अपाहिज और अशक्त लोगों के लिए बापू के हृदय में विशेष दया थी। एक बार बापू के पास 70 वर्ष की एक महिला का पत्र आया। उसने लिखा था, “मैं आपको बताना चाहती हूं कि आपसे मेरे समान अंधे-बहरों को बहुत दिलासा मिलती है। मैंने इस पत्र को ख़राब टाइप किया है, फिर भी मुझे आशा है कि आप इसे पढ़ सकेंगे।”
बापू ने अपने चिट्ठियों के ढेर से उसका पत्र सबसे पहले उत्तर देने के लिए उठाया। उन्होंने लिखा, “तुम न अंधी हो, न बहरी क्योंकि तुम्हारे पास देखने के लिए आत्मा की आंखें हैं।”
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एक बार वर्धा में बापू के पास 17 वर्ष का एक युवक आया। उसके हाथ-पैर कांपते रहते थे। उसका कोई सहायक न था। उसे जीवन एक भार लगता था। दुखी होकर वह बापू के पास आया था।
लोगों ने कहा, “यह तो आश्रम के किसी काम नहीं आ पाएगा। इसे लौटा दीजिए।”
बापू ने अपने से पूछा, ‘ऐसे व्यक्ति का क्या किया जाए? यदि मैं उसे लौटा दूंगा तो कहां जाएगा?’
काफ़ी सोच-विचार कर बापू ने उसे आश्रम में रख लिया। बापू ने उसे रसोई में काम करने भेजा। उससे पूछा गया, “क्या तुम सब्जियां धो सकोगे?”
युवक ने कहा, “मैं कोशिश करूंगा।”
अभ्यास करते-करते उसे चाकू का भी उपयोग करना तक आ गया। कुछ ही महीनों में वह क़रीब-क़रीब ठीक हो गया।
बापू के प्रेम और हमदर्दी ने उसे प्रोत्साहन दिया। अब युवक में शक्ति आ गई थी। वह अपने रोग को जीत सका।
aadarniy sir
जवाब देंहटाएंsambhvtah baapu ji ki vinmrta hi hai jo aaj bhi desh bade garv se unhe shradhanjali deta hai.
baapu ji ko koti -koti naman.
poonam
बापू के जन्म दिन पर उन्हें शत-शत नमन। बहुत ही सुन्दर प्रसंग आपने दिया है। आभार।
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंगों का बाहुल्य है गाँधी जी के पास।
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग ..बापू से हर क्षेत्र में प्रेरणा मिलती है
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक प्रसंग है.
जवाब देंहटाएंबापू को नमन।
जवाब देंहटाएंआज गाधी जी के प्रेरक प्रसंगों की बात करना या उल्लेख करना हास्यापद सा लगता है । देश की राजनीति एवं नेताओं के आचरण को देख कर ऐसा लगता है कि सारे प्रेरक प्रसंग अर्थहीन हो गए है या इन्हे अर्थहीन कर दिया जाता है । इसके बाद भी उनके प्रेरक प्रसंग आज भी उतने ही प्रभावकरी हैं जितने उनके जमाने में थे । पोस्ट अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
बहुत सशक्त प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबापू के जन्म दिन पर उन्हें शत-शत प्रणाम।
था फकीर, लेकिन लकीर का वह फकीर था कभी नहीं,
जवाब देंहटाएंपड़ते गए जहाँ पग उसके खिंचती गई लकीर वहीं।
अनुकरणीय और प्रेरक प्रसंग ..
जवाब देंहटाएंprerak prasang, jo hame bhi seekh deti hai dusro ke sath kaisa vyvhar kiya jaye.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय और प्रेरक प्रसंग .
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख !!अनुकरणीय एवं प्रेरक प्रसंग ..बापू जी को शत् शत् नमन ..आपको हार्दिक शुभ कामनायें !!!
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