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रविवार, 28 अगस्त 2011

मानव सेवा

प्रेरक प्रसंग – 1

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सेवाग्राम आश्रम में एक दिन सुबह एक व्यक्ति बापू की झोपड़ी में आया। बापू उसे पहचान गये। वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता था और कई बार जेल हो आया था। वे थे पंडित परचुरे शास्त्री। वे संस्कृत के महान विद्वान थे। उनको कुष्ठ रोग हो गया था। इस रोग से वे काफ़ी परेशान रहते थे। अछूत की भांति इधर-उधर घूमते रहते थे। तकलीफ़ काफ़ी बढ़ गई और वे अपने जीवन से उकता चुके थे। उन्होंने निश्चय किया कि वे अनशन करके अपना प्राण त्याग देंगे। वे हरिद्वार में बहुत दिनों तक एकांतवास भी करते रहे। उस दिन वे पैदल चलकर बापू के दर्शन करने आए थे।

बापू की बातें सुनकर वे बहुत प्रसन्न हुए। बोले, “अब मैंने आपके दर्शन कर लिए हैं। मैं वह सूत भी लाया हूं जो मैंने आपके लिए काता है। मैं आपको ख़ुद भेंट करना चाहता था। मैं आज रात एक पेड़ के नीचे आराम करूंगा। सुबह चला जाऊंगा।”

गांधी जी ने शास्त्री जी से कहा, “यह तुमने क्या सोच लिया। तुम्हें उपवास करके प्राण नहीं त्यागना है। मैं ऐसा नही करने दूंगा।”

DSCN1459बापू पर उसकी श्रद्धा का बहुत प्रभाव पड़ा। पूरी रात वे सोचते रहे कि उसे जाने दें या आश्रम में ही रख लें। आखिर उन्होंने निश्चय किया कि उसे आश्रम में ही रखेंगे। गांधी जी ने अपनी कुटिया से क़रीब 200 फुट की दूरी पर परचुरे शास्त्री जी के लिए एक कुटीर बनवाया। इस प्रकार वे दिन रात उनकी देख भाल करते थे। जब भी टहलते हुए उधर से गुज़रते उनका हाल-चाल पूछते। क्या खाना-पीना है, यह सब उन्हें बताते।

हर दिन की तरह एक दिन जब गांधी जी उनके पास गए और उनका हाल चाल पूछा तो शास्त्री जी ने बताया, “रात को बड़ा कष्ट हुआ। दर्द बहुत हो रहा था और नींद भी नहीं आई।”

गांधी जी अपनी कुटिया वापस आए और धूप में एक खटिया डाली। शास्त्री जी को बुला कर उस पर लिटाया। सरसों के तेल से उनकी मालिश करने लगे। पूरी एकाग्रता, प्यार और स्नेह से बात भी करते गए और उनकी मालिश भी। यह क्रम रोज़ ही चलता गया। शास्त्री जी को काफ़ी राहत मिली। फ़ायदा भी होने लगा।

10 टिप्‍पणियां:

  1. गोडसे के शिष्यों को गाँधी जी का यह गुण दिखता ही नहीं। चित्रों में जीवन गाथा एलबम में यह चित्र देखा था।

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  2. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 29-08-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  3. इससे हम सबको यह सीख लेनी चाहिए कि मानव सेवा ही सर्वोपरि है । गांधी जी का पूरा जीवन ही मानव सेवा के लिए समर्पित था । अंग्रेजी में एक कहावत है- The best way to love God is to love mankind. प्रेरक पोस्ट के रूप में प्रस्तुत यह पोस्ट अच्छा लगा ।

    धन्यवाद ।

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  4. यही तो गांधी जी की शक्ति बना।

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  5. मानव सेवा ही सर्वोपरि है...प्रेरक पोस्ट

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  6. मानव सेवा ही ईश्वर की भक्ति है ... प्रेरक प्रसंग

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  7. बहुत प्रेरणादायक पोस्ट .......आभार

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