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शनिवार, 22 मई 2010

आत्महत्या!!

बीतते समय के साथ हमारी जीवन शैली बदल गई है। हम तरह-तरह के प्रयास करते हैं ताकि स्वस्थ रह सकें। इसके साथ ही हम पाते हैं कि तरह-तरह की नई-नई बीमारियां भी हम पर हमला कर रही हैं। रोगियों की संख्यां में काफ़ी बढ़ोत्तरी हो रही है। लोगों का समुचित ईलाज हो सके उस दृष्टि से देखें तो हम पाते हैं कि इस परिस्थिति में हमारे सरकारी अस्‍पताल अब भी साधनहीन हैं।

लोग अत्‍याधुनिक उपकरणों से लैस निजी क्‍लीनिकों और पांचतारा होटलों जैसे दिखने वाले अस्‍पतालों की ओर रूख कर रहे हैं। महानगर तो महानगर मझोले और छोटे शहरों में भी अत्‍याधुनकि उपकरणों से लैस अनेकों अस्‍पताल खुल गए हैं जिनमें श्रेष्‍ठ चिकित्‍सकों के सेवाएं उपलब्‍ध हैं। 

भारत में इस सेवा क्षेत्र का कारोबार 2 लाख करोड़ रूपये का हो गया है। स्‍वास्थ्‍य क्षेत्र एक उद्योग के रूप में तब्‍दील हो चुका है। इतने बड़े पैमाने पर चलने वाले इस उद्योग का भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में बहुत अहम योगदान है। इस क्षेत्र का 80 प्रतिशत हिस्‍सा निजी क्षेत्र के हाथ में है। एक आंकड़े के अनुसार कुल 15,400 अस्‍पतालों में से 60 फीसदी निजी क्षेत्र के है। यह भी पता चला है कि इस वर्ष 3,500 करोड़ रूपये की लागत से 15 बड़े अस्‍पताल परियोजनाएं शुरू होने जा रही है।

निजी क्षेत्र में कई ऐसे अस्‍पताल है जो असमर्थ लोगों को भी सुविधाएं मुहैया कराती है। साथ ही सरकार की ओर से भी यह प्रयास किया जाना चाहिए कि सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्य सेवा इतना चुस्‍त दुरूस्‍त और समर्थ हो कि समाज का हर तबका इनका लाभ लें। वरना ग़रीबों की सुनने वाल कौन है? उनकी बीमारियों का उपचार तो दूर, वो तो नित नई मौत मरने को बाध्य हैं।

पेश है एक कविता

 संकट (2)आत्महत्या!!

लूट! लूट!! लूट!!!

टीवी पर भारी छूट!

मोबाइल सस्ता!!

कार दौड़ेगी,

हर गली, हर रस्ता!!

बढ़ गया दाम

सस्ता नहीं आम

जुते रहो कोल्हू में

भैया राम गुलाम।

कहते हैं

मंहगाई की मार तो

झेलेंगे ही आम जन

इस सब से परे

देख रहे सुधिजन

आंखें मटक-मटक

सेंसेक्स की उछाल

स्टॉक एक्स्चेंज की उठा-पटक!

ग़रीबों की,

ग़रीब किसानों की,

क्या है हस्ती

जीना मंहगा

मौत सस्ती!

भीकू महात्रे हो

या हो सत्या

करते रहे हैं

करते रहेंगे

आत्महत्या!!

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्रूर सत्य की चुटीली अभिव्यक्ति... ! संसाधन के असमान वितरण और सामाजिक-आर्थिक अनियमितता से उपजी भयावहता की ओर इशारा करने में कवि सफल रहे हैं. पदों में नवीनता के साथ-साथ भाव वहन करने की क्षमता भी है........... !!! धन्यवाद !!!!

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