कविता जीवन की अनुभूति है।काव्य लक्षण-18 (पाश्चात्य काव्यशास्त्र-6) |
कॉलरिज की परिभाषा मे काव्य का मूल प्रयोजन आनंद कहा गया है। यही विचार आई.ए. रिचर्डस को कलात्मक परितोष की ओर ले गया। पाश्चात्य शास्त्रों में उत्तमोत्तम शब्दों का उत्तमोत्तम विधान ही कविता है, यह भी कई विद्वानॊं ने कहा। भारतीय काव्य शास्त्र में जो “शब्दार्थ काव्य रूप” की बात कही गई है, वह पश्चिम के सिद्धांतकारों ने नहीं माना। आई.ए. रिचर्डस का मानना था कि कविता जीवन की अनुभूति है। उनकी पुस्तक है “प्रिंसिपल्स ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज़्म”। इसमें उन्होंने कविता की परिभाषा पर विचार किया है। वे अनुभूति को कविता मानते हैं। कहते हैं, “कविता अनूभूतियों का एक ऐसा वर्ग है जो मानक अनुभूति से, प्रत्येक विशेषता में भिन्न होती हुई भी, किसी विशेषता में एक-खास मात्रा में भिन्न नहीं होती।” अनेक विद्वानों ने माना कि यह परिभाषा काफी दुरूह और जटिल है। अस्पष्ट भी। यह काव्य को ठीक-ठीक परिभाषित नहीं करती। |
बहुत सरथ लेख ....अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढकर।
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक आलेख।
जवाब देंहटाएंकविता की अपनी भाषा होती है जो अनुभुतियों से हि उत्पन्न होती है……………बिन अनुभुतियो के तो एक शब्द नही लिखा जा सकता……अनुभुतियाँ ही कविता हैं ।
जवाब देंहटाएंकविता की परिभाषा देती अच्छी पोस्ट |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
महत्वपूर्ण जानकारी के लिए साधुवाद!
जवाब देंहटाएंकाव्य की यह परिभाषा एक सीमा तक अधूरी है। अनुभूति तो साहित्य की अन्य विधाओं में भी होती है परन्तु सभी विधाओं को काव्य की संज्ञा नहीं दी जाती है। अतएव विचारणी तथ्य कुछ और भी हैं|
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
काव्य जीवन की अनुभूति हैं अनुभूति संवेदना से पैदा होती हैं हृदय में विद्यमान की संवेदनाएं ही काव्य को जन्म देती हैं कविता में विद्यमान होने पर यह संवेदनाएं किसी के भी दिल को जिन जोड़ने की क्षमता रखती हैं , विचारों को प्रभावित करती हैं
जवाब देंहटाएं