काव्य भाव का स्वच्छंद प्रवाह नहीं, भाव से मुक्ति या पलायन है।काव्य लक्षण-19 (पाश्चात्य काव्यशास्त्र-7) |
टी.एस. एलियट ने काव्य-चिंतन पर भी लिखा है। उन्होंने “एण्टी-रोमांटिक” रवैया अपनाया। उन्होंने एक नए विचार को सामने लाया। उनका मानना था कि रचनाकार जितना ही उत्कृष्ट होगा, उसमें भोक्ता और स्रष्टा का अंतर उतना ही स्पष्ट होगा।काव्य भाव का स्वच्छंद प्रवाह नहीं, भाव से मुक्ति या पलायन है।कविता की परिभाषा करते हुए उन्होंने कहा,“The poet has, not a personality to express but a particular medium, which is only a medium and not a personality.”अर्थात् कविता या कला, कवि के व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं है क्योंकि उसे व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति करनी ही नहीं है – वह तो अभिव्यक्ति का एक माध्यम मात्र है जो केवल माध्यम है, व्यक्तित्व नहीं।उन्हों ने यह भी कहा कि,“Poetry is not a turning loose emotion but an escape from emotion; it is not the expression of personality, but an escape from personality.”अर्थात् काव्य भाव का स्वच्छंद प्रवाह नहीं, भाव से मुक्ति या पलायन है। वह व्यक्तित्व की अभिव्य्क्ति नहीं, व्यक्तित्व से मुक्ति है।एलियट के इस कथन से यह स्पष्ट है कि जिनके पास व्यक्तित्व और भाव है, वे ही जान सकते हैं कि उनसे मुक्ति की आकांक्षा का क्या अर्थ होता है। अपनी पुस्तक सलेक्टेड वर्क में उन्होंने कहा कि परंपरा जीवित संस्कृति का वह अंश है जो अतीत के दाय के रूप में प्राप्त होकर वर्तमान का निर्माण और भविष्य का दिशा-निर्देश करती है। |
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अच्छी जानकारी , कविता व्यक्तित्व की अभिव्य्क्ति नहीं, व्यक्तित्व से मुक्ति है।
जवाब देंहटाएंतो ये भी व्यक्तित्व से मुक्ति वाला व्यक्तित्व झलकाती है । इससे हम ये तो पढ़ पाते हैं कि अतीत से गुजरते हुए उसने क्या क्या झेला होगा और जीवन के प्रति उसका क्या दृष्टिकोण है । ये जरुर सही बात है कि काफी हद तक संवेदनाएं बह कर चैनलाइज हो जाती हैं , एक हिसाब से मुक्ति पाना ही हुआ ।
@ शारदा अरोरा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी बातें बहुत प्रेरक हैं।
आभार आपका!
गिरिजेश राव जी ने ई-मेल से यह प्रतिक्रिया भेजी है
जवाब देंहटाएंये मेरे प्रिय कवि हैं।
हिन्दी ब्लॉगरी में ऐसी उत्कृष्ट प्रस्तुतियों पर बहुत प्रसन्नता होती है।
आभार,
गिरिजेश
@ गिरिजेश जी
जवाब देंहटाएंओह!
मेरी मेहनत सार्थक हुई।
एक तो इस ब्लॉग पर आवाजाही कम है, ऊपर से कोई .....
छोड़िए!
आपकी टिप्पणी .. मेरे लिए मूल्यवान है।
आभार,
मनोज
सुन्दर !
जवाब देंहटाएंऐसी उल्लेखनीय पोस्टें ब्लॉग-जगत में कम लोकप्रिय-प्रशंसित लेकिन विशिष्ट महत्व वाली होती हैं |
ऐसे प्रयास वन्दनीय हैं |
व्यक्तित्व और लेखन से जुडी इलियट की बातें विचारोत्तेजक हैं |
आभार !
aap sahitya se jis prakar parichay karwa rahe hain wah bahut bada kaarya hai... jis sidhhat kee baat yahan aapne kee hai.. uska sabse bada udaharn Eliot ji ka apna kaavya kriti "the Waste land" hi hai..
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रयास ....सोचने पर मजबूर करता हुआ ....कविता भाव से मुक्ति या पलायन ? मुझे तो मुक्ति महसूस होती है ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा प्रयास।
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