत बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए , तो उसका बड़प्पनन व्य।र्थ है। बारह बरस पीछे धूरे के भी दिन फिरते हैं, कहावत एक न एक दिन अच्छेे दिन आ ही जाते हैं। बावरे गॉंव में ऊँट आया किसी ने देखा किसी से नहीं देखा, कहावत नयी चीज़ की कद्र सब लोग करते हैं। बासी कढ़ी में उबाल आया, कहावत उम्र बढ़ जाने पर शौक चर्राया। बासी बचे न कुत्ताप खाए, कहावत जरूरत भी की चीज़। बाहर टेड़ा फिरत है बॉंबी सूधो सॉंप, कहावत अपने घर में सब सीधे होते हैं बाहर अकड़ दिखाते हैं। बिंध गया सो मोती , रह गया सो सीप, कहावत जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छीस। बिच्छूत का मंतर न जाने , सॉंप के बिल में हाथ डाले, कहावत अनाड़ी होकर बड़े काम में हाथ डाले। बिना रोए तो मॉं भी दूध नहीं पिलाती, कहावत बिना यत्नत किए कुछ भी नहीं मिलता। बिल्लीत और दूध की रखवाली, कहावत भक्षक रक्षक नहीं हो सकता। बिल्लीर के सपने में चूहा, कहावत जिसकी जैसी भावना होती है, वही सामने रहता है। बिल्लीर गई चूहों की बन आयी, कहावत दुश्मीन या मलिक हटा और इनकी मौज हो गई। बीमार की रात पहाड़ बराबर, कहावत कष्टर का समय काटना मुश्किल होता है। बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम, कहावत उम्र के हिसाब से चीज़ अच्छीम लगती है। बुढ़ापे में मिट्अी खराब, कहावत बुढ़ापा में अनेक कष्टा। बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा, कहावत हर घटना के दो पहलू हैं- अच्छाह और बुरा। बूँद-बूँद से तलाब भरता है, कहावत थोड़ा-थोड़ा जमा करने से धन का संचय होता है। बूँढे तोते भी कही पढ़ते हैं, कहावत बुढ़ापे में कुछ सीखना मुश्किल होता है। बोए पेड़ बबूल के आम कहॉं से होय, कहावत जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा। भरी गगरिया चुपके जाय, कहावत ज्ञानी आदमी गंभीर होता है। भरे पेट शक्कगर खारी, कहावत जब आवश्यशकता नहीं होती तब अच्छीह चीज़ भी महत्व हीन या बुरी लगती है। भले का भला, कहावत भलाई का बदला भलाई में मिलता है। भलो भयो मेरी मटकी फूटी मैं दही बेचने से छूटी , भलो भयो मेरी माला टूटी राम जपन से छूट गए, कहावत काम न करने का बहाना मिल गया। भीख मॉंगे और ऑंख दिखाए, कहावत भिखारी होकर अकड़ता है। भूख में किवाड़ पापड़, कहावत भूख लगने पर कोई चीज़ भी खाने को मिल जाए अच्छार है। भूख लगी तो घर की सूझी, कहावत जरूरत पड़ने पर अपनों की याद आती है। भूखे भजन न होय गोपाला, कहावत भूख लगी हो तो भोजन के अतिरिक्ती कोई अन्या कार्य नहीं सूझता है। भूल गए राग रंग भूल गई छकड़ी, तीन चीज़ याद रहीं नून तेल तिकड़ी, कहावत गृहस्थीं के जंजाल में कुछ और नहीं सुध –बुध रहता है। भेड़ पै ऊन किसने छोड़ी, कहावत अच्छीप चीज़ को सब लेना चाहते हैं। भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय, कहावत मूर्ख के आगे ज्ञान की बात करना बेकार है। भोंकते कुत्तेा को रोटी का टुकड़ा, कहावत जो तंग करे उसको कुछ दे –दिला के चुप करा दो। मछली के बच्चेक को तैरना कौन सिखाता है, कहावत कुछ गुण जन्मेजात होते हैं। मजनू को लैला का कुत्ताा भी प्याखरा, कहावत प्रेयसी की हर चीज प्रेमी को प्याीरी लगती है। मतलबी यार किसके, दम लगाया खिसके, कहावत स्वातर्थी व्यमक्ति को अपना स्वागर्थ साधने से काम रहता है। मन के लड्ड़ओं से भूख नहीं मिटती , कहावत मन में सोचन मात्र से इच्छाम पूरी नहीं होती है। मन चंगा तो कठौती में गंगा, कहावत मन की शुद्धता ही वास्तंविक शुद्धता है। मन भावे मूँड़ हिलावे, कहावत मन से तो चाहना पर ऊपर से इन्कािर करना। मरज़ बढ़ता गया ज्यों - ज्योंह इलाज करता गया, कहावत सुधार के बजाय बिगाड़ होता गया। मरता क्याब न करता , कहावत मजबूरी में आदमी सब कुछ करता है। मरी बछिया बाभन के सिर, कहावत व्य र्थ दान मरे को मारे शाह मदार, कहावत दु:खी को दु:खी करना बहादुरी नहीं है। मलयगिरि की भीलनी चंदन देत जलाय, कहावत बहुत ज्याीदा मात्रा में चीज़ हो तो उसका कद्र नहीं होता है। मॉं का पेट कुम्हाार का आवां, कहावत संताने सभी एक – सी नहीं होती। मॉंगे हरड़, दे बेहड़ा, कहावत कुछ का कुछ और करना। मानो तो देव नहीं तो पत्थदर , कहावत माने तो आदर , नहीं तो उपेक्षा। माया से माया मिले कर-कर लंबे हाथ, कहावत जहॉं धन हो वहॉं धन आता रहता है। माया बादल की छाया, कहावत धन-दौलत का कोई भरोसा नहीं । मार के आगे भूत भागे, कहावत मार से सब डरते हैं। मियॉं की जूती मियॉं के सिर, कहावत अपने ही से हानि उठाना। मिस्सों से पेट भरता है किस्सोा से नहीं, कहावत पेट को खाना चाहिए, केवल बातों से पेट नहीं भरता। मीठा-मीठा गप, कड़वा-कड़वा थू , कहावत अच्छाो माल चुन लेना। मुँह में रात बगल में छुरी, कहावत ऊपर से मित्र , भीतर से शत्रु। मुँह चिकना, पेट खाली, कहावत केवल ऊपरी दिखाव। मुँह मॉंगी मौत नहीं मिलती, कहावत अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता। मुए बैल की बड़ी-बड़ी ऑंखे, कहावत जो चीज़ नहीं रहा उसकी प्रशंसा। मुफ्त की शराब काज़ी को भी हलाल, कहावत मुफ्त का माल सभी ले लेते हैं। मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है, कहावत कमज़ोर आदमी थोड़ा सा भी घाव नहीं सह सकता। मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक, कहावत धूम – फिरकर एकमात्र ठिकाना। मेरी तेरी आगे, तेरी मेरी आगे, कहावत चुगलखोरी। मेरी बिल्लीग मुझसे ही म्याऊँ , कहावत नौकर को मालिक के सामने अकड़ना नहीं चाहिए। मैं की गरदन पर छुरी, कहावत अहंकार का नाश। मोरी कीईंट चौबारे पर, कहावत छोटी चीज़का बड़े काम में लाना। म्या ऊँ के ठोर को कौन पकड़े, कहावत कठिन काम में कोई हाथ नहीं बँटाता। यह मुँह और मसूर की दाल, कहावत अपनी औकात से बढ़कर होना या करना। योगी था सो उठ गया आसन रही भभूत, कहावत पुराना गौरव समाप्तआ। रंग लाती है हिना पत्थ र पै घिस जाने के बाद, कहावत दु:ख झेलते –झेलते आदमी का अनुभव और सम्मा न बढ़ता है। रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जायँ पर वचन न जाई, कहावत अपने वचन का पालन करना चाहिए। रविहू की एक दिवस में तीन अवस्थाए होय, कहावत समय एक जैसा नहीं रहता। रस्सीक का सॉंप बन गया, कहावत बात का बतंगड़ बन जाना। रस्सीा जल गई पर ऐंठन न गई, कहावत सर्वनाश हो गया पर घमंड नहीं गया। रहे अंत मोची के मोची, कहावत कोई परिवर्तन नहीं हुआ। राजहंस बिन को करे छीर नीर अलगाय, कहावत न्यातय करना बहुत कठिन काम है। राजा के घर मोतियों का काल , कहावत यहॉं किसी वस्तुय का अभाव नहीं है। रातों रोई एक ही मुआ, कहावत थोड़ी चीज़ के लिए कष्ट अधिक। राम की माया कहीं धूप कहीं छाया , कहावत भगवान कहीं खुख कहीं दु:ख , कहीं धन कहीं निर्धनता देता रहता है। राम नाम के आलसी भोजन को तैयार , कहावत केवल खाने-पीने का उत्सा ह है। राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, कहावत बराबर का मेल हो जाना। राम राम जपना पराया माल अपना, कहावत ऊपर से भक्ता, उसल में ठग। रोज कुऑं खोदना, रोज पानी पीना, कहावत रोज़ कमाना और तब खाना। रोगी से वैद, कहावत भुक्तसभोगी अनुभवी होता है। लंका में सब बावन गज के , कहावत एक से एक बढ़कर । लड़े सिपाही नाम सरदार के, कहावत काम किसी का , नाम किसी और का । लड्डू कहे मुँह मीठा नहीं होता, कहावत केवल कहने से काम नहीं बन जाता। लहू लगाकर शहीदों में मिलने चले, कहावत झूठी प्रशंसा चाहना। लातों के भूत बातों से नहीं मानते, कहावत किन्हींे लोगों से कड़ाई से पेश आना चाहिए। लाल गुदड़ी में नहीं छिपते, कहावत उत्तगम प्रकृति के लोगों का पता चल ही जाता है। लिखे ईसा पढ़े मूसा, कहावत गंदी लिखावट ले दही, दे दही, कहावत गरज़ का सौदा। लेना एक न देना दो, कहावत कुछ मतलब न रखना। लोहा लोहे को काटता है, कहावत बराबर के लोग आपस में निपट सकते हैं। बहम की दवा लुकमान (हकीम) के पास भी नहीं है, कहावत बहम सबसे बुरा रोग है। वही मन वही चालीस सेर, कहावत बात एक ही है। बही मियॉं दरबार में वही चूल्हेी के पास , कहावत एक आदमी को कई काम करने पड़ते हैं। पिष सोने के बरतन में रखने से अमृत नहीं हो जाता, कहावत किसी चीज़ का प्रभाव बदल नहीं जाता। शर्म की बहू नित भूखी मरे, कहावत शर्म करने से कष्टू उठाना पड़ता है। शेखी सेठ की धोती भाड़े की , कहावत कुछ न होने पर भी बड़प्पकन दिखाना। शेरों का मुँह किसने धयो, कहावत सामर्थ्य वान के लिए कोई उपाय नहीं। शैकीन बुढि़या मलमल का लहँगा, कहावत अजीब शौक (फैशन) करना। शक्ल चुड़ैल की , मिजाज परियों का , कहावत बेकार नखरा। शक्करर खेर को शक्कार मिल ही जाती है, कहावत कभी इष्ट वस्तुक मिल ही जाती है। सइयॉं भए कोतवाल अब डर काहे का , कहावत अपने अधिकारियों से अनुचितलाभ उठाना। सईयों का काल मुंशियों की बहुतायत , कहावत पढ़े –लिखों में बेकारी है। सकल तीर्थ कर आई तुमडि़या तौ भी न गयी तिताई, कहावत स्वाभाव नहीं बदलता। सखी न सहेली, भली अकेली, कहावत अकेले रहना अच्छा, । सख़ी से सूम भला जो तुरन्ता देय जवाब, कहावत आशा में लटकाए रखनेवाले से तुरन्तत इंकार कर देने वाला अच्छाि। सच्चाे जायेगा रोता आये, झूठा जाय हँसता आये, कहावत सचा दुखी , झूठा सुखी। सबेरे का भूला सांझ को घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता , कहावत गलती करके सुधार लेनेवाला दोषी नहीं कहलाता। समय चुकि पुनि का पछताने, कहावत अवसर खोकर पछताने से कोई लाभ नहीं। समय पाइ तरूवर फले केतिक सीखे नीर, कहावत चाहे कोई उपाय कर लो , काम अपने समय पर ही होगा। समरथ को नहिं दोष गोसाई, कहावत बड़े आदमी पर कौन दोष लगाए। ससुराल सुख की सार जो रहे दिना दो चार, कहावत रिश्ते दारी में दो चार दिन ठहरना अच्छाप होता है। सहज पके सो मीठा होय, कहावत आराम से किया गया काम सुखकर होता है। सॉंच को ऑंच नहीं, कहावत सच्चेक आदमी को कोई खतरा नहीं। सॉंप का काटा पानी नहीं मॉंगता , कहावत कुटिल व्याक्ति की चाल मेंफँसा व्य क्ति बच नहीं पाता। सॉंप के मुँह में छछूँदर , निगले अंधा , उगले तो कोढ़ी, कहावत दुविधा में पड़ जाना। सॉंप निकल गया लकीर पीटो, कहावत अवसर बीत जाने पर प्रयास व्योर्थ है। सॉंप मरे न लाठी टूटे, कहावत बिना बल प्रयोग के काम हो जाए। सारी उम्र भाड़़ ही झोका, कहावत कुछ सीखा पाया नहीं। सारी देग में एक ही चावल टटोला जाता है, कहावत जॉच के लिए थोड़ा सा नमूना ले लिया जाता है। सारी रात मितियानी और एक ही बच्चात बियानी, कहावत शोर ज्या दा , प्राप्ति बहुत कम। सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखाई देता है, कहावत पक्षपात में दूसरे पक्ष की नहीं सूझती। सावन हरे न भादों सूखे, कहावत सदा एक सी दशा। सिंह के वंश मेंउपजा स्या र, कहावत बहादुरों की कायर संतान। सिर तो नहीं खुजला रहा, कहावत (तुम्हांरा) जी मार खाने को हो रहा है। सिर तो नहीं फिरा है, कहावत अलटी –सीधी बातें करते हो। सीधे का मुँह कुत्तात चाटे, कहावत सीधेपन का लोग अनुचित लाभ उठाते हैं। सुनते –सुनते कान बहरे हो गए, कहावत बार-बार सुनते –सुनते तंग आ गए हैं। सूखे धान पड़ा क्यान पानी, कहावत समय पर सहायता न मिली तो बेकार । सूत न कपास, जुलाहे से लट्ठमलट्ठा, कहावत अकारण विवाद। सूरज धूल डालने से नहीं छिपता, कहावत गुणी व्य क्ति का गुण प्रकट हो ही जाएगा। सूरदास की काली कमरी चढ़े न दूजो रंग, कहावत आदते पक्कीक होती है, बदलती नहीं। सेर को सवा सेर, कहावत एक से बढ़कर दूसरा। सौ दिन चोर के, एक दिन साह का, कहावत सौ अपराध करे पर एक दिन फँस ही जाएगा। सौ सुनार की एक लोहार की, कहावत क्रिया को फैनाने की अपेक्षा एकदम कर डालना अच्छाह होता है। हँसता जायेगा रोता आये, रोता जायेगा हँसता आये , कहावत स्थिति बड़ी अनिश्चित है। हंसाथे से उड़ गए कागा भए दिवान, कहावत भले लोगों के स्थाकन पर बुरे लोगों के हाथ में अधिकार। हज़ारों टॉंकी सहकर महादेव होते हैं, कहावत कठिनाइयॉं झेलते5झेलते आदमी ऊँचा पद पाता है। हज्ज़ायम के आगे सबका सिर झुकता है, कहावत गरज़ पर सबको झुकना पड़ता है। हड्डी खाना आसान पर पखना मुश्किल , कहावत धूस पानेवाला कभी न कभी पकड़ा जाता है। हथेली पर सरसो नहीं जमती, कहावत काम इतनी जल्दीन नहीं होता। हम सॉंप नहीं हवा पीकर जियें, कहावत भर पेट भोजन चाहिए। हमारे घर आओगे तो क्या नाओगे, तुम्हाारे घर जायेंगे तो क्याो दोगे, कहावत हमें हर हालत में लाभ हो। हर मर्ज की दवा, कहावत हर बात का उपाय है। हराम की कमाई हराम में गँवाई, कहावत बेईमानी का पैसा बुरे कामों में लग जाता है। हर्र लगे न फिटकरी,रंग भी खेखा होय, कहावत बिना कुछ खर्च किए काम बन जाये। हाथ का दिया आड़े आए, कहावत अपना कर्म ही फल देता है । हाथ सुमरनी पेट कतरनी, कहावत ऊपर से अच्छा , मन से बुरा, दिखावटी साधु। हाथी के दॉंत खाने के और दिखाने के और, कहावत किसी के भीतर और बाहर में अंतर होना। हाथी के पॉंव में सबका पॉंव, कहावत बड़ों के रहते छोटों को क्या पूछना। हाथ निकल गया दुम रह गई, कहावत थेड़ा सा काम अब शेष है। हिसाब जौ-जौ बखशीश सौ सौ , कहावत हिसाब करने में कड़ा, दान देने में उदार। हिजड़े के घर बेटा हुआ, कहावत असंभव बात। होठों किली कोठों चढ़ी, कहावत मुँह से निकली बात सब जगह फैल जाती है। होनहार फिरती नहीं होवे बिस्वेज बीस, कहावत भागय की रेखा नहीं मिटती। होनहार बिरवान के होत चीकने पात, कहावत होनहार बालक के गुण बचपन से दिखाई देने लगते हैं।
संग्रह करने योग्य!
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत उपयोगी।
जवाब देंहटाएंउपयोगी परन्तु लिखने में बहुत त्रुटियाँ हैं
जवाब देंहटाएंउपयोगी परन्तु लिखने में बहुत त्रुटियाँ हैं
जवाब देंहटाएंबड़े दिनों सी इस को ढूँढ रहा था. साधुवाद.
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