कविता बलवती भावनाओं का सहज उच्छलन है।::काव्य लक्षण-16 (पाश्चात्य काव्यशास्त्र-4) |
पाश्चात्य काव्यशास्त्र में काव्य लक्षण प्रस्तुत करने स्वच्छंदतावादी भी आए। उन्होंने अरस्तू, ड्राइडन और मैथ्यू आर्नल्ड से हटकर काव्य लक्षण प्रस्तुत किया। इनकी दृष्टि पर यदि हम गौर करें तो पाते हैं कि इन्होंने व्यक्तिपरक दृष्टि अपनाई। इन स्वच्छंदतावादयों की श्रेणी में वर्डसवर्थ, कॉलरिग, शैली और ली हंट आते हैं। विलियम वर्डसवर्थ (1770-1850) ने कहा – “Poetry is the spontaneous overflow of powerful feelings. It takes its origin from emotion recollected in tranquility.” अर्थात् .. “कविता बलवती भावनाओं का सहज उच्छलन होती है। शांत अवस्था में भाव के स्मरण से उसका उद्भव होता है।” कवि की संवेदनशीलता और सौंदर्य ग्रहण करने की क्षमता साधारण आदमी से अलग और काफी ज़्यादा होती है। मानव और उसकी प्रकृति या मानवेतर प्रकृति का उसे अधिक ज्ञान होता है। यह पूर्ववर्ती सिद्धांतों को अस्वीकारता है। कवि की संवेदनशीलता और सौंदर्य ग्रहण करने की क्षमता साधारण आदमी से अलग और काफी ज़्यादा होती है। मानव और उसकी प्रकृति या मानवेतर प्रकृति का उसे अधिक ज्ञान होता है। यह सब उसकी कल्पनाशक्ति पर निर्भर करता है। अपनी कल्पना-शक्ति से वह अप्रत्यक्ष को प्रत्यक्ष रूप में प्रकट कर सकता है। तभी तो वर्डसवर्थ कहते हैं “कविता बलवती भावनाओं का सहज उच्छलन है।” यह स्वच्छंदतावादी प्रवृत्ति का ही परिणाम है। वर्डसवर्थ ने काव्य की सृजन प्रक्रिया पर ज़्यादा बल दिया। विद्वानों के अनुसार वर्डसवर्थ की इस परिभाषा में अव्याप्ति का दोष है। ऐसा लगता है यह काव्य की परिभाषा न होकर काव्य के एक भेद, प्रगीत-काव्य तक सीमित परिभाषा है। इसके भीतर प्रबंध काव्य नहीं समाहित हो पाता। |
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ज्ञान वर्धक लेख के लिए बधाई
जवाब देंहटाएं'कवि की संवेदनशीलता और सौंदर्य ग्रहण करने की क्षमता साधारण आदमी से अलग और काफी ज़्यादा होती है। मानव और उसकी प्रकृति या मानवेतर प्रकृति का उसे अधिक ज्ञान होता है।'
जवाब देंहटाएं- इसीलिये वह कवि है.
बहुत सटीक बात ....ज्ञान प्रदान करता हुआ लेख ..
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास है आपका..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही विश्लेषण ………………।यही तो कविता है भावों की सहज अभिव्यक्ति बिना किसी दिखावे या अवरोध के।
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