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गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

मेरी कविताएं तो होंगी

मेरी कविताएं तो होंगी

प्रेमसागर सिंह


मेरे उस दिन न होने पर भी
मेरी कविताएं तो होंगी!

गीत होंगे !
सूरज की ओर मुंह किए खड़ा
कनैल का झाड़ तो होगा!


प्यार के दिनों में भींगी
पुरानी चिट्ठियां
पसंद के कपडे़ की तरह
सहेजी हुई होंगी तो !


मैं उस दिन न होउं तो भी
होंगी तो मेरी कविताएं!


पढ़ाई की मेज पर
मेरी प्रिय कविताएं
करीने से सजाई हुई होंगी
पहले की तरह
दोनों आंखों को स्पर्श करा देना
मेरी कविता को मेरी कापी को ।


तब धीरे ,बहुत धीरे
तुम्हारे हृदय से
बह चलेगी सुरभित हवा
मैं उस दिन न होंउँ तो भी
होंगी मेरी कविताएं
मेरे गीत।
__________________________________

प्रेमसागर सिंह

19 टिप्‍पणियां:

  1. ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना

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  2. ह्रदय से निकली ......भावपूर्ण ... मर्मस्पर्शी रचना.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही भावमयी और मार्मिक रचना है………भिगो गयी।

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  4. सत्य हैं, सुन्दर कृतियाँ काल से परे हुआ करती हैं.काल इसे रौंद नहीं पाता...

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी कविता आपके भावनात्मक अस्तित्व की पहचान है।

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  6. आपकी कवितायेँ ही होंगी मार्मिक रचना...

    जवाब देंहटाएं
  7. भावपूरित दिल को छूने वाली रचना लिखी है आपने।

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
    मेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
    "बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
    नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
    धन्यवाद।
    शुभ रात्रि।

    जवाब देंहटाएं
  9. श्री मनोज कुमार जी,
    मेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
    मेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
    "बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
    नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
    धन्यवाद।
    शुभ रात्रि।

    जवाब देंहटाएं
  10. श्री मनोज कुमार जी,
    मेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
    मेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
    "बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
    नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
    धन्यवाद।
    शुभ रात्रि।

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  11. श्री मनोज कुमार जी,
    मेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
    मेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
    "बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
    नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
    धन्यवाद।
    शुभ रात्रि।

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  12. कविताएँ शब्दों से हैं, वे अक्षर से हैं, ये भला कहाँ क्षर होने वाले !!

    सुन्दर !

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