प्रस्तुतकर्ता : मनोज कुमार
गांधी जी अफ़्रीका के सत्याग्रह में सफलता प्राप्त कर भारत लौट आए थे। अपने गुरु श्री गोखले के कथनानुसार वे समूचे भारत में घूम रहे थे। संयुक्त प्रांत में घूमते समय बिहार के कुछ लोग उनसे मिले। बिहार के चंपारण में गोरे ज़मींदारों ने भारी जुल्म मचा रखा था। बिहार के शिष्टमंडल के लोगों ने कहा, “गांधी जी, आप आइए, हमें रास्ता दिखाइए।”
गांधी जी बोले, “मैं ज़रूर आऊंगा। लेकिन आप लोगों को मेरी बात माननी होगी।”
उन्होंने स्वीकार किया, “जैसा आप कहेंगे, हम वैसा ही करेंगे।”
“जेल जाने की तैयारी रखेंगे?”
“जी, हां।”
बात तय हो गयी और कुछ दिनों के बाद चंपारण सत्याग्रह के लिए वे दौड़ पड़े। श्री राजेन्द्र बाबू वगैरह बिहार के सत्याग्रही लोग उसी समय पहले-पहल गांधी जी से मिले। किसानों का काम तो शुरू हुआ, लेकिन गांधी जी को सारी जनता के अंदर चेतना जगानी थी। कई साथी स्वयंसेवकों से उन्होंने कहा, “आप लोग देहातों में जाएं और किसानों के बच्चों के लिए स्कूल चलाएं।”
कस्तूरबा भी चंपारण गयी थीं। एक दिन गांधी जी ने उनसे कहा, “तुम क्यों कोई स्कूल नहीं शुरू करती? किसानों के बच्चों के पास जाओ, उन्हें पढ़ाओ।”
कस्तूरबा बोलीं, “मैं क्या सिखाऊं? उन्हें कया मैं गुजराती सिखाऊं? अभी मुझे बिहार की हिन्दी आती भी तो नहीं।”
गांधी जी बोले, “बात यह नहीं है। बच्चों का प्राथमिक शिक्षण तो सफ़ाई का है। किसानों के बच्चे को इकट्ठा करो। उनके दांत देखो। आंखें देखो। उन्हें नहलाओ। इस तरह उन्हें सफ़ाई का पहला पाठ तो सिखा सकोगी। मां के लिए यह सब करना कठिन थोड़े ही है। यह सब करते-करते उनके साथ बातचीत करोगी, तो वे भी तुमसे बोलेंगे। उनकी भाषा तुम्हारी समझ में आने लगेगी और आगे जाकर तुम उन्हें ज्ञान भी दे सकोगी। लेकिन सफ़ाई का पाठ तो कल से ही उन्हें देना शुरू करो।”
कस्तूरबा अगले दिन से वही करने लगीं, बालगोपालों की सेवा का असीम आनन्द लूटने लगीं।
गांधी जी सफाई को ज्ञान का प्रारंभ मानते थे।
जो काम अपने से ज्यादा दूसरों का भला करे,वह ज्ञान की असली समझ है.
जवाब देंहटाएंकिसी भी ज्ञान का पहला पाठ!!
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक ...
जवाब देंहटाएंसमाज-सुधार की शुरुआत इसी तरह से स्वयं के सुधार से हो सकती है। गांधी के जीवन से चुन-चुन कर अच्छे प्रसंग दे रहे हैं आप ...इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएंकस्तूरबा के नाम पर विद्यालय इसीलिए हैं?
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक प्रसंग्।
जवाब देंहटाएंprerak
जवाब देंहटाएंVASTAV ME PRERAK PRASANG PRASTUT KAR RAHE HAIN AAP .AABHAR
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और प्रेरक!
जवाब देंहटाएंसच है, सफाई का ज्ञान तो जीवन की प्राथमिकता है.
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रसंग।
जवाब देंहटाएंजी गाँधी जी की यही तो महानता थी कि उनका आदर्श मात्र खोखला उपदेश नहीं होता था बल्कि वह जमीनी स्थिति से जूड़ा व स्वयें के उदाहरण प्रस्तुति से भरा होता था।
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