धूमिल
कविता
उसे मालूम है कि शब्दों के पीछे
कितने चेहरे नंगे हो चुके हैं
और हत्या अब लोगों की रूचि नहीं –
आदत बन चुकी है
वह किसी गँवार आदमी की ऊब से
पैदा हुई थी और
एक पढ़े-लिखे आदमी के साथ
शहर में चली गयी
एक सम्पूर्ण स्त्री होने के पहले ही
गर्भाधान की क्रिया से गुज़रते हुए
उसने जाना कि प्यार
घनी आबादीवाली बस्तियों में
मकान की तलाश है
लगातार बारिश में भींगते हुए
उसने जाना कि हर लड़की
तीसरे गर्भपात के बाद
धर्मशाला हो जाती है और कविता
हर तीसरे पाठ के बाद
नहीं – अब वहाँ कोई अर्थ खोजना व्यर्थ है
पेशेवर भाषा के तस्कर – संकेतों
और बैलमुत्ती इबारतों में
अर्थ खोजना व्यर्थ है
हाँ, हो सके तो बगल से गुज़रते हुए आदमी से कहो –
लो, यह रहा तुम्हारा चेहरा,
यह जुलूस के पीछे गिर पड़ा था
इस वक़्त इतना ही काफ़ी है
वह बहुत पहले की बात है
जब कहीं, किसी निर्जन में
आदिम पशुता चीखती थी और
सारा नगर चौक पड़ता था
मगर अब –
अब उसे मालूम है कि कविता
घेराव में
किसी बौखलाये हुए आदमी का
संक्षिप्त एकालाप है
एक सम्पूर्ण स्त्री होने के पहले ही
जवाब देंहटाएंगर्भाधान की क्रिया से गुज़रते हुए
उसने जाना कि प्यार
घनी आबादीवाली बस्तियों में
मकान की तलाश है
लगातार बारिश में भींगते हुए
उसने जाना कि हर लड़की
तीसरे गर्भपात के बाद
धर्मशाला हो जाती है और कविता
हर तीसरे पाठ के बाद।
साठोत्तरी कविता के जनक कवि 'सुदामा पाण्डेय धूमिल' ने अपनी तदयुगीन रचनाओं को उसी सामाजिक परिप्रेक्ष्य की पृष्ठभूनि को केंन्द्रित कर प्रस्तुत किया है जिसने उन्होंने जिया है,उसे नजदीक से देखा है और तदुपरांत अपनी भावनाओं को मूर्त रूप दिया है। इस कविता में गूढ़ सत्यों के अन्वेषक धूमिल ने सामान्य चालू भाषा का प्रयोग कर अपने काव्य-कौशल का अप्रतिम प्रतिमूर्ति प्रस्तुत किया है। इसे प्रस्तुत करने के लिए आप विशेष प्रशंसा के पात्र हैं। धन्यवाद सहित।
गहनता लिए विचारणीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगुरु पूर्णिमा की बधाई .
जवाब देंहटाएंआपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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samaj ke yatharth ko udghatit karti DHOOMIL ji ki yah kavita sarahniy hai .aapne ise yahan prastut kiya hai aapka aabhar .
जवाब देंहटाएंउसने जाना कि हर लड़की
जवाब देंहटाएंतीसरे गर्भपात के बाद
धर्मशाला हो जाती है और कविता
हर तीसरे पाठ के बाद
क्या बात कही है.विचारणीय रचना.
आज 15- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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गूढार्थ लिये अति उत्तम अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंगूढ़ रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत अरसे बाद धूमिल की एक और रचना हमेशा शशक्त , और मेरे लिए कविता लिखने की एक प्रेरणा भी .
जवाब देंहटाएंअब उसे मालूम है कि कविता
जवाब देंहटाएंघेराव में
किसी बौखलाये हुए आदमी का
संक्षिप्त एकालाप है............. अति उत्तम